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सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केतुंगाधाम में महामना मालवीय और अटल जी की जयंती श्रद्धा और संस्कार के साथ मनाई गई

#बानो #शैक्षणिक_संस्कार : विद्यालय परिसर में राष्ट्रपुरुषों की जयंती पर प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

बानो प्रखंड के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, केतुंगाधाम में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती श्रद्धा और गरिमा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक वंदना सभा से हुई, जिसके बाद दोनों महापुरुषों के चित्रों पर पुष्प अर्पित किए गए। विद्यालय के प्रधानाचार्य ने उनके जीवन, विचार और राष्ट्रनिर्माण में योगदान पर प्रकाश डाला। पूरे आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों में संस्कार, राष्ट्रभक्ति और प्रेरणा का संचार करना रहा।

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  • सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केतुंगाधाम में हुआ आयोजन।
  • महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाई गई।
  • प्रधानाचार्य सुकरा केरकेट्टा ने किया प्रेरक संबोधन।
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थापना पर विशेष चर्चा।
  • अटल जी के लोकतंत्र और सुशासन के योगदान को किया गया स्मरण।
  • शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं छात्र-छात्राओं की रही सक्रिय सहभागिता।

बानो प्रखंड अंतर्गत सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, केतुंगाधाम में राष्ट्रनिर्माण की भावना को सशक्त करने वाला एक गरिमामय आयोजन देखने को मिला। विद्यालय परिसर में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती हर्षोल्लास, अनुशासन और श्रद्धा के साथ संपन्न हुई। कार्यक्रम में विद्यालय परिवार सहित छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

पारंपरिक वंदना से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की पारंपरिक वंदना सभा से किया गया। इसके उपरांत विद्यालय परिवार द्वारा महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान पूरा वातावरण राष्ट्रभक्ति, संस्कार और प्रेरणा से ओत-प्रोत नजर आया।

महामना मालवीय के योगदान पर प्रकाश

विद्यालय के प्रधानाचार्य सुकरा केरकेट्टा ने अपने संबोधन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन और उनके राष्ट्रहित में किए गए कार्यों को विस्तार से रखा। उन्होंने बताया कि मालवीय जी न केवल एक महान शिक्षाविद थे, बल्कि वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक और दूरदर्शी चिंतक भी थे।

प्रधानाचार्य ने कहा:

सुकरा केरकेट्टा ने कहा: “महामना मालवीय जी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना कर देश को उच्च शिक्षा का एक सशक्त केंद्र दिया, जो आज भी ज्ञान, संस्कार और राष्ट्रनिर्माण की भावना का प्रतीक है।”

उन्होंने विद्यार्थियों से मालवीय जी के त्याग, तपस्या, सरलता और शिक्षा-प्रेम को अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया। साथ ही यह भी उल्लेख किया कि जनसहयोग और दान से स्थापित बीएचयू उनके महान व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।

अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण

अपने संबोधन के अगले क्रम में प्रधानाचार्य ने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। शिक्षक परिवार में जन्मे अटल जी ने भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के प्रधानमंत्री पद तक का प्रेरणादायक सफर तय किया।

उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल प्रशासक, प्रखर वक्ता, संवेदनशील कवि और सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उनका संपूर्ण जीवन लोकतंत्र, सुशासन, राष्ट्रीय एकता और मानवीय मूल्यों को समर्पित रहा।

सामूहिक श्रद्धांजलि और अनुशासित वातावरण

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के समस्त आचार्यगण ने दोनों महापुरुषों के चित्रों पर सामूहिक रूप से पुष्प अर्पित कर नमन किया। छात्रों ने पूरे कार्यक्रम में अनुशासन और गंभीरता का परिचय दिया। विद्यालय परिसर में राष्ट्रभक्ति और संस्कार की स्पष्ट झलक देखने को मिली।

बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी रहे उपस्थित

इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य सुकरा केरकेट्टा, प्रभारी प्रधानाचार्य बधनु केरकेट्टा, गौरव गोस्वामी, अंजली कुमारी, शकुंतला सिंह, प्रेमलता केरकेट्टा, निराली भागे, रेखा तुर्की, आशा कुमारी सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं। सभी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।

विद्यार्थियों में संस्कार और राष्ट्रसेवा का संदेश

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को महान राष्ट्रपुरुषों के आदर्शों, विचारों और मूल्यों से परिचित कराना रहा। विद्यालय परिवार ने यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्कार, चरित्र निर्माण और राष्ट्रसेवा की भावना भी उतनी ही आवश्यक है।

न्यूज़ देखो: संस्कारयुक्त शिक्षा की मजबूत मिसाल

सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, केतुंगाधाम का यह आयोजन यह दर्शाता है कि विद्यालय केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि संस्कार और राष्ट्रनिर्माण की प्रयोगशाला होते हैं। महामना मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महापुरुषों को स्मरण कर नई पीढ़ी को उनके आदर्शों से जोड़ना समय की आवश्यकता है। ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में नेतृत्व, सेवा और राष्ट्रप्रेम के बीज रोपे जाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

राष्ट्रपुरुषों के आदर्श अपनाएं, भविष्य को सशक्त बनाएं

महान व्यक्तित्वों की जयंती केवल स्मरण का अवसर नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और प्रेरणा का क्षण होती है। जब विद्यार्थी उनके विचारों को जीवन में उतारते हैं, तभी सच्चे राष्ट्रनिर्माण की शुरुआत होती है। हमें भी अपने आचरण और कर्म से समाज को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करना चाहिए।

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Shivnandan Baraik

बानो, सिमडेगा

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