
#महुआडांड़ #तुलसीविवाह : भक्ति, प्रेम और परंपरा के संगम से महुआडांड़ क्षेत्र दो दिनों तक रहा आलोकित
- महुआडांड़ प्रखंड में एक और दो नवम्बर को बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ तुलसी पूजा संपन्न हुई।
- महिलाओं और युवाओं ने घरों और मंदिरों में तुलसी चौरा को फूलों, दीपों और रंगोली से सजाया।
- भगवान विष्णु और तुलसी माता की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई।
- गांव-गांव में हुआ तुलसी विवाह, महिलाओं ने गाए भक्ति गीत और किया सामूहिक नृत्य।
- महुआडांड़ बाजार, राजडंडा, चटकपुर, हामी, पकड़ी मोहल्ला, चम्पा सहित पूरे क्षेत्र में उमड़ा भक्तिमय माहौल।
महुआडांड़ क्षेत्र दो दिनों तक भक्ति और उत्सव के रंग में सराबोर रहा। एक और दो नवम्बर को पूरे प्रखंड में तुलसी विवाह और पूजा के आयोजन ने वातावरण को पवित्र बना दिया। हर घर, मंदिर और चौक-चौराहे पर तुलसी चौरा को फूलों, दीपों, केले के पत्तों और रंगोली से सजाया गया। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर तुलसी माता और भगवान विष्णु की पूजा में लीन रहीं, वहीं युवाओं और बच्चों ने भी पूरे उत्साह से भाग लिया।
श्रद्धा और उत्साह से भरा माहौल
तुलसी विवाह के अवसर पर महुआडांड़ की गलियां और मंदिर भक्तिमय ध्वनियों से गूंज उठीं। महिलाओं ने भजन, आरती और पारंपरिक गीतों के साथ तुलसी माता की आराधना की। पूजा के दौरान भक्तों ने दूध, हल्दी, चंदन, फूल और धूप अर्पित कर अपने परिवारों की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना की। क्षेत्र के कई स्थानों पर सामूहिक तुलसी विवाह का आयोजन भी हुआ, जहां ग्रामीण एक साथ एकत्र होकर पूजा में शामिल हुए।
एक महिला भक्त ने कहा: “तुलसी विवाह केवल पूजा नहीं, यह प्रेम, सहयोग और एकता का संदेश देने वाला पर्व है। इस परंपरा से समाज में आपसी सौहार्द बढ़ता है और पारिवारिक एकता मजबूत होती है।”
गांव-गांव में गूंजे भक्ति गीत
महुआडांड़ बाजार से लेकर राजडंडा, चटकपुर, हामी, पकड़ी मोहल्ला और चम्पा गांव तक हर ओर भक्ति की लहर दौड़ गई। तुलसी चौरा को सजाने में महिलाओं और युवतियों ने दिनभर जुटकर उत्सव को भव्य स्वरूप दिया। शाम होते ही दीपों की रोशनी और फूलों की खुशबू से पूरा क्षेत्र महक उठा। बच्चों ने फूल-मालाएं चढ़ाईं और तुलसी विवाह की परंपरागत कथा सुनी।
एक युवा श्रद्धालु ने बताया: “तुलसी पूजा हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। यह हमें प्रकृति के प्रति आस्था और सम्मान सिखाती है। हर साल इस दिन हम अपने पूर्वजों की परंपरा को याद करते हैं और एकजुट होकर पूजा करते हैं।”
तुलसी पूजा का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
तुलसी विवाह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और आध्यात्मिक जागृति का भी पर्व है। महुआडांड़ में इस बार का आयोजन पहले से अधिक भव्य रहा। गांव-गांव में तुलसी चौरा के चारों ओर दीपों की श्रृंखला ने माहौल को उज्जवल बना दिया। इस दौरान कई जगह महिलाओं ने सामूहिक नृत्य और गीत प्रस्तुत किए, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बन गया।
इस पूजा ने यह संदेश दिया कि भक्ति और एकता से समाज में शांति और समृद्धि लाई जा सकती है। ग्रामीणों ने कहा कि तुलसी माता के विवाह का यह पर्व उन्हें हर साल नई ऊर्जा, विश्वास और प्रेम का संदेश देता है।
न्यूज़ देखो: परंपरा और आस्था का संगम बना महुआडांड़
महुआडांड़ की तुलसी पूजा ने यह सिद्ध किया कि संस्कृति और आस्था की जड़ें आज भी ग्रामीण समाज में गहरी हैं। लोगों की सहभागिता, एकजुटता और भक्ति ने इस आयोजन को अद्भुत बना दिया। यह केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समाजिक एकता और परंपरा के संरक्षण का उदाहरण है।
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भक्ति में एकता – परंपरा में शक्ति
महुआडांड़ की इस तुलसी पूजा ने पूरे क्षेत्र को प्रेम, भक्ति और श्रद्धा के सूत्र में बांध दिया। दीपों की रोशनी और फूलों की खुशबू में समाज ने एकता और आध्यात्मिकता का संदेश पाया। अब समय है कि हम सभी अपनी परंपराओं को जीवित रखें, उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं और अपने गांव-समाज को आस्था और सद्भाव से सशक्त बनाएं।
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