
#सिमडेगा #छात्र_राजनीति : आदिवासी छात्र संघ से जुड़े हालिया विवादों पर जिला परिषद सदस्य अजय एक्का ने प्रेस बयान जारी कर सभी आरोपों को तथ्यहीन, भ्रामक और राजनीतिक साजिश बताया
- आदिवासी छात्र संघ (ACS) से जुड़े विवादों में अजय एक्का पर लगे आरोपों को बताया पूरी तरह निराधार।
- प्रदीप टोप्पो के बयान को अजय एक्का ने कहा हास्यास्पद और तथ्यहीन।
- छात्र संगठनों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से साफ इनकार।
- आरोप लगाने वालों पर आंतरिक गुटबाज़ी छिपाने का लगाया आरोप।
- “राजनीतिक लाभ”, “शांति भंग” और “साजिश” जैसे आरोपों को बताया बेहद गंभीर लेकिन आधारहीन।
- छात्रों, युवाओं और बुद्धिजीवियों से भ्रामक प्रचार से दूर रहने और छात्र एकता मजबूत करने की अपील।
आदिवासी छात्र संघ (ACS) से जुड़े हालिया विवादों को लेकर सिमडेगा जिला परिषद सदस्य अजय एक्का ने सामने आकर अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें जानबूझकर छात्र संगठन से जुड़े विवादों में घसीटा जा रहा है, जबकि इन आरोपों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। अजय एक्का ने इसे कुछ व्यक्तियों द्वारा राजनीतिक उद्देश्य से फैलाया गया भ्रम करार देते हुए कहा कि इससे न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, बल्कि छात्र एकता को भी कमजोर किया जा रहा है।
प्रदीप टोप्पो के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया
अजय एक्का ने आदिवासी छात्र संघ से जुड़े विवादों में प्रदीप टोप्पो के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रदीप टोप्पो का बयान पूरी तरह हास्यास्पद है और इसे देने से पहले तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए थी।
अजय एक्का ने कहा:
“कुछ महीने पहले तक हम सभी एक ही छात्र संगठन से जुड़े थे। मुझे तो इन्हीं लोगों ने छात्र संघ में लाया था। ऐसे में आज इस तरह के बयान देना केवल भ्रम फैलाने का काम है।”
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक बयान देने से पहले अपनी संगठनात्मक स्थिति और अतीत को याद रखना चाहिए, ताकि छात्रों के बीच गलत संदेश न जाए।
संगठन में हस्तक्षेप के आरोप को बताया पूरी तरह गलत
अपने ऊपर लगे संगठन में हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए अजय एक्का ने स्पष्ट किया कि वे एक जिला परिषद सदस्य होने के नाते वर्षों से शिक्षा, छात्रवृत्ति, युवा अवसर और आदिवासी समाज के हितों के लिए काम कर रहे हैं। छात्रों की समस्याएं सुनना और उनके समाधान की दिशा में बात करना उनकी सार्वजनिक जिम्मेदारी का हिस्सा है, न कि किसी संगठन में दखल।
उन्होंने कहा:
“मैं किसी भी छात्र संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। छात्रों की बात सुनना और उन्हें उचित मंच तक पहुंचाना हस्तक्षेप नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधि होने के नाते मेरा कर्तव्य है।”
अजय एक्का ने यह भी जोड़ा कि छात्रों से संवाद करना किसी भी तरह से संगठनात्मक अनुशासन भंग करने की श्रेणी में नहीं आता।
मतभेद फैलाने के आरोपों पर पलटवार
मतभेद फैलाने के आरोपों को लेकर अजय एक्का ने कहा कि वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पदाधिकारी अपनी आंतरिक गुटबाज़ी को छिपाने के लिए उनके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अजय एक्का ने कहा:
“मैंने हमेशा एकता, संवाद और पारदर्शिता का समर्थन किया है। किसी भी छात्र को विभाजित करने या अलग गुट बनाने की बात पूरी तरह निराधार है।”
उन्होंने कहा कि छात्र संगठनों की मजबूती आपसी विश्वास और संवाद से आती है, न कि आरोप-प्रत्यारोप से।
“राजनीतिक लाभ” के आरोप को बताया बेबुनियाद
अपने ऊपर लगाए गए “राजनीतिक लाभ” लेने के आरोपों को लेकर अजय एक्का ने तीखे शब्दों में प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी छात्र संगठन का सहारा लेकर राजनीतिक लाभ लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं।
