Giridih

उसरी जलप्रपात गिरिडीह का प्राकृतिक स्वर्ग, रोमांच और सुकून का अनूठा संगम

#गिरिडीह #झारखंड #उसरीजलप्रपात : जंगलों के बीच गिरता तीन धाराओं वाला झरना बना पर्यटकों का पसंदीदा पिकनिक स्थल।

गिरिडीह जिले का उसरी जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता, शांति और रोमांच का अनोखा संगम है, जो हर वर्ष हजारों सैलानियों को आकर्षित करता है। उसरी नदी पर लगभग 39 से 40 फीट की ऊंचाई से गिरता यह झरना तीन धाराओं में बहता है और नीचे एक प्राकृतिक पूल का निर्माण करता है। पारसनाथ पहाड़ी की पृष्ठभूमि और घने जंगलों के बीच स्थित यह स्थल पिकनिक, फोटोग्राफी और पारिवारिक भ्रमण के लिए आदर्श माना जाता है। खासकर दिसंबर और जनवरी में यहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जाती है।

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  • उसरी नदी पर बना लगभग 40 फीट ऊंचा झरना
  • तीन धाराओं में गिरता जलप्रपात और प्राकृतिक पूल।
  • पारसनाथ पहाड़ी का मनोरम दृश्य मुख्य आकर्षण।
  • दिसंबर–जनवरी में पिकनिक सीजन के दौरान सर्वाधिक भीड़।
  • ₹10 करोड़ का इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट विकास के चरण में।

झारखंड अपनी हरियाली, पहाड़ों और झरनों के लिए जाना जाता है और गिरिडीह जिले का उसरी जलप्रपात इसी पहचान को और मजबूत करता है। यह स्थल न केवल स्थानीय लोगों बल्कि आसपास के जिलों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी सुकून और आनंद का केंद्र बन चुका है। सप्ताहांत और छुट्टियों में यहां परिवार, युवा समूह और प्रकृति प्रेमियों की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ती है।

उसरी जलप्रपात की सबसे बड़ी खासियत इसका प्राकृतिक स्वरूप है। यहां गिरता कलकल करता पानी, चट्टानों की अनोखी बनावट और चारों ओर फैला घना जंगल मन को सहज ही आकर्षित करता है। झरने के नीचे बना प्राकृतिक पूल गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम में स्नान के लिए लोगों को आकर्षित करता है, हालांकि सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।

स्थान और पहुँच की जानकारी

उसरी जलप्रपात गिरिडीह शहर से लगभग 10 से 15 किलोमीटर पूर्व टुंडी रोड पर स्थित है। मुख्य सड़क से एक गेट के बाद लगभग 2 से 2.5 किलोमीटर पैदल रास्ता तय करना पड़ता है, जो रोमांच से भरा अनुभव देता है। इस मार्ग पर चलते हुए जंगल, पहाड़ी रास्ते और पक्षियों की चहचहाहट सफर को यादगार बना देती है।

यहां तक पहुंचने के लिए ऑटो, टैक्सी या निजी वाहन आसानी से उपलब्ध हैं। अच्छी बात यह है कि फिलहाल यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता, जिससे यह हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ पिकनिक स्थल बना हुआ है।

आकर्षण और गतिविधियाँ

उसरी जलप्रपात केवल झरना देखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां कई गतिविधियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
चट्टानों की प्राकृतिक आकृतियां, बहते पानी की आवाज और चारों ओर फैला जंगल ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए खास है।
ऊंचाई पर बने वॉच टावर से झरने और आसपास के जंगलों का दृश्य बेहद मनमोहक नजर आता है। साफ मौसम में यहां से पारसनाथ पहाड़ी की झलक भी देखने को मिलती है।

फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह स्थान किसी जन्नत से कम नहीं है। सुबह और शाम के समय रोशनी के बदलते रंग झरने को और भी आकर्षक बना देते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यहां कई प्रजातियों के पक्षी देखने को मिल जाते हैं।

सुविधाएं और विकास कार्य

पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यहां पार्किंग और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा लगभग ₹10 करोड़ की लागत से इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।

इस परियोजना के तहत आकर्षक एंट्रेंस गेट, आधुनिक वॉचिंग टावर, पिकनिक जोन और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाओं का निर्माण प्रस्तावित है। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

स्थानीय युवा समिति और पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग किया जाता है, जिससे पर्यटकों को सुरक्षित माहौल मिल सके।

समय और जरूरी सावधानियां

उसरी जलप्रपात आमतौर पर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। मानसून के दौरान चट्टानें फिसलन भरी हो जाती हैं, इसलिए इस मौसम में अतिरिक्त सतर्कता जरूरी है।
सेल्फी या वीडियो बनाते समय झरने के बेहद करीब जाने से बचना चाहिए। बच्चों पर विशेष ध्यान देना भी आवश्यक है।

पर्यटकों से अपील की जाती है कि इस स्थल को प्लास्टिक मुक्त रखें और प्रकृति की स्वच्छता बनाए रखें। भीड़ के समय पार्किंग की समस्या से बचने के लिए समय से पहुंचना बेहतर रहता है।

न्यूज़ देखो: पर्यटन और संरक्षण की साझा जिम्मेदारी

उसरी जलप्रपात जैसे स्थल झारखंड की प्राकृतिक धरोहर हैं, जिनका संरक्षण और संवर्धन बेहद जरूरी है। इको-टूरिज्म परियोजना से उम्मीद जगी है कि यह क्षेत्र और विकसित होगा, लेकिन इसके साथ जिम्मेदार पर्यटन भी जरूरी है। सवाल यह है कि क्या हम विकास के साथ प्रकृति की रक्षा कर पाएंगे? हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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उसरी जलप्रपात हमें सिखाता है कि प्रकृति का आनंद तभी टिकाऊ है

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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