
#पलामू #श्रद्धांजलि पांडू प्रखंड में गूंजे शिबू सोरेन अमर रहें के नारे
- पांडू प्रखंड कार्यालय में शोकसभा का आयोजन।
- श्रद्धांजलि सभा में झामुमो, राजद, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उपस्थिति।
- जवाहर पासवान ने कहा – शिबू सोरेन संघर्ष और स्वाभिमान के प्रतीक।
- सभा में कमलेश पाठक सहित कई नेताओं ने गुरुजी को याद किया।
- पूरा वातावरण शिबू सोरेन अमर रहें के नारों से गूंज उठा।
झारखंड के महान आंदोलनकारी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। इसी कड़ी में पांडू प्रखंड कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन बिश्रामपुर विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि जवाहर पासवान की पहल पर हुआ।
शोकसभा की शुरुआत मौन प्रार्थना से
सभा की शुरुआत पांच मिनट के मौन से हुई, जिसमें दिवंगत नेता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
जवाहर पासवान ने कहा: “शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि संघर्ष और स्वाभिमान के प्रतीक थे। उन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। गरीब, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकार के लिए उनका योगदान अमूल्य है।”
गूंज उठा सभा स्थल श्रद्धा के नारों से
सभा के दौरान माहौल भावुक हो गया जब कार्यकर्ताओं ने शिबू सोरेन अमर रहें के नारे लगाए। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि उनका जाना झारखंड की आत्मा को गहरा आघात है।
नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी मौजूदगी
इस श्रद्धांजलि सभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के किसान मोर्चा, पलामू जिला सचिव कमलेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कमलेश पाठक ने कहा: “एक दशक से अधिक समय बीत गया जब उन्होंने हमें झारखंड के रूप में एक अलग पहचान दी। आज उनके निधन से न केवल झारखंड मुक्ति मोर्चा, बल्कि पूरा प्रदेश शोकाकुल है। दिशोम गुरु हमारे पथप्रदर्शक थे।”
इसके अलावा, झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष इरफान अंसारी, उपाध्यक्ष वरुण बैठा, अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष मो. शाफिक अंसारी, राजद प्रखंड अध्यक्ष शमशेर आलम, कांग्रेस नेता एवं पैक्स निदेशक विक्रमादित्य पांडेय, अखिल भारतीय धोबी समाज पलामू जिला सचिव एवं एस.सी. नेता अजय बैठा, पंचायत अध्यक्ष प्रणव कुमार समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, कार्यकर्ता एवं आम जनता उपस्थित रहे।
सभा का समापन भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पण के साथ हुआ।
न्यूज़ देखो: झारखंड की पहचान को सलाम
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जाना झारखंड के लिए युगांतकारी क्षण है। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और अधिकारों की लड़ाई का पर्याय था। न्यूज़ देखो मानता है कि ऐसे नेतृत्व को नमन करना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प है।
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