
#हुसैनाबाद #अस्पताल_लापरवाही : पोस्टमार्टम हाउस के पास बायोमेडिकल कचरा मिलने पर एसडीओ ने अस्पताल प्रशासन से फिर स्पष्ट और समयसीमा सहित स्पष्टीकरण मांगा
- हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में बायोमेडिकल कचरा बिखरा मिला।
- अस्पताल के शुरुआती स्पष्टीकरण से एसडीओ असंतुष्ट।
- प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से दोबारा विस्तृत जवाब तलब।
- एसडीओ ने तीन गंभीर सवाल उठाते हुए जिम्मेदारी तय करने को कहा।
- कचरा निपटान में लापरवाही पर प्रशासनिक कार्रवाई की आशंका।
हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में पोस्टमार्टम हाउस के पास बायोमेडिकल कचरे के खुले में बिखरे मिलने का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की ओर से भेजे गए प्रारंभिक स्पष्टीकरण को एसडीओ ने अधूरा बताते हुए उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। एसडीओ ने अस्पताल के उपाधीक्षक सह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से दोबारा विस्तृत, सटीक और तथ्य-आधारित जवाब मांगा है। इससे अस्पताल प्रबंधन पर जवाबदेही का दबाव और बढ़ गया है।
अस्पताल प्रबंधन का प्रारंभिक स्पष्टीकरण क्यों खारिज हुआ
अस्पताल की ओर से दिए गए पहले स्पष्टीकरण में दावा किया गया कि बायोमेडिकल कचरे के लिए तीन रंगों के कमरे बनाए गए थे, जिन्हें अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया। प्रशासन ने यह भी कहा कि कमरे का दरवाजा टूट जाने और बारिश के कारण जानवरों ने कचरा फैलाया। लेकिन एसडीओ ने इस तर्क को अपर्याप्त मानते हुए तीन गंभीर प्रश्न उठाए—क्या अस्पताल परिसर में पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान उपलब्ध नहीं हैं? बारिश और टूटे दरवाजे को कारण बताकर कचरा खुले में छोड़ना कैसे उचित है? और सबसे महत्वपूर्ण, सुधार कार्य और कचरा निपटान की स्पष्ट समयसीमा क्यों नहीं बताई गई?
एसडीओ की सख्ती, अस्पताल प्रशासन पर बढ़ा दबाव
एसडीओ ने स्पष्ट कहा कि अस्पताल का उत्तर न तो जिम्मेदारियों को चिन्हित करता है और न ही भविष्य में ऐसी स्थिति रोकने की कोई ठोस योजना प्रस्तुत करता है। उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से दोबारा तथ्यशील, स्पष्ट और समयसीमा आधारित जवाब देने का निर्देश दिया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो अस्पताल पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
स्थानीय आक्रोश और स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ता खतरा
अस्पताल परिसर में बायोमेडिकल कचरा खुले में बिखरा मिलना स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का गंभीर उल्लंघन है। इससे संक्रमण फैलने का जोखिम बढ़ता है और अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा होता है। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर काफी आक्रोश है और वे अस्पताल की लापरवाही को जनता की सेहत से खिलवाड़ मान रहे हैं।
आगे क्या: सुधार की दिशा में प्रशासन की निगाहें
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अस्पताल प्रबंधन संशोधित स्पष्टीकरण में क्या नई जानकारी देता है। एसडीओ के इस कड़े रुख के बाद संभावना है कि अस्पताल को कचरा प्रबंधन की व्यवस्था मजबूत करनी पड़ेगी और सुधार के लिए त्वरित कदम उठाने होंगे। यह मामला अब केवल स्पष्टीकरण का नहीं, बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता का बन गया है।
न्यूज़ देखो: अस्पतालों में कचरा प्रबंधन पर शून्य सहनशीलता जरूरी
यह घटना बताती है कि स्वास्थ्य संस्थानों में बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था अक्सर कमजोर होती है, जबकि यही संक्रमण रोकथाम की पहली रक्षा रेखा है। एसडीओ का सख्त रुख स्वागतयोग्य है, क्योंकि जवाबदेही के बिना सुधार संभव नहीं। प्रशासन को अब सुनिश्चित करना होगा कि अस्पताल सुरक्षा मानकों पर बिना किसी समझौते के काम करे।
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स्वच्छ अस्पताल, सुरक्षित समाज—जिम्मेदारी हम सबकी
स्वास्थ्य संस्थानों की लापरवाही सीधे जनस्वास्थ्य पर असर डालती है। ऐसे मामलों में आवाज उठाना, प्रशासन को सतर्क करना और व्यवस्था को सुधारने की दिशा में सामूहिक दबाव बनाना बेहद जरूरी है।
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