Gumla

आदिम जनजाति परिवार के दुःख में प्रशासन का सहारा, झलकापाट गांव में बीडीओ ने पहुंचाया राहत और योजनाओं का लाभ

Join News देखो WhatsApp Channel
#घाघरा #प्रशासनिक_संवेदनशीलता : आदिम जनजाति की मृतका सुकरी कोरबा के परिजनों से मिलकर बीडीओ ने राहत सामग्री दी।
  • प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार स्वयं सुदूरवर्ती झलकापाट गांव पहुंचे।
  • आदिम जनजाति की मृतका सुकरी कोरबा के परिजनों को चावल व कंबल का वितरण।
  • गांव में विशेष शिविर लगाकर योजनाओं से वंचित ग्रामीणों को लाभ दिया गया।
  • 2 पेंशन स्वीकृत, 1 आयुष्मान कार्ड बना, 6 लोगों का ई-केवाईसी अपडेट
  • ग्रामीणों ने सड़क, पेयजल और बिजली की समस्या प्रमुखता से रखी।

घाघरा प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती और दुर्गम झलकापाट गांव में आदिम जनजाति की महिला सुकरी कोरबा की इलाज के दौरान हुई मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया। मंगलवार को प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) दिनेश कुमार स्वयं गांव पहुंचे और मृतका के परिजनों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान उन्होंने परिजनों को चावल एवं कंबल उपलब्ध कराया और गांव के अन्य ग्रामीणों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने हेतु विशेष शिविर का आयोजन कराया।

दुर्गम रास्तों को पार कर गांव पहुंचे बीडीओ

बीड़ीओ दिनेश कुमार पुलिस एवं अन्य प्रखंड कर्मियों के साथ चार पहिया वाहन से काड़ासिल्ली गांव तक पहुंचे। इसके बाद दुर्गम और पथरीले रास्तों के कारण वाहनों को वहीं खड़ा कर लगभग एक किलोमीटर पैदल चलकर झलकापाट गांव पहुंचे। बीडीओ के इस प्रयास को ग्रामीणों ने प्रशासन की संवेदनशीलता का उदाहरण बताया।

बीडीओ ने बताया कि झलकापाट गांव में कुल 16 परिवार निवास करते हैं और उनके घर एक-दूसरे से काफी दूरी पर स्थित हैं, जिससे योजनाओं की पहुंच में कई बार कठिनाई आती है।

विशेष शिविर में योजनाओं का लाभ

गांव में आयोजित विशेष शिविर के दौरान प्रशासन की टीम ने योजनाओं से वंचित लाभुकों की पहचान की। शिविर में

  • दो ग्रामीणों की पेंशन स्वीकृत की गई,
  • एक व्यक्ति का आयुष्मान भारत कार्ड बनाया गया,
  • छह लोगों का ई-केवाईसी अपडेट किया गया।

इसके साथ ही अन्य योजनाओं से जुड़े मामलों की भी जांच की गई, ताकि शेष लाभुकों को जल्द से जल्द लाभ दिया जा सके।

सड़क न होने से गई थी गर्भवती महिला की जान

ग्रामीणों ने बीडीओ को बताया कि गांव तक सड़क सुविधा नहीं होने के कारण ही गर्भवती महिला सुकरी कोरबा को समय पर बेहतर इलाज नहीं मिल सका। ग्रामीणों के अनुसार, सुकरी कोरबा को झिलगी में बोहकर लगभग एक किलोमीटर दूर एम्बुलेंस तक लाया गया था। इसके बाद उसे घाघरा अस्पताल ले जाया गया, जहां से गंभीर स्थिति को देखते हुए गुमला सदर अस्पताल रेफर किया गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

यह मामला पूर्व में समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था, जिसके बाद उपायुक्त के निर्देश पर गांव में प्रशासनिक शिविर का आयोजन किया गया।

बीडीओ ने दिए अहम निर्देश

ग्रामीणों को संबोधित करते हुए बीडीओ दिनेश कुमार ने कहा:

दिनेश कुमार ने कहा: “सरकार आप सभी के साथ है। किसी भी समस्या की जानकारी सीधे प्रशासन को दें, ताकि समय पर समाधान हो सके।”

उन्होंने स्वास्थ्य सहिया को निर्देश दिया कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव की संभावित तिथि से 7 से 10 दिन पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाघरा में शिफ्ट कराया जाए, ताकि आपात स्थिति से बचा जा सके।

वहीं आंगनबाड़ी सेविका को गांव के बच्चों का सर्वे कर आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया, जिससे बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा मिल सके।

मूलभूत सुविधाओं की रिपोर्ट भेजने का आश्वासन

बीडीओ ने गांव में सड़क, पेयजल, बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की स्थिति का जायजा लिया और कहा कि इसकी विस्तृत रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जाएगी, ताकि आवश्यक कार्यवाही की जा सके। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि इस पहल के बाद गांव तक सड़क और अन्य सुविधाएं जल्द पहुंचेंगी।

ग्रामीणों में दिखी उम्मीद की किरण

प्रशासन की इस पहल से गांव के लोगों में उम्मीद जगी है। मृतका के परिजनों ने कहा कि दुःख की इस घड़ी में प्रशासन का सहारा मिलना उनके लिए बड़ी राहत है। शिविर के माध्यम से योजनाओं का लाभ मिलने से ग्रामीणों को भरोसा हुआ कि उनकी समस्याएं अब अनदेखी नहीं रहेंगी।

इस अवसर पर बीपीओ बेबी कुमारी, अशोक कुमार, सतीश बंसल, शहीद, मृतका के परिजन, आंगनबाड़ी सेविका, सहिया सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित थे।

न्यूज़ देखो: प्रशासनिक संवेदनशीलता की ज़रूरत

झलकापाट गांव की यह घटना बताती है कि दूरस्थ आदिम जनजाति क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी आज भी जानलेवा साबित हो रही है। प्रशासन का मौके पर पहुंचकर राहत देना सराहनीय है, लेकिन स्थायी समाधान अब अनिवार्य है। सड़क, स्वास्थ्य और संचार सुविधाओं के बिना विकास अधूरा है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

पीड़ा से समाधान तक का रास्ता

दुर्गम गांवों की आवाज़ को अनसुना नहीं किया जाना चाहिए।
सरकारी योजनाओं का लाभ तभी सार्थक है, जब वे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में रखें और प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत बनाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
IMG-20250925-WA0154
1000264265
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20251017-WA0018
20251209_155512
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: