Ranchi

कांके-नगड़ी में रिम्स-2 निर्माण पर ग्रामीणों की नाराज़गी, संजय सेठ बोले: सरकार छोड़े हठधर्मिता

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#रांची #रिम्स2_विवाद : पुश्तैनी जमीन अधिग्रहण का विरोध तेज — केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीणों के साथ की बैठक
  • रांची के कांके और नगड़ी में रिम्स-2 के लिए हो रहा ज़मीन अधिग्रहण ग्रामीणों के विरोध का कारण बना
  • रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से संवाद किया और उनकी शिकायतें सुनीं
  • ग्रामीणों ने पुश्तैनी खेती वाली जमीन को बचाने के लिए मंत्री को सौंपा आग्रह पत्र
  • संजय सेठ ने कहा कि रिम्स-2 जरूरी है, लेकिन कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण अनुचित
  • मंत्री ने सुझाव दिया कि सरकार गैर-मजरूआ या अनुपयुक्त भूमि पर करे अस्पताल का निर्माण

पुश्तैनी खेती की जमीन के अधिग्रहण पर भड़का ग्रामीणों का गुस्सा

कांके और नगड़ी क्षेत्र में रिम्स-2 सुपर स्पेशलिटी अस्पताल निर्माण के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहण की जा रही जमीन को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी है। ग्रामीणों का कहना है कि यह ज़मीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है, जहां वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं।

सरकार द्वारा बिना सहमति और संवाद के इस ज़मीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिससे गांवों की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर खतरा मंडरा रहा है।

संजय सेठ ने लिया ग्रामीणों का पक्ष, सरकार से की पुनर्विचार की अपील

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ रविवार को कांके-नगड़ी क्षेत्र पहुंचे और ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुनीं। बैठक में ग्रामीणों ने मंत्री को आग्रह पत्र सौंपते हुए अपील की कि उनकी जमीन को जबरन अधिग्रहण से बचाया जाए।

संजय सेठ ने कहा: “रिम्स-2 का निर्माण जनहित में अत्यंत आवश्यक है, लेकिन इसके लिए ऐसी ज़मीन का चयन किया जाना चाहिए जो गैर-मजरूआ हो और जहां कोई जनजीवन या खेती प्रभावित न हो। पुश्तैनी कृषि भूमि को जबरन लेना न तो संवैधानिक है, न ही नैतिक।”

राजनीतिक रूप से संवेदनशील बनता जा रहा है मामला

रिम्स-2 अस्पताल को लेकर जहां एक ओर सरकार इसका निर्माण स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के रूप में प्रचारित कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण इससे अपना जीवन-यापन छिन जाने के डर से भयभीत हैं। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी सरकार की आलोचना तेज कर दी है।

स्थानीय लोग मानते हैं कि सरकार अगर वास्तव में जनता के हित में काम करना चाहती है तो उसे ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जिससे किसी का विस्थापन न हो।

समाधान की उम्मीद लेकिन स्थिति असमंजस में

अब जब केंद्रीय मंत्री स्वयं ग्रामीणों के समर्थन में सामने आए हैं, तो यह देखा जाना बाकी है कि राज्य सरकार अपनी नीति में कोई बदलाव करती है या नहीं। फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ग्रामीणों ने संघर्ष जारी रखने की चेतावनी दी है।

न्यूज़ देखो: लोकहित बनाम भूमि अधिकार — समाधान की राह जरूरी

कांके और नगड़ी के ग्रामीणों की आवाज़ और उनकी पुश्तैनी ज़मीन को लेकर उठती चिंता एक बड़ी लोकतांत्रिक चुनौती की ओर इशारा करती है। न्यूज़ देखो मानता है कि जनहित में विकास आवश्यक है, परंतु जनसहमति और न्यायसंगत प्रक्रियाओं के साथ। जब अधिकारों की अनदेखी कर विकास थोपा जाता है, तो परिणाम टकराव ही होता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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