Giridih

गिरिडीह में बराकर नदी का किनारा: सुकूनभरा पिकनिक और धार्मिक पर्यटन का केंद्र

#गिरिडीह #पर्यटन_स्थल : बराकर नदी किनारा सर्दियों में पिकनिक और ध्यान का पसंदीदा ठिकाना।

गिरिडीह जिले के पीरटांड़–डुमरी रोड पर स्थित बराकर नदी का किनारा सर्दियों में शांत पिकनिक और प्राकृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। उत्तरवाहिनी प्रवाह वाली नदी, घने साल जंगल और प्राकृतिक शांति इसे खास बनाते हैं। नए साल और विंटर सीजन में यहां बड़ी संख्या में स्थानीय पर्यटक वनभोज, स्नान और पूजा के लिए पहुंचते हैं। धार्मिक और प्राकृतिक आकर्षण के संगम ने इस क्षेत्र को लोकप्रिय बनाया है।

Join News देखो WhatsApp Channel
  • पीरटांड़–डुमरी रोड पर स्थित बराकर नदी का शांत किनारा।
  • उत्तरवाहिनी बराकर नदी और साल वृक्षों की हरियाली मुख्य आकर्षण।
  • नए साल और सर्दी में वनभोज व पिकनिक की बढ़ी भीड़।
  • शिव मंदिर और नंदप्रभा जिनालय धार्मिक आस्था का केंद्र।
  • जैव विविधता पार्क निर्माणाधीन, पर्यटन संभावनाएं बढ़ीं।

गिरिडीह जिले में जब भी शांत और प्राकृतिक पिकनिक स्थल की चर्चा होती है, तो बराकर नदी का किनारा स्वतः लोगों की पहली पसंद बन जाता है। खासकर पीरटांड़–डुमरी रोड पर स्थित यह इलाका, जहां नदी उत्तरवाहिनी प्रवाह में बहती है, सर्दियों के मौसम में स्थानीय लोगों के लिए सुकून और आनंद का केंद्र बन जाता है। साल वृक्षों से घिरे इस क्षेत्र में नदी की कलकल धारा मानसिक शांति प्रदान करती है।

स्थान और पहुँच की स्थिति

बराकर नदी का यह पिकनिक स्थल गिरिडीह शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर पीरटांड़ सीमा क्षेत्र में स्थित है। डुमरी रोड से यहां पहुंचना अपेक्षाकृत आसान है। पर्यटक बाइक, कार या सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से यहां तक पहुंच सकते हैं। हालांकि अंतिम कुछ दूरी पर पक्की सड़क की कमी अब भी एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद पर्यटकों की संख्या में कोई कमी नहीं दिखती। नदी किनारे अस्थायी पार्किंग की सुविधा भी स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का संगम

बराकर नदी का यह किनारा प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा उदाहरण है। चारों ओर फैले साल के जंगल, खुले चट्टानी किनारे और साफ बहती नदी इसे खास बनाते हैं। सुबह के समय सूर्योदय और शाम को ढलते सूरज का दृश्य पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। यही कारण है कि कई लोग यहां योग, ध्यान और आत्मिक शांति की तलाश में भी आते हैं।

पिकनिक और धार्मिक गतिविधियाँ

सर्दियों के मौसम, खासकर दिसंबर और जनवरी में, यह इलाका वनभोज और पारिवारिक पिकनिक का प्रमुख केंद्र बन जाता है। लोग नदी किनारे बैठकर भोजन बनाते हैं, सामूहिक भोज का आनंद लेते हैं और प्रकृति के बीच समय बिताते हैं। जनवरी माह में यहां खिचड़ी मेला भी आयोजित होता है, जिसमें आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान महत्वपूर्ण है। नदी किनारे स्थित शिव मंदिर और समीप का नंदप्रभा जिनालय श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं। स्नान, पूजा और ध्यान के लिए लोग सुबह से ही यहां पहुंचने लगते हैं।

सुविधाएँ और मौजूदा स्थिति

बराकर नदी किनारे कोई औपचारिक प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता, जो इसे आम लोगों के लिए सुलभ बनाता है। जंगल से मिलने वाली सूखी लकड़ियाँ स्थानीय लोग जलावन के रूप में उपयोग करते हैं। बैठने के लिए चबूतरे और खुले मैदान उपलब्ध हैं। हालांकि, शौचालय, पेयजल और स्थायी बैठने की बेहतर व्यवस्था की मांग लगातार उठ रही है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा जैव विविधता पार्क का निर्माण कार्य भी इस क्षेत्र में किया जा रहा है, जिसके नए साल में खुलने की संभावना जताई जा रही है। इससे पर्यटन को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

सावधानियाँ और पर्यावरण संरक्षण

स्थानीय लोग और पर्यटक एकमत हैं कि बराकर नदी की शांति और स्वच्छता ही इसकी सबसे बड़ी पहचान है। नदी की तेज धारा को देखते हुए स्नान करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। साथ ही, प्लास्टिक कचरा न फैलाने और प्राकृतिक वातावरण को नुकसान न पहुंचाने की अपील भी की जा रही है।

स्थानीय लोगों की पसंदीदा जगह

पूरे गिरिडीह जिले में जहां-जहां से बराकर नदी गुजरती है, वहां के स्थानीय निवासियों के लिए नदी का किनारा ही सबसे पसंदीदा पिकनिक स्थल माना जाता है। लोगों का कहना है कि यहां उन्हें पिकनिक की लगभग सभी व्यवस्थाएं प्राकृतिक रूप से ही मिल जाती हैं, जिससे अलग से किसी बड़े इंतजाम की जरूरत नहीं पड़ती।

न्यूज़ देखो: बराकर नदी किनारा बन सकता है गिरिडीह का प्रमुख इको-टूरिज्म केंद्र

बराकर नदी का किनारा यह दिखाता है कि सीमित संसाधनों में भी प्राकृतिक पर्यटन कैसे विकसित हो सकता है। यदि सड़क, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए, तो यह क्षेत्र जिले का प्रमुख इको-टूरिज्म हब बन सकता है। प्रशासन और स्थानीय समुदाय के संयुक्त प्रयास से यहां रोजगार और पर्यटन दोनों की संभावनाएं हैं। अब सवाल है कि क्या इस प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित विकास का मॉडल बनाया जाएगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

प्रकृति के साथ जिम्मेदारी भी निभाएं

बराकर नदी का किनारा हमें सिखाता है कि सुकून और आनंद प्रकृति के बीच ही मिलता है।
पिकनिक और पर्यटन के साथ पर्यावरण की रक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है।
स्वच्छता बनाए रखें, प्लास्टिक का प्रयोग न करें और नदी को सुरक्षित रखें।
यदि आप भी इस प्राकृतिक स्थल से जुड़े सुझाव या अनुभव रखते हैं, तो साझा करें।
इस खबर को आगे बढ़ाएं, लोगों को जागरूक करें और प्रकृति के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

1000264265
IMG-20250723-WA0070
IMG-20251223-WA0009
IMG-20250610-WA0011
IMG-20251227-WA0006
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250925-WA0154
IMG-20250604-WA0023 (1)
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: