
#नगरपरिषदचुनाव #ओबीसी_आरक्षण : आरक्षण शून्य किए जाने के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन और कानूनी लड़ाई का ऐलान।
नगर परिषद चुनाव में ओबीसी आरक्षण शून्य किए जाने को लेकर पिछड़ी जाति समाज में तीव्र आक्रोश देखा जा रहा है। कुंज नगर में हुई पिछड़ी जाति नगर निकाय संघर्ष समिति की बैठक में इसे ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय बताया गया। बैठक में चरणबद्ध आंदोलन, उच्च न्यायालय में रीट फाइल करने और 26 दिसंबर को सरकार का पुतला दहन करने का निर्णय लिया गया। समिति ने प्रशासन और सरकार से तत्काल आरक्षण बहाल करने की मांग की है।
- नगर परिषद चुनाव में ओबीसी आरक्षण शून्य किए जाने पर कड़ा विरोध।
- पिछड़ी जाति नगर निकाय संघर्ष समिति ने चरणबद्ध आंदोलन का लिया फैसला।
- 26 दिसंबर शुक्रवार को सरकार का पुतला दहन और आक्रोश रैली का निर्णय।
- उच्च न्यायालय में रीट याचिका दायर करने का ऐलान।
- डीसी को ज्ञापन सौंपकर वार्ता की जानकारी साझा की गई।
नगर परिषद चुनाव में ओबीसी आरक्षण शून्य किए जाने के फैसले ने जिले के पिछड़ी जाति समाज में असंतोष और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इसी मुद्दे को लेकर पिछड़ी जाति नगर निकाय संघर्ष समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक कुंज नगर में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष राम जी यादव ने की, जिसमें बड़ी संख्या में ओबीसी समाज से जुड़े लोग शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से कहा गया कि यह निर्णय ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों का हनन है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि नगर निकाय चुनाव लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा विषय है और इसमें ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व से वंचित करना सामाजिक न्याय की भावना के खिलाफ है। समिति ने स्पष्ट किया कि जब तक ओबीसी आरक्षण बहाल नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
समिति की बैठक में उठे तीखे सवाल
बैठक को संबोधित करते हुए समिति के मुख्य संरक्षक जगदीश साहू ने बताया कि ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर जिलाधिकारी (डीसी) को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। उन्होंने डीसी के साथ हुई वार्ता की जानकारी भी साझा की और कहा कि प्रशासन को इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराया गया है।
जगदीश साहू ने कहा:
“ओबीसी आरक्षण शून्य करना सीधे-सीधे पिछड़ी जाति समाज के साथ अन्याय है। हमारी मांग पूरी तरह संवैधानिक है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।”
उन्होंने यह भी कहा कि समिति प्रशासनिक और कानूनी दोनों स्तरों पर संघर्ष करेगी, ताकि ओबीसी समाज को उसका अधिकार मिल सके।
अन्य जिलों का हवाला, जिले में भेदभाव का आरोप
समिति के अध्यक्ष राम जी यादव ने अपने संबोधन में कहा कि गुमला और लोहरदगा जिला में नगर परिषद चुनाव में ओबीसी को आरक्षण दिया गया है, जबकि इस जिले को इससे वंचित रखा गया है। उन्होंने इसे स्पष्ट भेदभाव बताते हुए कहा कि यह ओबीसी वर्ग के साथ शोषण के समान है।
राम जी यादव ने कहा:
“जब पड़ोसी जिलों में ओबीसी को आरक्षण मिल सकता है, तो हमारे जिले में इसे शून्य करना समझ से परे है। यह फैसला ओबीसी समाज की आवाज दबाने का प्रयास है।”
उन्होंने कहा कि समिति इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करेगी और किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी।
कानूनी लड़ाई का निर्णय
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में रीट याचिका दायर की जाएगी। समिति का मानना है कि न्यायालय के माध्यम से संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।
समिति सदस्यों ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने के साथ-साथ कानूनी रास्ता अपनाना जरूरी है, ताकि सरकार और प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके। रीट फाइल करने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने पर सहमति बनी।
चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा
बैठक में चरणवार आंदोलन की विस्तृत रणनीति भी तय की गई। पहले चरण में 26 दिसंबर, शुक्रवार को सरकार का पुतला दहन करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत शाम 4 बजे प्रिंस चौक से आक्रोश रैली निकाली जाएगी, जो नीचे बाजार पेट्रोल पंप तक जाएगी और इसके बाद महावीर चौक में पुतला दहन किया जाएगा।
इसके बाद आंदोलन के अगले चरण में धरना-प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया। समिति ने संकेत दिया कि यदि इसके बाद भी सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
बंद और व्यापक आंदोलन पर भी चर्चा
बैठक में आंदोलन को व्यापक रूप देने पर भी चर्चा हुई। समिति सदस्यों ने सुझाव दिया कि आवश्यकता पड़ने पर जिला और प्रमंडल स्तर पर बंद बुलाने पर भी विचार किया जाएगा। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अगली बैठक में सभी वर्गों से विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा।
समिति ने पिछड़ी जाति से जुड़े सभी वर्गों के लोगों से अपील की कि वे अगली बैठक में बड़ी संख्या में शामिल होकर आंदोलन को मजबूती प्रदान करें।
बैठक में उपस्थित प्रमुख लोग
इस महत्वपूर्ण बैठक में अनूप केशरी, रमेश महतो, अरविंद प्रसाद, अशोक, दिलीप साह, सुनील साह, उदय साह, मुकेश प्रसाद, अमित प्रसाद, अनूप प्रसाद, परशुराम साहु, शंभू भगत, बजरंग, संजय गुप्ता, राकेश जायसवाल सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में ओबीसी आरक्षण बहाल करने की मांग का समर्थन किया।
न्यूज़ देखो: सामाजिक न्याय की कसौटी पर खड़ा फैसला
नगर परिषद चुनाव में ओबीसी आरक्षण शून्य करना सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब समान परिस्थितियों वाले अन्य जिलों में आरक्षण दिया जा रहा है, तो यहां वंचित रखना असमानता को दर्शाता है। संघर्ष समिति का आंदोलन लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में अहम कदम है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रशासन इस आक्रोश पर क्या रुख अपनाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अधिकारों की लड़ाई में एकजुटता जरूरी
ओबीसी समाज की यह लड़ाई केवल एक वर्ग की नहीं, बल्कि समानता और प्रतिनिधित्व की लड़ाई है। जब तक लोग एकजुट रहेंगे, तब तक आवाज मजबूत रहेगी।
संविधान प्रदत्त अधिकारों के प्रति जागरूक बनें और लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी बात रखें।





