
#रांची #लोककला_विरासत : तमाड़ प्रखंड के मनीष महतो ने सोहराय और कोहबर चित्रकला को वैश्विक पहचान दिलाते हुए अपने गाँव को आर्टिस्ट विलेज में बदलने की मुहिम शुरू की
- सोहराय और कोहबर कला को नई पहचान दिलाने वाले मनीष महतो।
- उनका गाँव विकसित हो रहा एक प्रेरणादायक आर्टिस्ट विलेज।
- डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो ने गाँव पहुँच कर की सराहना।
- कला संरक्षण व सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की पहल।
- झारखंड की संस्कृति को नई ऊर्जा देने वाले युवा कलाकार।
रांची ज़िले के तमाड़ प्रखंड निवासी मनीष महतो इन दिनों न केवल अपने इलाके, बल्कि पूरे झारखंड की पहचान बन चुके हैं। सोहराय और कोहबर जैसी पारंपरिक लोकचित्रकलाओं में उनकी अद्भुत पकड़ और रचनात्मकता ने इन लोककला रूपों को नई पहचान दी है। उनकी कला देश–विदेश तक पहुँची है, जिससे झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को बड़ा सम्मान मिला है। मनीष महतो का प्रयास अपने गाँव को “आर्टिस्ट विलेज” के रूप में विकसित करना है, जो लोककला संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
सोहराय और कोहबर कला में नई पीढ़ी की मिसाल
सोहराय और कोहबर झारखंड की पहचान मानी जाने वाली पारंपरिक चित्रकलाएँ हैं। मिट्टी, प्राकृतिक रंगों और स्थानीय प्रतीकों से सजी ये कलाएँ आदिवासी जीवन और प्रकृति के गहरे संबंध को दर्शाती हैं। मनीष महतो ने इन्हें आधुनिक प्रस्तुति के साथ जोड़कर एक ऐसा रूप दिया है, जिसने कला प्रेमियों और सांस्कृतिक शोधकर्ताओं का मन मोह लिया है।
देश–विदेश में बढ़ाया झारखंड का मान
मनीष महतो की कलाकृतियाँ राज्य से बाहर भी प्रदर्शित हुई हैं। उनकी प्रतिभा ने झारखंड की कला को वैश्विक मंच पर पहुँचाया है। कई सांस्कृतिक मंचों और प्रदर्शनियों में उन्हें आमंत्रित किया गया है, जहाँ उनके कार्यों ने झारखंड को गौरव दिलाया।
कलाकार गाँव — एक अनोखी पहल
मनीष महतो की सबसे प्रेरक पहल है अपने गाँव को एक आर्टिस्ट विलेज के रूप में विकसित करना। उनका मानना है कि जब गाँव का हर घर कला से जुड़ जाएगा, तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी परंपराओं को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा सकेंगी। इस अभियान में ग्रामीण भी सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं, जिससे तमाड़ में लोककला पुनर्जागरण का माहौल बन रहा है।
विधायक ने की सराहना, बढ़ाया उत्साह
आज डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो स्वयं उनके गाँव पहुँचे और मनीष महतो की कला-साधना को नज़दीक से देखा। विधायक ने उनकी रचनात्मक प्रक्रिया, चित्रांकन शैली और कलात्मक दृष्टि पर चर्चा करते हुए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मनीष जैसे युवा कलाकार झारखंड की सांस्कृतिक गौरवगाथा को नई दिशा दे रहे हैं। इस मुलाकात से गाँव में भी उत्साह का माहौल देखने को मिला।
“झारखंड की पहचान उसकी मिट्टी, उसकी कला और उसकी परंपराओं में है। मनीष महतो जैसी प्रतिभाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में अहम योगदान दे रही हैं।”
— जयराम कुमार महतो, विधायक (डुमरी)
कला संरक्षण के सामाजिक प्रभाव
मनीष महतो की इस रचनात्मक यात्रा ने न केवल कला को संरक्षण दिया है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण का एक नया अवसर भी प्रदान किया है। कई युवा अब उनसे प्रेरित होकर लोककला सीख रहे हैं और अपनी पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।



न्यूज़ देखो: कला से बदलाव की कहानी
लोककला तब तक जीवित रहती है जब तक उसकी धड़कन गाँवों में चलती रहती है। तमाड़ की यह कहानी बताती है कि एक युवा कलाकार पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है। मनीष महतो जैसे कलाकार न केवल संस्कृति बचा रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक पहचान को भी मजबूती दे रहे हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
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