
#हंसडीहा #भूमि_विवाद : मंदिर निर्माण को लेकर उपजे विवाद पर 6 घंटे चली प्रशासन और ग्रामीणों की मैराथन बैठक
- दुमका जिले के हंसडीहा में राधा–कृष्ण मंदिर निर्माण को लेकर भूमि विवाद गहराया।
- प्रशासन और ग्रामीणों के बीच करीब 6 घंटे तक चली मैराथन बैठक।
- विवादित जमीन को संवेदनशील घोषित कर धारा 144 की अनुशंसा।
- यथास्थिति बनाए रखने और किसी भी नए निर्माण पर पूर्ण रोक।
- फिलहाल पूजा की मौखिक अनुमति, लेकिन निर्माण पर सख्त प्रतिबंध।
- क्षेत्र में पुलिस गश्ती बढ़ाई गई, न्यायालय के फैसले का इंतजार।
दुमका जिले के हंसडीहा में राधा–कृष्ण मंदिर निर्माण को लेकर उपजा भूमि विवाद अब गंभीर रूप ले चुका है। इस विवाद को लेकर प्रशासन और स्थानीय ग्रामीणों के बीच करीब छह घंटे तक लंबी मैराथन बैठक चली, जिसमें हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने कई अहम निर्णय लिए। बैठक के बाद विवादित भूमि को संवेदनशील मानते हुए प्रशासन ने वहां धारा 144 लागू करने की अनुशंसा की है, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि फिलहाल क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखना अनिवार्य होगा और किसी भी प्रकार के नए निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक रहेगी। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
कैसे शुरू हुआ विवाद
जानकारी के अनुसार, हंसडीहा में राधा–कृष्ण मंदिर के निर्माण को लेकर भूमि के स्वामित्व और उपयोग को लेकर दो पक्षों के बीच लंबे समय से असहमति चली आ रही थी। हाल के दिनों में मंदिर निर्माण की गतिविधियों को लेकर विवाद और गहरा गया, जिसके बाद मामला प्रशासन तक पहुंचा।
ग्रामीणों का एक पक्ष इसे आस्था से जुड़ा विषय बता रहा है, जबकि दूसरा पक्ष जमीन को लेकर अपने दावे पेश कर रहा है। इसी टकराव के कारण क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
प्रशासन की मैराथन बैठक
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंचल प्रशासन ने दोनों पक्षों को बुलाकर करीब छह घंटे तक बैठक की। बैठक में शांति बनाए रखने, कानून-व्यवस्था को बिगड़ने से रोकने और किसी भी तरह की अफवाह या उकसावे से बचने पर जोर दिया गया।
अधिकारियों ने दोनों पक्षों को स्पष्ट शब्दों में बताया कि न्यायालय का फैसला आने तक किसी भी तरह का निर्माण कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा कि विवाद का समाधान कानूनी प्रक्रिया के तहत ही होगा, न कि दबाव या भीड़ के जरिए।
धारा 144 की अनुशंसा
प्रशासन ने विवादित भूमि और उसके आसपास के क्षेत्र को संवेदनशील क्षेत्र घोषित करते हुए धारा 144 लागू करने की अनुशंसा की है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की भीड़, टकराव या कानून-व्यवस्था की समस्या को रोकना है।
धारा 144 लागू होने की स्थिति में:
- पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक
- किसी भी तरह के प्रदर्शन या निर्माण कार्य पर प्रतिबंध
- आदेशों का उल्लंघन करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई
प्रशासन का कहना है कि यह कदम पूरी तरह से एहतियातन उठाया जा रहा है, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।
पूजा की सशर्त अनुमति
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि फिलहाल पूजा-पाठ की मौखिक अनुमति दी गई है, ताकि धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। हालांकि, यह अनुमति केवल पूजा तक सीमित है।
किसी भी तरह का नया निर्माण, विस्तार या ढांचा खड़ा करना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। प्रशासन ने साफ कहा है कि पूजा के नाम पर भी निर्माण कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बढ़ाई गई पुलिस गश्ती
विवाद के बाद क्षेत्र में पुलिस गश्ती बढ़ा दी गई है। स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार इलाके पर नजर बनाए हुए हैं।
पुलिस का कहना है कि किसी भी तरह की अफवाह फैलाने या माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोगों से भी शांति बनाए रखने और प्रशासन का सहयोग करने की अपील की गई है।
ग्रामीणों में चिंता और इंतजार
इस पूरे घटनाक्रम के बाद हंसडीहा के ग्रामीणों में चिंता और असमंजस की स्थिति है। एक ओर आस्था से जुड़ा मामला है, तो दूसरी ओर जमीन से संबंधित कानूनी विवाद।
ग्रामीणों का कहना है कि वे चाहते हैं कि मामला जल्द से जल्द न्यायालय में सुलझे, ताकि स्थायी समाधान निकल सके और क्षेत्र में शांति बहाल हो।
अब न्यायालय पर टिकी निगाहें
प्रशासन और ग्रामीणों दोनों की नजरें अब न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं। जब तक अदालत से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आता, तब तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश लागू रहेगा।
अधिकारियों का कहना है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और अदालत के निर्णय के अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
न्यूज़ देखो: संवेदनशील मामलों में संतुलन की कसौटी
हंसडीहा का यह मामला आस्था और कानून के संतुलन की बड़ी परीक्षा है। प्रशासन ने फिलहाल शांति और कानून-व्यवस्था को प्राथमिकता देते हुए एहतियाती कदम उठाए हैं। अब जिम्मेदारी सभी पक्षों की है कि वे संयम रखें और न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा करें। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शांति, संयम और समाधान
आस्था का सम्मान जरूरी है, लेकिन कानून का पालन उससे भी अधिक।
विवादों का हल टकराव नहीं, संवाद और न्यायिक प्रक्रिया है।
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