
#गुमला #सड़कसुरक्षा : झारखंड स्थापना दिवस समारोह में परिवहन विभाग ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए।
- गुमला नगर भवन में स्थापना दिवस पर सड़क सुरक्षा स्टॉल लगाया गया।
- दोपहिया दुर्घटना मौतों में 86% कारण हेलमेट न पहनना पाया गया।
- चारपहिया वाहन चालकों में 80% मौतें सीट बेल्ट न लगाने से होती हैं।
- हेलमेट से जुड़े प्रमुख मिथक स्टॉल पर दूर किए गए।
- नागरिकों ने सुरक्षित सफर की सामूहिक शपथ ली।
गुमला के नगर भवन में आयोजित 25वें झारखंड स्थापना दिवस समारोह में जिला परिवहन विभाग ने सड़क सुरक्षा को केंद्र में रखते हुए एक विशेष जागरूकता स्टॉल लगाया, जिसने लोगों का व्यापक ध्यान आकर्षित किया। स्टॉल का उद्देश्य नागरिकों को यह समझाना था कि छोटी सी लापरवाही भी जीवन की बड़ी कीमत बन सकती है। विभाग द्वारा प्रस्तुत झारखंड राज्य सड़क दुर्घटना विश्लेषण रिपोर्ट 2020 के आंकड़ों ने लोगों में गंभीरता और चिंता दोनों बढ़ाई। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में उपस्थित नागरिकों को नियमों का पालन करने और सुरक्षित ड्राइविंग को जीवन का अनिवार्य हिस्सा मानने का संदेश दिया गया।
सड़क दुर्घटनाओं के चौंकाने वाले आंकड़ों ने चिंताएं बढ़ाईं
स्थापना दिवस समारोह में लगाए गए सड़क सुरक्षा स्टॉल पर प्रमुख रूप से जिस तथ्य ने सभी को हिला दिया, वह था दोपहिया वाहनों में होने वाली 86 प्रतिशत मौतें सिर्फ हेलमेट न पहनने के कारण होना। विभाग के अनुसार दोपहिया चलाते समय हेलमेट पहनने की आदत अभी भी बहुत कमजोर है, जिसका सीधा परिणाम असमय मौत के रूप में सामने आता है।
चारपहिया वाहनों में भी स्थिति कम भयावह नहीं है, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत मृत्यु सीट बेल्ट न लगाने के कारण होती है। विभाग ने स्पष्ट किया कि आगामी दिनों में ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि नागरिक यातायात नियमों को गंभीरता से लें।
हेलमेट और सीट बेल्ट से जुड़े मिथकों का हुआ खंडन
सड़क सुरक्षा स्टॉल पर सबसे अधिक चर्चा हेलमेट से जुड़े मिथकों को लेकर हुई। कई लोग हेलमेट को असुविधा, गंजापन या कम स्पीड होने पर अनिवार्य न समझने जैसी गलत धारणाओं से जोड़ते हैं।
विभाग ने लोगों को बताया कि
- साफ और सही फिटिंग वाले हेलमेट से गंजापन नहीं होता।
- दुर्घटना किसी भी स्पीड पर हो सकती है, इसलिए हर स्पीड पर हेलमेट अनिवार्य है।
- केवल ISI या DOT प्रमाणित हेलमेट का प्रयोग जीवन रक्षक सिद्ध होता है।
- हेलमेट की उम्र 5 वर्ष होती है और दुर्घटना के बाद उसे तुरंत बदल देना चाहिए।
- 3 साल से ऊपर के बच्चों को भी हेलमेट पहनाना अनिवार्य है।
इन जानकारियों ने लोगों में हेलमेट और सीट बेल्ट उपयोग को लेकर नए स्तर की जागरूकता पैदा की।
सुरक्षा मानकों की जानकारी और उपयोगी मार्गदर्शन
स्टॉल पर आने वाले नागरिकों को सड़क सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की गईं। पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों, अभिभावकों, युवाओं और छात्रों को साइबर अपराध की तरह सड़क दुर्घटनाओं के नए तरीकों एवं उनसे बचने के उपायों के बारे में बताया।
लोगों को टोल फ्री नंबर 1930, एनसीआरपी पोर्टल, और अन्य सुरक्षा संसाधनों की भी जानकारी दी गई, ताकि दुर्घटना के समय तुरंत और प्रभावी सहायता मिल सके।
नागरिकों ने ली “सुरक्षित सफर” की सामूहिक शपथ
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित जनसमूह को रोड सेफ्टी हैंडबुक, जागरूकता सामग्री और सुरक्षा संदेशों के साथ दिशानिर्देश दिए गए।
इसके बाद माननीय मंत्री, उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और सभी उपस्थित अधिकारियों की उपस्थिति में नागरिकों ने एक स्वर में यह शपथ ली—
“मैं प्रतिज्ञा करता/करती हूँ कि हमेशा हेलमेट पहन कर बाइक चलाऊँगा/चलाऊँगी।”
यह शपथ सड़क सुरक्षा को केवल नियम नहीं, बल्कि जीवन व्यवहार का हिस्सा बनाने का भावनात्मक संकल्प बन गई।

न्यूज़ देखो: सड़क सुरक्षा पर जागरूकता का नया संदेश
यह अभियान बताता है कि सड़क सुरक्षा केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक के जीवन की सुरक्षा से जुड़ा हुआ विषय है। परिवहन विभाग की पहल ने यह स्पष्ट किया कि यदि लोग बुनियादी सुरक्षा नियमों जैसे हेलमेट और सीट बेल्ट का पालन करें, तो अधिकांश दुर्घटनाओं में मौतों को रोका जा सकता है। प्रशासन की जागरूकता गतिविधि और नागरिकों की सहभागिता मिलकर सुरक्षित झारखंड के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षित सफर अपनाएं, जीवन की कीमत समझें
सुरक्षा नियमों का पालन केवल अपने जीवन की सुरक्षा नहीं, बल्कि परिवार और समाज की जिम्मेदारी भी है। हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे छोटे कदम बड़ी दुर्घटनाओं से जीवन बचा सकते हैं। सड़क सुरक्षा के प्रति सजग होना हर नागरिक का कर्तव्य है, इसलिए आज से ही सुरक्षित ड्राइविंग की आदत डालें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
अब समय है कि हम सभी नियमों को बोझ नहीं, बल्कि सुरक्षा कवच मानें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और आसपास के लोगों को भी सुरक्षित सफर के महत्व से अवगत कराएं।





