
#महुआडांड़ #शिक्षा_उपलब्धि : संत ज़ेवियर कॉलेज ने फादर एम. के. जोश के नेतृत्व में दस वर्षों में पाई ऐतिहासिक कामयाबी, NAAC से मिला A+ ग्रेड और स्वायत्तता
- संत ज़ेवियर कॉलेज महुआडांड़ ने फादर एम. के. जोश के दस वर्षों के नेतृत्व में नई पहचान बनाई।
- कॉलेज को NAAC से A+ ग्रेड और स्वायत्तता (Autonomy) की ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त हुई।
- डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लासरूम और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की शुरुआत से शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार।
- कॉलेज ने खेल, संस्कृति और समाज सेवा को शिक्षा का हिस्सा बनाकर छात्रों के समग्र विकास की दिशा में कदम बढ़ाया।
- एनपीयू (Nilamber-Pitamber University) के तहत झारखंड का पहला स्वायत्त महाविद्यालय बना।
महुआडांड़ का संत ज़ेवियर कॉलेज आज शिक्षा, अनुशासन और समाज सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। कॉलेज के प्राचार्य फादर एम. के. जोश के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में यह संस्थान न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का केंद्र बना है, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व और नैतिकता का प्रतीक भी बन गया है। उनकी दूरदर्शी सोच, आधुनिक शिक्षण दृष्टिकोण और नेतृत्व क्षमता ने कॉलेज को राज्य के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में शामिल कर दिया है।
आधुनिक शिक्षा की दिशा में क्रांतिकारी पहल
फादर एम. के. जोश के कार्यकाल में कॉलेज ने विज्ञान, कला, वाणिज्य और मानविकी के क्षेत्रों में आधुनिक और रोजगारोन्मुखी कोर्स शुरू किए। कॉलेज ने डिजिटल क्लासरूम, ICT-आधारित शिक्षण और स्मार्ट लर्निंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत कर छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया। इन पहलों से छात्रों में आत्मविश्वास और रोजगार की संभावनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
फादर जोश ने कहा कि उनका उद्देश्य शिक्षा को “समाज से जोड़ना” था। उनके अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है जो व्यक्ति को समाज के प्रति जिम्मेदार बनाती है।”
छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान
फादर जोश के नेतृत्व में कॉलेज ने खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामाजिक सेवा को पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाया। कॉलेज परिसर में नियमित रूप से वार्षिक खेलकूद, सांस्कृतिक उत्सव, रक्तदान शिविर और सामाजिक जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इन कार्यक्रमों ने छात्रों में नेतृत्व क्षमता, अनुशासन और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया है। कॉलेज के शिक्षक और अभिभावक सर्वसम्मति से मानते हैं कि फादर जोश की प्रेरणा ने शिक्षा को पुस्तकों की सीमाओं से निकालकर जीवन के वास्तविक मूल्यों से जोड़ा है।
समाज सेवा और जागरूकता में अग्रणी भूमिका
संत ज़ेवियर कॉलेज ने केवल शिक्षा में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। कॉलेज द्वारा स्वास्थ्य शिविर, साक्षरता अभियान, पर्यावरण संरक्षण रैली और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर कॉलेज की पहल ने स्थानीय समुदाय में विश्वास और जागरूकता बढ़ाई है।
विशेष रूप से बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कॉलेज ने कई छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं से सैकड़ों छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला है।
NAAC से A+ ग्रेड और स्वायत्तता की ऐतिहासिक उपलब्धि
फादर जोश के नेतृत्व में कॉलेज ने NAAC से A+ ग्रेड प्राप्त कर राज्य का गौरव बढ़ाया है। यह झारखंड का एकमात्र कॉलेज है जिसे यह सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही कॉलेज को स्वायत्तता (Autonomy) का दर्जा भी प्राप्त हुआ है, जिससे यह अब स्थायी मान्यता (Permanent Affiliation) की दिशा में अग्रसर है।
फादर जोश ने वर्ष 2026 तक इस लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया है। 2026 सत्र से स्वायत्तता प्राप्त छात्रों की एंड सेमेस्टर परीक्षाएँ 15 जनवरी तक पूरी होंगी और अगला सत्र तुरंत आरंभ किया जाएगा, जिससे शिक्षा सत्र समय पर पूर्ण होगा और छात्रों की डिग्री समय पर जारी होगी।
एनपीयू के लिए गर्व का क्षण
यह उपलब्धि न केवल कॉलेज के लिए, बल्कि निलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय (NPU) के लिए भी गौरव का विषय है। यह विश्वविद्यालय का पहला संबद्ध कॉलेज है जिसे स्वायत्तता का दर्जा मिला है। कॉलेज परिवार — प्राचार्य, शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी, छात्र, अभिभावक और पूर्व छात्र — सभी ने एनपीयू के कुलपति डॉ. दिनेश कुमार सिंह और विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार व्यक्त किया है।
कॉलेज के अनुसार, यह उपलब्धि शैक्षणिक सत्र 2025–2029 से प्रभावी होगी और कॉलेज की शैक्षणिक यात्रा में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ देगी।
न्यूज़ देखो: शिक्षा, समाज और अनुशासन का आदर्श मॉडल बना संत ज़ेवियर कॉलेज
संत ज़ेवियर कॉलेज की यह उपलब्धि बताती है कि यदि नेतृत्व दूरदर्शी हो तो किसी भी संस्थान को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। फादर एम. के. जोश ने न केवल कॉलेज को आधुनिक बनाया, बल्कि शिक्षा को जनसेवा से जोड़ा। ऐसे संस्थानों से समाज में शिक्षा के प्रति भरोसा और प्रेरणा दोनों बढ़ती हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा के माध्यम से समाज सशक्त बने
संत ज़ेवियर कॉलेज की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। आज जरूरत है कि हर शैक्षणिक संस्थान इस आदर्श को अपनाए और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का वाहक बने।
अब समय है कि हम सब मिलकर शिक्षा, अनुशासन और समाज सेवा के इस मॉडल को आगे बढ़ाएं। अपनी राय नीचे कमेंट करें, खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और इस प्रेरक प्रयास को साझा करें ताकि जागरूकता और बदलाव की यह मशाल और दूर तक पहुंचे।





