
#लातेहार #ग्रामीण_संगठन : ग्राम सभा ने गैरमजरूआ भूमि लीज पर देने से किया स्पष्ट इनकार।
लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड में ग्राम रजवार की ग्राम सभा ने 29 दिसंबर 2025 को बालूमाथ अंचल अधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंप कर स्पष्ट किया कि ग्राम सभा की सहमति के बिना किसी भी गैरमजरूआ भूमि को कोयला खनन परियोजना या औद्योगिक उपयोग के लिए लीज पर नहीं दिया जाएगा। यह निर्णय ग्राम सभा में सर्वसम्मति से लिया गया और ग्रामीणों ने अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा का संकल्प जताया। प्रस्तावित खनन परियोजना के खिलाफ यह कदम स्थानीय जनचेतना और संगठित आंदोलन की दिशा में अहम माना जा रहा है।
- ग्राम रजवार की ग्राम सभा ने गैरमजरूआ भूमि को लीज पर देने से किया स्पष्ट इंकार।
- 12 दिसंबर 2025 को आयोजित विशेष ग्राम सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।
- बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान सिंद्रखर उरांव ने की।
- रजवार, डरैया, कौरजड्याग समेत आसपास के सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित।
- भूमि अधिग्रहण केवल जमीन का मामला नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक अस्तित्व से जुड़ा।
- संविधान, CNT Act 1908 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का हवाला देते हुए प्रशासन को चेतावनी।
लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड अंतर्गत ग्राम रजवार में प्रस्तावित कोयला खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश अब संगठित आंदोलन का रूप ले रहा है। 29 दिसंबर 2025 को ग्राम रजवार की ओर से बालूमाथ अंचल अधिकारी कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर प्रशासन को स्पष्ट किया गया कि ग्राम सभा की सहमति के बिना किसी भी गैरमजरूआ भूमि को लीज पर नहीं दिया जाएगा।
विशेष ग्राम सभा और निर्णय
12 दिसंबर 2025 को ग्राम रजवार (होगनी टोला) स्थित तीन मुहान महुआ पेड़ के समीप आयोजित विशेष ग्राम सभा में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान सिंद्रखर उरांव ने की। सभा में रजवार, डरैया, कौरजड्याग समेत आसपास के गांवों के सैकड़ों पुरुष एवं महिला ग्रामीण उपस्थित रहे।
आस्था, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा
ग्रामीणों ने कहा कि प्रस्तावित खनन परियोजना केवल भूमि अधिग्रहण का मामला नहीं है, बल्कि उनकी धार्मिक आस्था, सामाजिक पहचान और सांस्कृतिक अस्तित्व पर सीधा हमला है। जिस भूमि को खनन हेतु चिह्नित किया गया है, वहां सरणा स्थल, मसना, देवस्थल, पारंपरिक रास्ते एवं सामुदायिक उपयोग की भूमि स्थित है, जिसे किसी भी कीमत पर सौंपा नहीं जा सकता।
संवैधानिक और कानूनी प्रावधान
ग्राम सभा ने संविधान एवं कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा 5(1) के तहत राज्यपाल अथवा राष्ट्रपति की अधिसूचना आवश्यक है, जो वर्तमान में नहीं है। साथ ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act), 1908 की धारा 46 के तहत यह भूमि अहस्तांतरणीय है। ग्राम सभा ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन कर पारित कोई भी आदेश प्रारंभ से ही शून्य (Void ab initio) माना जाएगा।
जनजातीय अधिकारों की रक्षा
ग्रामीणों ने संविधान के अनुच्छेद 19(5) का हवाला देते हुए कहा कि अनुसूचित जनजातियों को अपनी भूमि, संसाधनों और जीवनशैली की रक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त है। ग्राम सभा की सहमति के बिना किसी भी प्रशासनिक या औद्योगिक गतिविधि को लागू करना अवैधानिक है और जनजातीय स्वशासन का अपमान है।
स्पष्ट निर्णय और चेतावनी
सभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि ग्राम रजवार तथा आसपास के किसी भी गांव की गैरमजरूआ भूमि को कोयला खनन या किसी भी औद्योगिक परियोजना के लिए लीज पर नहीं दिया जाएगा। ग्राम सभा ने प्रशासन को आगाह किया कि जबरन अधिग्रहण की स्थिति में शांतिपूर्ण लेकिन व्यापक जन आंदोलन किया जाएगा।
न्यूज़ देखो: ग्राम रजवार की जनचेतना और सामूहिक अधिकार
ग्राम रजवार की यह ग्राम सभा केवल औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि आदिवासी स्वाभिमान, संवैधानिक अधिकार और सामूहिक चेतना का प्रतीक बनकर उभरी है। यह निर्णय आने वाले समय में एक बड़े जन आंदोलन की नींव बन सकता है। प्रशासन और सरकारी निकायों के लिए यह संदेश स्पष्ट करता है कि जनजातीय अधिकारों का सम्मान करना अनिवार्य है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सामूहिक चेतना से बनाएं भविष्य सुरक्षित
स्थानीय समुदायों का यह निर्णय दिखाता है कि यदि नागरिक एकजुट हों तो अपने अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की जा सकती है। जागरूक रहें, अपने अधिकारों को जानें और शांतिपूर्ण तरीकों से उन्हें सुरक्षित करें। इस खबर को साझा करें, अपने विचार कमेंट में लिखें और समाज में संवैधानिक जागरूकता फैलाएं।