अजय एक्का ने कहा:
“मैं एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हूँ और जनता मुझे मेरे कामों से जानती है। किसी छात्र मुद्दे पर बोलना या छात्रों के बीच उपस्थित होना राजनीति नहीं, बल्कि सार्वजनिक सेवा है।”
उन्होंने कहा कि छात्रों के मुद्दों पर चुप रहना जनप्रतिनिधि की भूमिका से पलायन होगा।
शांति भंग और साजिश जैसे आरोपों को किया खारिज
“शांति भंग” और “साजिश” जैसे गंभीर आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय एक्का ने कहा कि उनके पूरे सार्वजनिक जीवन में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जहां उन्होंने किसी विवाद को उकसाया हो। उन्होंने सिमडेगा की शांति को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
अजय एक्का ने स्पष्ट किया:
“मेरे खिलाफ लगाए गए ऐसे शब्द पूरी तरह झूठ और कल्पना पर आधारित हैं। सिमडेगा की शांति और सामाजिक सौहार्द मेरे लिए सबसे ऊपर है।”
वरिष्ठ पदाधिकारियों के अपमान के आरोप पर सफाई
वरिष्ठ पदाधिकारियों के अपमान से जुड़े आरोपों को भी अजय एक्का ने पूरी तरह असत्य बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों का सम्मान किया है।
उन्होंने कहा:
“यदि किसी को मेरी किसी बात से आपत्ति थी, तो सीधे संवाद किया जा सकता था। बिना सत्यापन प्रेस बयान जारी कर चरित्र हनन करना अनुचित है।”
मानहानि केस की धमकी पर प्रतिक्रिया
मानहानि केस की धमकी को लेकर अजय एक्का ने कहा कि यह सच्चाई से बचने का तरीका है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने बिना तथ्य उनके खिलाफ सार्वजनिक बयान जारी किए, वही आज मानहानि की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा:
“यदि कोई कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है, तो मैं तथ्यों, साक्ष्यों और कानून के अनुसार पूरा जवाब दूँगा।”
NGO को लेकर फैले भ्रम पर स्थिति स्पष्ट
NGO को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम पर भी अजय एक्का ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि वे किसी भी NGO के संचालन या उससे संबंधित गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।
अजय एक्का ने कहा:
“किसी का NGO चलाना उसकी व्यक्तिगत गतिविधि है। उसे छात्र संगठन बताना और मेरे नाम से जोड़ना पूरी तरह असत्य और अनुचित है।”
छात्रों और युवाओं के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई
अपने बयान के अंत में अजय एक्का ने दोहराया कि वे सिमडेगा के छात्रों, युवाओं और आदिवासी समाज के हितों के लिए लगातार कार्यरत रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे किसी संगठन या गुट से ऊपर छात्र हित, शिक्षा, न्याय और विकास को महत्व देते हैं।
उन्होंने सभी छात्रों, युवाओं और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे भ्रामक प्रचार से दूर रहें, तथ्यों को समझें और किसी भी गुटबाज़ी से ऊपर उठकर छात्र एकता को मजबूत करें।
न्यूज़ देखो: छात्र राजनीति में बयानबाज़ी बनाम जिम्मेदारी
यह मामला दिखाता है कि छात्र संगठनों से जुड़े विवाद जब सार्वजनिक मंच पर आते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। आरोप-प्रत्यारोप से न तो छात्रों का हित सधता है और न ही सामाजिक शांति। जनप्रतिनिधियों और छात्र नेताओं दोनों को संवाद और तथ्य के रास्ते पर चलना होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
छात्र एकता ही भविष्य की सबसे बड़ी ताकत
छात्र संगठन समाज की चेतना होते हैं और जनप्रतिनिधि उनकी आवाज़ को आगे बढ़ाने का माध्यम। जब संवाद टूटता है, तो भ्रम और टकराव बढ़ता है। अब जरूरत है कि छात्र और युवा तथ्यों के साथ सोचें और एकता को प्राथमिकता दें।





