
#मनातू #शिक्षा_विभाग : तिलो निवासी सहायक शिक्षक सतेन्द्र कुमार का योगदान अब तक लंबित, बोले – नहीं मिला न्याय तो सीएम हेमंत सोरेन से करूंगा मुलाकात
- मनातू प्रखंड के शिक्षक सतेन्द्र कुमार का योगदान एक वर्ष से लंबित पड़ा हुआ है।
- शिक्षक ने कहा कि डीसी को आवेदन दिए एक माह बीत गए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- शिक्षा अधीक्षक पर लगाया टालमटोल का आरोप, बोले – “हर बार आज-कल कहकर टाल देते हैं।”
- शिक्षक ने कहा कि परिवार भरण-पोषण में हो रही भारी परेशानी।
- अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो सीएम हेमंत सोरेन से करेंगे मुलाकात।
मनातू (पलामू)। शिक्षा विभाग की लापरवाही से परेशान एक शिक्षक ने अब जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जताई है। नौडीहा पंचायत के ग्राम तिलो निवासी सतेन्द्र कुमार, जो यूएमएस भंडार टोला भीतडीहा में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं, पिछले कई महीनों से अपना योगदान बहाल कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिक्षक बोले – “आवेदन देने के बावजूद नहीं मिल रहा जवाब”
सतेन्द्र कुमार ने बताया कि जनवरी 2023 से तबीयत खराब होने के कारण विद्यालय से अनुपस्थित था। बाद में 8 जनवरी 2024 को प्राधिकार मनातू के द्वारा उनका मेडिकल एवं फिटनेस प्रमाण पत्र जांचकर योगदान स्वीकृत किया गया। इसके बावजूद जिला शिक्षा अधीक्षक की लापरवाही के कारण अब तक उनका योगदान बहाल नहीं हो पाया है।
उन्होंने बताया कि वे कई बार जिला कार्यालय जाकर अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। सतेन्द्र कुमार ने कहा –
“हर बार अधिकारी कहते हैं आज कल में कर देंगे, लेकिन अब एक साल से ज्यादा हो गया, फिर भी कोई समाधान नहीं हुआ। परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।”
डीसी को भी दे चुके हैं आवेदन
शिक्षक सतेन्द्र कुमार ने उपायुक्त पलामू को लिखित आवेदन देकर अपनी स्थिति से अवगत कराया था। आवेदन में उन्होंने प्राधिकार द्वारा स्वीकृत योगदान पत्र, मेडिकल एवं फिटनेस सर्टिफिकेट की प्रतियां भी संलग्न की थीं। इसके बावजूद, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि आवेदन दिए लगभग एक माह बीत चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन या शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
बोले – “अब सीएम हेमंत सोरेन से करूंगा मुलाकात”
अपनी मजबूरी और विभागीय लापरवाही से व्यथित शिक्षक सतेन्द्र कुमार ने कहा कि यदि जल्द उनके योगदान की समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर न्याय की गुहार लगाएंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में वर्षों की सेवा देने के बाद भी इस तरह की उपेक्षा बेहद दुखद है।
न्यूज़ देखो: शिक्षा तंत्र की सुस्ती, शिक्षक की पीड़ा
मनातू की यह घटना शिक्षा विभाग की सुस्ती और शिक्षक हितों की अनदेखी का उदाहरण है। जब एक शिक्षक अपनी आजीविका और सम्मान की रक्षा के लिए आवेदन दर आवेदन देता रहे और जवाब न मिले, तो यह तंत्र पर सवाल खड़े करता है। जरूरत है कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करे और पीड़ित शिक्षक को न्याय मिले।
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शिक्षकों की आवाज़ सुनी जाए
शिक्षक समाज की रीढ़ हैं। यदि वही न्याय के लिए दर-दर भटके, तो व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है। अब समय है कि विभाग जिम्मेदारी निभाए और ऐसे मामलों में तत्परता दिखाए। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि शिक्षकों की आवाज़ और बुलंद हो सके।




