
#लातेहार #नगर_विवाद : किराया विवाद और कथित दबाव के विरोध में दुकानदारों ने दुकानें बंद रखकर आंदोलन जारी रखा।
लातेहार नगर पंचायत क्षेत्र के कोर्ट गेट के सामने स्थित सत्यम, शिवम, सुंदरम कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों का धरना प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। दुकानदारों ने नगर प्रशासक पर एग्रीमेंट के नियमों की अनदेखी, दबाव और धमकी देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले को लेकर दुकानदारों ने उपायुक्त से हस्तक्षेप की मांग की है, लेकिन समाधान नहीं निकलने पर आंदोलन तेज किया गया। इस विवाद से दर्जनों दुकानदारों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है, जिससे प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- लातेहार नगर पंचायत क्षेत्र में सत्यम शिवम सुंदरम कॉम्प्लेक्स का मामला।
- नगर प्रशासक पर दबाव और धमकी देने के आरोप।
- 15 वर्ष पुराने एग्रीमेंट के उल्लंघन का दावा।
- दुकानदारों ने दूसरे दिन भी दुकानें बंद रखीं।
- आजसू पार्टी नेताओं ने धरने को समर्थन दिया।
लातेहार नगर पंचायत क्षेत्र के कोर्ट गेट के सामने स्थित सत्यम, शिवम, सुंदरम कॉम्प्लेक्स के दुकानदारों का विरोध प्रदर्शन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। नगर प्रशासक के कथित तानाशाही रवैये और नियमों के विपरीत किराया वसूली के आरोपों को लेकर सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखीं और धरने पर बैठे रहे। आंदोलनरत दुकानदारों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
क्या है पूरा विवाद
दुकानदारों ने बताया कि यह कॉम्प्लेक्स लगभग 15 वर्ष पूर्व नगर पंचायत लातेहार द्वारा निर्मित कराया गया था। उस समय नगर पंचायत और दुकानदारों के बीच एक लिखित एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें स्पष्ट रूप से यह शर्त दर्ज थी कि दुकान का किराया हर पांच वर्ष में दुकानदारों की सहमति से ही बढ़ाया जाएगा।
दुकानदारों के अनुसार, बीते वर्षों में किराया बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी और सभी दुकानदार नियमानुसार तय किराया समय पर जमा करते रहे। अब जब 15 वर्ष पूरे हो चुके हैं और एग्रीमेंट के नवीकरण की प्रक्रिया चल रही है, तो नगर प्रशासक द्वारा मौखिक रूप से पिछले वर्षों का बढ़ा हुआ किराया वसूलने का दबाव बनाया जा रहा है।
दबाव, धमकी और सील करने के आरोप
दुकानदारों का आरोप है कि जब उन्होंने इस मांग का विरोध किया, तो उन्हें दुकानें सील करने, ताला लगवाने और प्राथमिकी दर्ज कराने तक की धमकी दी गई। दुकानदारों ने यह भी कहा कि भय का माहौल बनाकर कुछ दुकानदारों से कथित बकाया राशि जबरन जमा कराई गई।
आरोप है कि रिन्यूअल के नाम पर बिना एग्रीमेंट की प्रति दिए, बिना पढ़ाए और दबाव बनाकर हस्ताक्षर कराए गए। जब दुकानदारों ने नियमों और शर्तों को लेकर सवाल पूछे, तो उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।
रोजी-रोटी पर संकट
धरने पर बैठे दुकानदारों ने बताया कि वे सभी पहले ठेला-खोमचा लगाकर जीवनयापन करते थे। उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए नगर पंचायत ने यह कॉम्प्लेक्स बनवाया था। निर्माण के समय दुकानदारों से डिपॉजिट राशि भी ली गई थी।
अब अचानक इस तरह की कार्रवाई से उनकी रोजी-रोटी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। दुकानदारों का कहना है कि दुकानें बंद रहने से उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
उपायुक्त से लगाई गुहार
दुकानदारों ने बताया कि सोमवार को उन्होंने पूरे मामले को लेकर उपायुक्त कार्यालय में आवेदन दिया था और निष्पक्ष जांच व हस्तक्षेप की मांग की थी। लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आने के कारण उन्होंने आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया।
दुकानदारों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन को और व्यापक रूप देंगे।
आजसू पार्टी ने दिया समर्थन
धरना प्रदर्शन के समर्थन में आजसू पार्टी के जिला उपाध्यक्ष विजेंद्र दास और आजसू नेता रूपेश अग्रवाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने दुकानदारों की मांगों को जायज बताते हुए प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
आजसू पार्टी दुकानदारों के साथ खड़ी है : विजेंद्र दास
आजसू पार्टी के जिला उपाध्यक्ष विजेंद्र दास ने कहा:
“नगर प्रशासक द्वारा गरीब दुकानदारों को डराना और नियमों के बिना पैसे वसूलना पूरी तरह गलत है। आजसू पार्टी दुकानदारों के साथ खड़ी है। यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि प्रशासन को नियम और संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए, न कि गरीब दुकानदारों पर दबाव बनाना चाहिए।
नगर प्रशासक के तानाशाही रवैये से त्रस्त हैं दुकानदार : रूपेश अग्रवाल
नगर पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार एवं आजसू पार्टी नेता रूपेश अग्रवाल ने कहा:
“15 वर्ष पुराने एग्रीमेंट के नियमों की अनदेखी कर मनमानी की जा रही है। यह गरीब दुकानदारों के साथ सीधा अन्याय है। प्रशासन को अविलंब हस्तक्षेप कर निष्पक्ष समाधान निकालना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दुकानदारों को न्याय नहीं मिलता, वे उनके साथ खड़े रहेंगे।
प्रशासनिक कार्रवाई पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण ने नगर पंचायत प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर प्रशासन राजस्व की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर दुकानदार नियमों और एग्रीमेंट का हवाला देकर खुद को उत्पीड़न का शिकार बता रहे हैं। अब सबकी नजर उपायुक्त और जिला प्रशासन की भूमिका पर टिकी हुई है।
न्यूज़ देखो: गरीब दुकानदार बनाम प्रशासन की शक्ति
यह मामला दिखाता है कि प्रशासनिक फैसलों में पारदर्शिता और संवाद कितना जरूरी है। यदि एग्रीमेंट मौजूद है, तो उसका पालन होना चाहिए। वहीं, दुकानदारों के आरोपों की निष्पक्ष जांच भी जरूरी है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। जिला प्रशासन को समय रहते हस्तक्षेप कर टकराव को टालना चाहिए।
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न्याय की लड़ाई में एकजुटता जरूरी
छोटे दुकानदारों की आजीविका सीधे प्रशासनिक फैसलों से जुड़ी होती है।
नियमों की अनदेखी किसी के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है।
ऐसे मामलों में संवाद और कानून का रास्ता ही समाधान है।
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