Latehar

आदिवासी युवक की मौत के बाद भी नहीं मिली राहत, सिस्टम की संवेदनहीनता ने तोड़ा भरोसा: एम्बुलेंस ने मांगे ईंधन के लिए पैसे

Join News देखो WhatsApp Channel
#महुआडांड़ #ट्रैक्टर_हादसा — रौशन बृजिया की मौत के बाद पोस्टमार्टम, एंबुलेंस और अंतिम प्रक्रिया में गरीबी और अव्यवस्था ने बढ़ाया परिजनों का दुख
  • महुआडांड़ में ट्रैक्टर पलटने से आदिम जनजातीय युवक की मौत
  • रांची रेफर के दौरान डुमरी में तोड़ा दम, शव सीएचसी वापस लाया गया
  • थाना सीमा विवाद के कारण पोस्टमार्टम में घंटों की देरी
  • एंबुलेंस ने शव ढोने के लिए परिजनों से ₹2000 ईंधन के नाम पर लिए
  • गरीब मां के पास अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं थे

मौनाडीह में दर्दनाक हादसा, आदिवासी युवक की मौके पर बिगड़ी हालत

लातेहार जिले के महुआडांड़ अनुमंडल अंतर्गत दुरूप पंचायत के मौनाडीह गांव के पास गुरुवार को ट्रैक्टर पलटने की घटना में रौशन बृजिया नामक एक आदिम जनजातीय युवक की मौत हो गई। वह पुरानडीह गांव का निवासी था और घटना के समय ट्रैक्टर पर सवार था। ट्रैक्टर पलटने से उसके सिर और शरीर में गंभीर चोटें आईं, जिससे स्थिति बेहद नाजुक हो गई।

रिम्स रांची ले जाने के दौरान मौत, शव वापस महुआडांड़ लाया गया

गंभीर रूप से घायल रौशन को महुआडांड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे रिम्स, रांची रेफर कर दिया गया। परंतु गुमला जिला के डुमरी थाना क्षेत्र में रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसके बाद शव को वापस महुआडांड़ सीएचसी लाया गया, जहां परिजन घंटों शव के साथ परेशान होते रहे

थानों की सीमा विवाद बना पोस्टमार्टम में बाधा

यह हादसा नेतरहाट और महुआडांड़ थाना क्षेत्र की सीमा पर घटित हुआ था, जिसके कारण सीमा विवाद को लेकर शव का पोस्टमार्टम घंटों तक अटका रहा। शुक्रवार सुबह 11 बजे तक शव अस्पताल में ही पड़ा रहा, जबकि परिजन बिना किसी मदद के इंतजार करते रहे। इस दौरान कोई प्रशासनिक मदद उपलब्ध नहीं कराई गई

संवेदनहीनता की हद: एंबुलेंस ने मांगे ₹2000

घटना के सबसे दर्दनाक और शर्मनाक पहलुओं में से एक यह रहा कि सीएचसी से पोस्टमार्टम के लिए शव ले जा रही एंबुलेंस सेवा ने ₹2000 ईंधन के नाम पर वसूले। परिजनों ने बताया कि जब तक पैसा नहीं दिया गया, तब तक एंबुलेंस नहीं चली। ऐसे कठिन समय में यह सरकारी व्यवस्था की क्रूर असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

परिजन ने बताया: “हमारे पास पैसा नहीं था, लेकिन बिना ₹2000 दिए एंबुलेंस वाले शव नहीं ले जा रहे थे।”

गरीब मां के पास नहीं थे अंतिम संस्कार के पैसे

मृतक की मां बेहद गरीब और असहाय है। उसके पास पोस्टमार्टम और अंतिम क्रिया के लिए भी पैसे नहीं थे। न कोई राहत राशि दी गई और न ही स्थानीय प्रशासन की ओर से मदद का हाथ बढ़ाया गया। जो कुछ भी व्यवस्था हुई, वह ग्रामीणों और परिजनों के जतन से ही हो पाया।

डॉक्टर की पहल भी सिस्टम की असफलता नहीं रोक सकी

सीएचसी प्रभारी डॉ. अमित खलखो ने स्थिति को देखते हुए एंबुलेंस की व्यवस्था की, लेकिन ईंधन के लिए पैसे परिजनों से ही लिए गए। यह स्पष्ट करता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं भी गरीबों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं और आपात स्थितियों में कोई स्थायी समाधान नहीं है।

न्यूज़ देखो: आदिवासी दर्द पर संवेदनहीन सिस्टम का तमाचा

न्यूज़ देखो यह सवाल उठाता है कि जब एक आदिम जनजातीय युवक की मौत के बाद भी उसे सम्मानजनक अंतिम प्रक्रिया नहीं मिल सकती, तो हमारी सरकारी व्यवस्था किसके लिए है?
गांव, गरीबी और आदिवासी वंचना की यह कहानी बताती है कि आपदा प्रबंधन और सामाजिक न्याय के नाम पर जो भी योजनाएं हैं, वे मौके पर नदारद रहती हैं
सरकार को तत्काल राहत कोष और संवेदनशील एंबुलेंस व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि दुख की घड़ी में परिवार को अपमान का घूंट न पीना पड़े
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जागरूक समाज ही बदलाव की बुनियाद है

यदि आपके आसपास कोई ऐसी घटना हो जहां सिस्टम की असंवेदनशीलता लोगों के लिए पीड़ा बन रही हो, तो उसे उजागर करें।
आपकी आवाज़ ही किसी गरीब परिवार की मदद बन सकती है।
इस खबर पर अपनी राय नीचे कमेंट करें, इसे रेट करें और अपने दोस्तों व परिजनों के साथ साझा करें, ताकि संवेदनशीलता के लिए माहौल बन सके।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250925-WA0154
1000264265
Engineer & Doctor Academy
20250923_002035
Radhika Netralay Garhwa
IMG-20250723-WA0070
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

Back to top button
error: