
#लातेहार #डिजिटल_सफलता : गाँव से सोशल मीडिया पर अपनी कला और संस्कृति को पेश कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनी
- लातेहार की तारा साहू ने इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी अलग डिजिटल पहचान बनाई।
- उनके वीडियो में स्थानीय संस्कृति, लोककला और ग्रामीण जीवन की झलक देखने को मिलती है।
- तारा के कंटेंट ने अब तक 1.3 करोड़ से अधिक व्यूज़ हासिल किए हैं।
- हाल ही में लातेहार के पहले सोशल मीडिया मीट-अप में उन्हें फर्स्ट रैंक अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- उन्होंने युवा पीढ़ी को डिजिटल दुनिया में अवसर तलाशने की प्रेरणा दी।
लातेहार की युवा तारा साहू ने गाँव की गलियों से उठकर डिजिटल दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनका कंटेंट न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि लातेहार की संस्कृति, परंपरा, लोककला और प्राकृतिक सुंदरता को भी दुनिया के सामने पेश करता है। सादगी और वास्तविकता की वजह से उनके वीडियो वायरल हो गए हैं और अब तक 1.3 करोड़ से अधिक व्यूज़ प्राप्त कर चुके हैं।
सोशल मीडिया में सम्मान
हाल ही में लातेहार के पहले सोशल मीडिया मीट-अप में तारा साहू को फर्स्ट रैंक अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें जिले की पूर्व कलेक्टर द्वारा प्रदान किया गया। इस उपलब्धि ने तारा और उनके पूरे जिले को गर्व महसूस कराया।
तारा साहू ने कहा: “आज सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भरता और पहचान का सशक्त माध्यम बन चुका है। अगर सही दिशा में मेहनत और लगन हो, तो कोई भी युवा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सफलता हासिल कर सकता है।”
डिजिटल झारखंड की नई मिसाल
तारा का मानना है कि ग्रामीण युवाओं को डिजिटल ट्रेनिंग, इंटरनेट सुविधा और तकनीकी सहयोग मिले, तो झारखंड जैसे राज्यों से नई प्रतिभाएँ आसानी से सामने आ सकती हैं। उनके कंटेंट और उपलब्धियों ने स्थानीय युवाओं में उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ाया है।
“तारा साहू ने यह साबित कर दिया है कि अगर हौसला और जुनून हो, तो गाँव की मिट्टी से भी डिजिटल सफलता की कहानी लिखी जा सकती है।”
तारा साहू आज न केवल एक कंटेंट क्रिएटर हैं, बल्कि लातेहार की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। उन्होंने यह दिखा दिया है कि कैमरा और कल्पना की ताक़त से कोई भी अपनी दुनिया बदल सकता है और गाँव से भी डिजिटल सफलता हासिल की जा सकती है।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण युवाओं की डिजिटल सशक्तिकरण की मिसाल
तारा साहू की कहानी यह दर्शाती है कि संसाधन सीमित होने के बावजूद सही दिशा, मेहनत और जुनून से डिजिटल दुनिया में पहचान बनाई जा सकती है। प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि वे ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण और सहयोग दें ताकि और भी प्रतिभाएँ उभर कर सामने आएं।
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