
#लचरागढ़ #शिक्षा_संस्कार : वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड की शैक्षिक इकाई ने किया दो दिवसीय खेलकूद समारोह का भव्य आयोजन
- विवेकानंद शिशु विद्या मंदिर लचरागढ़ में वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड की शैक्षिक इकाई श्रीहरि वनवासी विकास समिति द्वारा आयोजन किया गया।
- मुख्य अतिथि प्रफुल्ल अकांत जी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री ने बच्चों को हर क्षेत्र में उत्कृष्टता का संदेश दिया।
- विशिष्ट अतिथि सुदान मुण्डा जी, अध्यक्ष वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड ने भारतीय संस्कृति की झलक की सराहना की।
- उद्घाटन समारोह में छात्रों ने सरहुल पूजा और छठ महिमा पर मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।
- खेल प्रतियोगिताओं में 200 मीटर दौड़, गोला फेंक, भाला फेंक, ऊंची कूद, लंबी कूद में बच्चों ने दिखाया जोश।
- कार्यक्रम में डोमन चंद्र महतो, राजेंद्र बड़ाईक, सुरेश द्विवेदी, प्रवीण साहू समेत कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
कोलेबिरा प्रखंड के विवेकानंद शिशु विद्या मंदिर लचरागढ़ में वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड की शैक्षिक इकाई श्रीहरि वनवासी विकास समिति झारखण्ड द्वारा दो दिवसीय खेलकूद समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती माता, भारत माता, ओउम्, सरना माता एवं भगवान बिरसा मुण्डा की तस्वीरों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन से हुई। मुख्य अतिथि श्रीमान प्रफुल्ल अकांत जी, क्षेत्रीय संगठन मंत्री, तथा विशिष्ट अतिथि श्री सुदान मुण्डा जी, अध्यक्ष वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड, के साथ प्रांत शिक्षा प्रमुख श्री सुभाषचंद्र दुबे, श्री नंदकिशोर अग्रवाल और श्री राजेश अग्रवाल की गरिमामय उपस्थिति रही।
भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत उद्घाटन समारोह
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के छात्रों ने स्वागत गीत, सरहुल पूजा की झलक पेश करने वाला नृत्य और छठ पूजा की महिमा पर एक शानदार प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों ने अतिथियों का मन मोह लिया। विद्यालय परिसर में अनुशासन, ऊर्जा और भारतीय संस्कृति का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।
अतिथियों के प्रेरक विचार
मुख्य अतिथि श्री प्रफुल्ल अकांत जी ने अपने संबोधन में कहा कि आज के बच्चों को केवल पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करनी चाहिए।
प्रफुल्ल अकांत जी ने कहा: “खिलाड़ी सदैव निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं और टीम तथा देश को सर्वोपरि रखते हैं।”
विशिष्ट अतिथि श्री सुदान मुण्डा जी ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर परिवार के खेल आयोजनों में सदैव भारतीय संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने इस कार्यक्रम को नयी पीढ़ी को संस्कार, अनुशासन और आत्मबल सिखाने का अद्भुत प्रयास बताया।
खेल प्रतियोगिताओं में दिखा जोश और एकता का संदेश
उद्घाटन समारोह के बाद विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएं प्रारंभ हुईं। किशोर वर्ग में 200 मीटर दौड़ के हिट्स कराए गए, जबकि गोला फेंक, चक्का फेंक, ऊंची कूद, लंबी कूद, और भाला फेंक जैसे खेलों में छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया। इन सभी खेलों का संचालन प्रांतीय खेलकूद प्रमुख श्री डोमन चंद्र महतो के निर्देशन में हुआ।
विभिन्न विद्यालयों से आए खेल प्रभारी आचार्य-आचार्याओं ने आयोजन को सुव्यवस्थित बनाने में योगदान दिया।
उत्साह और सहयोग से भरा माहौल
विद्यालय परिसर में पूरे दिन बच्चों का उत्साह देखने लायक था। खेल मैदान में छात्रों के चेहरों पर आत्मविश्वास झलक रहा था। प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ भाईचारे और टीम भावना की मिसाल देखने को मिली। खेलकूद आयोजन में अनुशासन और सहयोग की झलक ने उपस्थित जनों को प्रभावित किया।
समाजसेवी और शिक्षाविदों की उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का गौरव
इस अवसर पर राजेंद्र बड़ाईक, हित रक्षा प्रमुख वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड, रिकी अग्रवाल, सुरेश द्विवेदी, प्रवीण साहू, गोपाल साहू, संजय ठाकुर, जनकु सिंह, राजकुमार साहू, बिहारी पंडा, और आनंद कोठारी सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। सभी ने विद्यार्थियों के उत्साहवर्धन में योगदान दिया और इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग किया।
भारतीय परंपरा और संस्कारों का प्रतीक आयोजन
समारोह में हर प्रस्तुति और गतिविधि भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों की अभिव्यक्ति थी। विद्यालय प्रबंधन ने इस अवसर पर बच्चों के समग्र विकास पर बल दिया। कार्यक्रम का वातावरण न केवल खेलकूद की भावना से बल्कि भारतीय संस्कृति, अनुशासन और आत्मगौरव से भी परिपूर्ण रहा।

न्यूज़ देखो: संस्कृति, शिक्षा और खेल का संगम
कोलेबिरा के विवेकानंद शिशु विद्या मंदिर में आयोजित यह खेलकूद समारोह न केवल छात्रों की प्रतिभा और अनुशासन का प्रदर्शन था, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा और संस्कारों के संवर्धन का भी प्रतीक बना। वनवासी कल्याण केंद्र झारखण्ड और श्रीहरि वनवासी विकास समिति की यह पहल समाज में शिक्षा, संस्कृति और खेल के त्रिवेणी संगम को मजबूत करती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संस्कार, संस्कृति और खेल से बनेगा सशक्त भारत
खेलकूद केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, सामूहिकता और आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाते हैं। ऐसे आयोजन बच्चों को आत्मनिर्भर और संस्कारी नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करते हैं। समाज के हर हिस्से में इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। आइए, हम सब मिलकर इस संदेश को फैलाएं – शिक्षा के साथ संस्कार और खेल का संतुलन ही सशक्त भारत की नींव है। अपनी राय कमेंट करें, खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और जागरूकता फैलाएं।




