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प्रखंड प्रमुख दीपा कुमारी के नेतृत्व में काली पट्टी लगाकर बीडीओ के खिलाफ होगा विरोध प्रदर्शन

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#विशुनपुरा #प्रशासनिकविवाद : पंचायत प्रतिनिधियों ने बैठक में बीडीओ की मनमानी के खिलाफ जताई नाराजगी — 12 अगस्त को करेंगे सांकेतिक विरोध
  • ब्लॉक प्रमुख दीपा कुमारी के नेतृत्व में 12 अगस्त को काली पट्टी लगाकर बैठक में शामिल होंगे सभी पंचायत जनप्रतिनिधि।
  • झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 76(म) के अनुपालन की मांग।
  • मनरेगा कार्य में अन्य विभागीय कर्मियों की नियुक्ति को बताया नियम विरुद्ध।
  • कर्मियों का तबादला बिना पंचायत समिति की स्वीकृति के किए जाने पर विरोध।
  • अवकाश स्वीकृति प्रक्रिया में पक्षपात का आरोप।
  • पंचायत समिति के प्रस्ताव समय पर विभागों को न भेजने से विकास कार्य प्रभावित

12 अगस्त को विशुनपुरा प्रखंड सभागार में होने वाली बैठक इस बार सामान्य नहीं होगी। ब्लॉक प्रमुख दीपा कुमारी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया है कि वह और सभी पंचायत जनप्रतिनिधि काली पट्टी बांधकर इसमें शामिल होंगे, ताकि बीडीओ के नियम विरुद्ध कार्यों का सांकेतिक विरोध दर्ज कराया जा सके। प्रमुख का कहना है कि प्रखंड कार्यालय में लगातार पंचायती राज अधिनियम की अनदेखी की जा रही है, जिससे न सिर्फ प्रतिनिधियों का अधिकार कम हो रहा है बल्कि विकास कार्य भी ठप पड़ रहे हैं।

कानूनी अधिकारों की अनदेखी का आरोप

दीपा कुमारी ने झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 76 के खंड xxxii(म) का हवाला देते हुए कहा कि पंचायत कर्मियों पर सीधा नियंत्रण का अधिकार पंचायत समिति को है, लेकिन बीडीओ द्वारा बार-बार इस अधिकार का हनन किया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के पत्रांक 1676 (14-12-2023) और गढ़वा उप विकास आयुक्त के पत्रांक 1428 (15-12-2023) का उल्लेख करते हुए कहा कि इन निर्देशों में साफ लिखा है — मनरेगा कर्मी के रहते अन्य विभागीय कर्मियों से मनरेगा का काम लेना नियम विरुद्ध है, लेकिन प्रखंड में यह प्रथा जारी है।

तबादला और कार्य वितरण में मनमानी

प्रमुख ने कहा कि पंचायत कर्मियों का स्थानांतरण बिना पंचायत समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किए, बिना चर्चा किए मनमाने ढंग से किया जा रहा है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक पंचायत कर्मी का केवल 6 महीने के कार्यकाल में ही बीडीओ ने तबादला कर दिया, जबकि उस पर कोई जन शिकायत तक नहीं थी। वहीं, मनरेगा जेई रणधीर कुमार को ब्लॉक ज्वाइन किए कई महीने हो गए, लेकिन अब तक उन्हें किसी पंचायत का प्रभार नहीं दिया गया।
इस वजह से तीन पंचायतों में पीएम आवास और अबुआ आवास योजना के तहत लेबर डिमांड शून्य हो गई है। प्रमुख का आरोप है कि ऐसे तबादले पैसों के बदले हो रहे हैं।

सरकारी निर्देशों की अनदेखी

दीपा कुमारी ने कहा कि सरकारी गाइडलाइन को दरकिनार कर बीडीओ द्वारा लगातार मनरेगा कार्य में अन्य विभागीय कर्मियों को लगाया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि बीडीओ को जनता की संतुष्टि और सरोकार से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि निजी हित सर्वोपरि है।

अवकाश स्वीकृति में पक्षपात

प्रमुख ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक किसी विभागीय कर्मी या पदाधिकारी ने प्रमुख या मुखिया से अवकाश की अनुमति नहीं मांगी, फिर भी अवकाश स्वीकृत होते रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीडीओ के चहेते कर्मियों को 6 महीने में 2 महीने का अतिरिक्त अवकाश दिया जाता है, जबकि अन्य कर्मियों को केवल 4 दिन के अवकाश के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता है।

पंचायत समिति के प्रस्ताव अधर में

प्रमुख ने बताया कि पंचायत समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव — जैसे नियोजित बाजार प्रबंधन, सड़क निर्माण, ऑटो/बस स्टैंड निर्माण, सब्जी मंडी, और उच्च विद्यालय मैदान अतिक्रमण से संबंधित समस्याएं — समय पर विभागों को नहीं भेजे जा रहे हैं। इस कारण, ये सभी कार्य अधर में लटके हैं और जनता को सुविधा नहीं मिल पा रही है।

ब्लॉक प्रमुख दीपा कुमारी ने कहा: “अब बीडीओ की मनमानी प्रखंड कार्यालय में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम नियम संगत जांच की मांग करते हैं और पंचायती राज अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का सम्मान चाहते हैं।”

विरोध की मुख्य मांगें

  1. बीडीओ के सभी मनमानी व प्रशासनिक मूल्यों के विरुद्ध कार्यों की नियम संगत जांच हो।
  2. पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 76(म) का विस्तृत परिभाषा दी जाए।
  3. पंचायत जनप्रतिनिधियों को प्रदत्त शक्तियों का सम्मान हो।
  4. पंचायत कर्मियों का स्थानांतरण पंचायत समिति की बैठक से सुनिश्चित हो।
  5. कर्मियों/पदाधिकारियों की अंतिम अवकाश स्वीकृति संबंधित पंचायत जनप्रतिनिधि से हो।

न्यूज़ देखो: जनप्रतिनिधियों के अधिकारों की खुली लड़ाई

यह मामला केवल एक प्रखंड या एक प्रमुख का नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन और जनप्रतिनिधियों की गरिमा का सवाल है। जब चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकार को प्रशासनिक स्तर पर लगातार कमजोर किया जाता है, तो यह लोकतंत्र की जड़ों को प्रभावित करता है। न्यूज़ देखो इस संघर्ष को जनता के सामने लाकर यह संदेश देना चाहता है कि जनप्रतिनिधियों के अधिकारों और सरकारी नियमों की रक्षा करना ही सुशासन की नींव है।
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