
#धनबाद #स्वास्थ्य_व्यवस्था – जरूरी दवाएं गायब, कुपोषण केंद्र बेहाल, गरीब मरीज हो रहे परेशान
- धनबाद सदर अस्पताल में 4 महीने से जरूरी दवाएं नहीं मिल रही हैं
- रंगाई-पुताई और पर्दों पर खर्च हो रहे लाखों रुपए, इलाज के लिए संसाधन नहीं
- अस्पताल में लिंक फेल की समस्या से मरीजों की पर्ची नहीं कट पा रही
- कुपोषण उपचार केंद्र में न पंखा, न बेडशीट, बच्चों को हो रही परेशानी
- सिविल सर्जन ने दवा उपलब्ध होने का दावा किया, जमीनी हकीकत विपरीत
रंगाई पर लाखों, लेकिन मरीजों को दवा नहीं
धनबाद। कोर्ट मोड़ स्थित सदर अस्पताल में व्यवस्था सुधारने के नाम पर 45 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। अस्पताल के दवाखाना में पिछले चार महीने से कई जरूरी दवाएं नदारद हैं, जिससे डॉक्टर मरीजों को बाहर से दवा लिखने पर मजबूर हैं।
गरीब मरीजों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है, जो बाहर से महंगी दवाएं खरीदने में सक्षम नहीं हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन दीवारों की रंगाई और पर्दों की सजावट पर लाखों रुपए खर्च कर रहा है। फर्श तक की रंगाई दोबारा कराई जा रही है।
तकनीकी खामियों से बढ़ रही है परेशानी
अस्पताल में लिंक फेल की समस्या भी रोजमर्रा की परेशानी बन गई है। इसके कारण मरीजों की पर्ची नहीं कट पा रही है और उन्हें घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। अस्पताल में पंखों की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को भीषण गर्मी में इंतजार करना पड़ रहा है।
कुपोषण केंद्र बना शोपीस, दवा और सुविधा दोनों नदारद
करीब 10 लाख रुपए खर्च कर बने कुपोषण उपचार केंद्र की हालत भी बेहद खराब है। पिछले तीन महीनों में सिर्फ 10 बच्चों को भर्ती किया गया है, और वर्तमान में वार्ड में पंखे नहीं चल रहे हैं। किसी भी बेड पर बेडशीट तक नहीं बिछाई गई है। भर्ती बच्चों के परिजनों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक स्थिति है।
“जहां-जहां कमी है उसे दूर करने की कोशिश की जा रही है। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध कराई जा रही है।”
— डॉ. चंद्रभानु प्रतापन, सिविल सर्जन, धनबाद
लेकिन ज़मीनी हकीकत सिविल सर्जन के दावे से अलग तस्वीर पेश कर रही है।
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धनबाद के स्वास्थ्य ढांचे को चाहिए ठोस सुधार, दिखावे से नहीं होगा इलाज
सिर्फ सजावट से स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं सुधरती। दवा, उपकरण और मूलभूत सुविधाओं की प्राथमिकता होनी चाहिए।
गरीब मरीजों की पीड़ा को अनदेखा कर सिर्फ रंगाई-पुताई करना जनता की भावनाओं से खिलवाड़ है।