
#बरवाडीह #जनसमस्या : प्रधानमंत्री ग्रामीण जल योजना की लापरवाही से दो माह से ठप है जल आपूर्ति
- छिपादोहर बाजार टोला में प्रधानमंत्री ग्रामीण जल नल योजना का जल मीनार ढाई महीने से खराब।
- स्टार्टर जल जाने से जलापूर्ति पूरी तरह ठप है।
- महिलाओं और बच्चों को दूर-दराज़ से पानी लाना पड़ रहा है।
- ग्रामीणों ने सहायक अभियंता को आवेदन देकर की मरम्मत की मांग।
- अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को सूचित करने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई।
लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत छिपादोहर बाजार टोला में पिछले लगभग ढाई महीने से पेयजल संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण जल नल योजना के तहत लगाया गया जल मीनार लंबे समय से खराब अवस्था में है, जिससे सैकड़ों ग्रामीणों की जलापूर्ति ठप पड़ी है।
ग्रामीणों ने बताया कि जल मीनार का स्टार्टर जल जाने के कारण पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है। लगातार शिकायतों के बावजूद अब तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। स्थिति ऐसी है कि अब महिलाओं और बच्चों को रोज़ाना कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि जल मीनार के खराब होने की सूचना बार-बार पेयजल स्वच्छता विभाग और पंचायत के मुखिया को दी गई, मगर किसी ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया।
ग्रामीणों ने विभाग के सहायक अभियंता को लिखित आवेदन देकर जल्द से जल्द मरम्मत की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग्रामीण रामेश्वर उरांव ने बताया कि जल मीनार बंद होने से पूरा टोला परेशान है।
“पानी लाने के लिए हमें आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। बूढ़े और बच्चों को बहुत दिक्कत हो रही है। हमने कई बार शिकायत की, पर सुनवाई नहीं हुई।”
महिलाओं की बढ़ी मशक्कत
गांव की महिलाओं का कहना है कि रोज़ाना घर के कामकाज और बच्चों की देखभाल के साथ पानी की व्यवस्था करना अब बहुत कठिन हो गया है। कई महिलाएं सुबह-सुबह दूर के कुओं और नालों से पानी भरकर लाती हैं, जिससे दिनभर का काम प्रभावित होता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जल मीनार की मरम्मत में देरी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण जल नल योजना की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। योजना का उद्देश्य हर घर तक नल का पानी पहुंचाना था, लेकिन हकीकत में ग्रामीण अब भी पुराने दौर जैसी परेशानी झेल रहे हैं।

न्यूज़ देखो: जल संकट पर प्रशासन की नींद क्यों टूटी नहीं
छिपादोहार का यह मामला बताता है कि योजनाएं तभी सफल हैं जब उनकी निगरानी और जवाबदेही तय हो। दो महीने से बंद पड़े जल मीनार ने प्रशासनिक सुस्ती और तकनीकी उदासीनता को उजागर कर दिया है। अब जरूरी है कि अधिकारी जल्द एक्शन लेकर ग्रामीणों को राहत दें।
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अब वक्त है जागरूक होने का
पानी जैसी मूलभूत जरूरत को हल्के में लेना किसी के हित में नहीं। आइए, हम सब मिलकर अपनी पंचायतों और विभागों को जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें, ताकि ग्रामीणों की आवाज़ प्रशासन तक पहुंचे और यह समस्या जल्द सुलझे।



