
#रांची #सरकारी_निर्णय : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने देशी मांगुर (Clarias magur) को झारखंड राज्य की राजकीय मछली घोषित करने के प्रस्ताव को दी स्वीकृति।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट का बड़ा निर्णय।
- देशी मांगुर (Clarias magur) को झारखंड की राजकीय मछली का दर्जा मिला।
- निर्णय आईसीएआर–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ के अनुरोध के अनुपालन में लिया गया।
- अन्य राज्यों की तरह झारखंड ने भी अब अपनी विशिष्ट मछली की राजकीय पहचान तय की।
- निर्णय से मत्स्यपालन क्षेत्र में संरक्षण और प्रोत्साहन की नई दिशा मिलेगी।
झारखंड सरकार ने बुधवार को राज्य की प्राकृतिक जल संपदा और मत्स्य विविधता की रक्षा की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में देशी मांगुर मछली (Clarias magur) को झारखंड की राजकीय मछली (State Fish) घोषित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। यह निर्णय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् – राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR–NBFGR), लखनऊ के अनुरोध के अनुपालन में लिया गया है।
देशी मांगुर: झारखंड की जल संस्कृति की पहचान
देशी मांगुर मछली झारखंड की नदियों, तालाबों और प्राकृतिक जलस्रोतों में व्यापक रूप से पाई जाती है। यह न केवल राज्य के मत्स्य संसाधनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ी हुई है। राज्य सरकार का यह निर्णय स्थानीय मत्स्यपालकों के लिए एक प्रेरणादायक कदम साबित होगा, जिससे उन्हें संरक्षण, संवर्द्धन और उत्पादन के क्षेत्र में नई ऊर्जा मिलेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देशी मांगुर मछली का चयन पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जल की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होती है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती है।
आईसीएआर की पहल और राज्यों की भागीदारी
आईसीएआर–राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो देश के विभिन्न राज्यों में जैव विविधता संरक्षण को लेकर एक विशेष अभियान चला रहा है, जिसके तहत प्रत्येक राज्य को अपनी विशेष मछली प्रजाति को “राजकीय मछली” घोषित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसी क्रम में झारखंड ने भी अब अपनी राजकीय मछली के रूप में देशी मांगुर को अपनाया है।
ब्यूरो का मानना है कि इस कदम से न केवल स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण सुनिश्चित होगा, बल्कि अवैज्ञानिक मत्स्यपालन और विदेशी प्रजातियों के बढ़ते खतरे से भी पारंपरिक जलचर संसाधनों की रक्षा की जा सकेगी।
मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए नई संभावनाएं
झारखंड में मत्स्यपालन रोजगार और आजीविका का एक बड़ा स्रोत है। सरकार के इस निर्णय से मत्स्यपालकों को देशी प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही राज्य के मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा मांगुर मछली के संवर्धन हेतु विशेष योजनाएं लाने की संभावना भी जताई जा रही है।
यह घोषणा राज्य के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में मत्स्य उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के दोहरे लक्ष्य को पूरा करेगी।
न्यूज़ देखो: झारखंड की जैव विविधता को मिला नया संरक्षण कवच
देशी मांगुर को राजकीय मछली घोषित करने का निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक घोषणा नहीं, बल्कि जल संसाधनों के संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम है। यह पहल न केवल पर्यावरण के हित में है, बल्कि झारखंड की पारंपरिक मछली संस्कृति और जैव विविधता को भी नई पहचान दिलाएगी।
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स्थानीय प्रजातियों की रक्षा, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी
यह फैसला याद दिलाता है कि राज्य की पहचान केवल उसकी भूमि या संस्कृति से नहीं, बल्कि उसकी प्राकृतिक संपदा से भी होती है। देशी मांगुर जैसे जीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के अभिन्न अंग हैं। अब समय है कि हम सब अपने जल स्रोतों, स्थानीय प्रजातियों और प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए सजग और सक्रिय बनें।
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