
#गुमला #जलसंकट : डुमरी के ओखरगड़ा गांव में बंद जलमीनार और दूषित झरिया से ग्रामीण परेशान
- डुमरी प्रखंड के ओखरगड़ा गांव में वर्षों पुराने दो जलमीनार बंद पड़े हैं।
- ग्रामीणों को पहाड़ से उतरने वाले झरिया के दूषित पानी पर निर्भर रहना पड़ता है।
- पानी की कमी और गंदगी के कारण उल्टी-दस्त और त्वचा रोग बढ़े हैं।
- स्वास्थ्य विभाग ने झरिया के पानी की जांच नहीं कराई है।
- लाखों रुपये खर्च कर बनी जलमीनारें अब तक चालू नहीं की गईं।
- पंचायत से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
डुमरी प्रखंड के ओखरगड़ा गांव में आज भी पेयजल संकट गहराता जा रहा है। वर्षों पहले बनी दो जलमीनारों के बावजूद ग्रामीण शुद्ध पानी से वंचित हैं और मजबूरी में पहाड़ से उतरने वाले झरिया के दूषित पानी को पीने को मजबूर हैं। इस कारण स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब तक इस गंभीर समस्या पर कोई समाधान नहीं निकाल पाए हैं।
जलमीनारों की बदहाली और ग्रामीणों की परेशानी
ओखरगड़ा गांव में बनाए गए दो जलमीनार बंद पड़े हैं, जिनका संचालन कभी नहीं हो पाया। पाइपलाइन डाली गई, पर पानी की सप्लाई एक दिन भी नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि जलमीनारों के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन ये योजनाएं धूल फांक रही हैं।
झरिया से पानी ढोने की कष्टकारी जिंदगी
ग्रामीण, खासकर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग, दिन भर बर्तन लेकर झरिया से पानी लाते हैं। बरसात में यह पानी गंदा हो जाता है और गर्मी में झरिया सूख जाता है। ऐसे दूषित पानी के सेवन से पेट संबंधी रोग और त्वचा की बीमारियां आम हो गई हैं। कई बार पानी लाते समय फिसलने से चोटें भी आई हैं।
स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता
स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से पानी की जांच कराने का अनुरोध किया, लेकिन कोई जांच या उपचारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। इससे जल जनित बीमारियां बढ़ती जा रही हैं और ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी
पंचायत और जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें भेजी गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों की दुर्दशा के बीच विकास के दावे मात्र कागजों तक सीमित दिख रहे हैं।
न्यूज़ देखो: जल संकट और प्रशासन की लापरवाही से ग्रामीणों की जिंदगी मुश्किल
ओखरगड़ा गांव में जल संकट ने ग्रामीणों की जिंदगी को संकट में डाल दिया है। विकास की बातों के बीच वास्तविकता जर्जर होती जा रही है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जल संकट से निपटने का समय आ गया है
यह समय है कि प्रशासन और समाज मिलकर ग्रामीणों के लिए शुद्ध जल उपलब्ध कराएं। हमें जल संरक्षण और प्रबंधन पर गंभीरता से काम करना होगा। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि जल संकट की समस्या पर व्यापक जागरूकता फैल सके।