Ranchi

सीमा कुमार की दो कृतियों का हुआ लोकार्पण, साहित्य और संवेदना के संग हुआ जीवन का भावपूर्ण चित्रण

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#रांची #पुस्तक_लोकार्पण – साहित्यकारों और पाठकों की मौजूदगी में रचनात्मक विमर्श का जीवंत उदाहरण बना समारोह

  • पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने किया पुस्तकों का लोकार्पण
  • ‘दक्ष’ और ‘एक एहसास मेरी आकांक्षा’ में संवेदनाओं का अनूठा चित्रण
  • समारोह में यशस्विनी सहाय, सुरिंदर कौर नीलम समेत कई प्रमुख साहित्यकार शामिल
  • पुस्तकों को समाज के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक बताया गया
  • पाठकों में साहित्य के प्रति बढ़ती रुचि का मिला संदेश
  • रचनात्मक संवाद और आत्म-चिंतन को प्रोत्साहित करता रहा आयोजन

साहित्य और आत्म-अभिव्यक्ति का समावेश

रांची के प्रतिष्ठित होटल माही रेस्टोरेंट में शनिवार को लेखिका सीमा कुमार द्वारा रचित दो भावनात्मक कृतियों — ‘दक्ष (काव्य संग्रह)’ और ‘एक एहसास मेरी आकांक्षा’ — का लोकार्पण एक गरिमामय समारोह में किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने बतौर मुख्य अतिथि इन पुस्तकों का अनावरण किया। कार्यक्रम में साहित्य, संस्कृति और सामाजिक चेतना की त्रिवेणी देखने को मिली।

इस अवसर पर सुबोधकांत सहाय ने कहा:

“ज्ञानवर्धक पुस्तकें पथ प्रदर्शक होती हैं। पुस्तकें पढ़ना एक अच्छी आदत है।”

उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश में पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति घट रही है, लेकिन साहित्य के सच्चे प्रेमी आज भी ज्ञानवर्धक रचनाओं की ओर आकर्षित होते हैं। दोनों पुस्तकों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इन रचनाओं में जीवन की संवेदनशीलता, आकांक्षाएं और सामाजिक यथार्थ का संतुलित चित्रण है।

काव्य और अनुभूति का प्रभावी प्रस्तुतिकरण

‘दक्ष’ एक ऐसा काव्य संग्रह है, जिसमें जीवन की सूक्ष्म भावनाएं, संघर्ष, और आत्म-चिंतन के पहलुओं को बखूबी उकेरा गया है। वहीं, ‘एक एहसास मेरी आकांक्षा’ पुस्तक में लेखिका ने अपनी आत्मानुभूति को शब्दों का ऐसा रूप दिया है, जो पाठकों को अंदर तक झकझोरता है।

दोनों पुस्तकों की रचनात्मकता को लेकर सुरिंदर कौर नीलम और अन्य साहित्यकारों ने भी सराहना की और कहा कि ऐसी रचनाएं समाज को सोचने और आत्मविश्लेषण के लिए प्रेरित करती हैं।

आयोजन में साहित्यिक और सामाजिक हस्तियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में कांग्रेस नेत्री और रांची लोकसभा से पूर्व प्रत्याशी यशस्विनी सहाय, प्रख्यात कवयित्री सुरिंदर कौर नीलम, प्राची नारायण, रेणु झा, निकेश लाल, सारिका समेत कई साहित्य प्रेमी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने सीमा कुमार की लेखनी को गंभीर, भावनात्मक और यथार्थपरक बताते हुए उनके कार्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

इस समारोह ने न सिर्फ रचनाओं का लोकार्पण किया, बल्कि साहित्य और पाठकों के बीच संवाद का सेतु भी निर्मित किया।

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