
#महुआडांड़ #जंगली_हाथी : हाट बाजार के दौरान अचानक बाजार पहुंचा हाथी – ग्रामीणों में मचा हड़कंप, वन विभाग ने किया सुरक्षा प्रबंधन।
- महुआडांड़ प्रखंड में बृहस्पतिवार को हाट बाजार के दौरान एक जंगली हाथी के आने से अफरातफरी मच गई।
- कुरुंद घाट से उतरकर हाथी सड़क पार करते हुए महुआडांड़ बाजार में प्रवेश कर गया।
- बोड़ाकोना गांव में एक घर में घुसकर चावल खा गया, और एफसीआई गोदाम में घुसने का प्रयास किया।
- वन विभाग और पुलिस प्रशासन की टीमों ने संयुक्त रूप से हाथी को जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास किया।
- भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लोगों को दूर रहने की अपील की और कई दुकानदारों ने दुकानें बंद कीं।
महुआडांड़ में गुरुवार को उस समय अफरातफरी का माहौल बन गया जब एक जंगली हाथी हाट बाजार के दौरान बाजार क्षेत्र में पहुंच गया। यह हाथी कुरुंद घाट से उतरता हुआ सड़क के बीचों-बीच चलते हुए महुआडांड़ बाजार तक पहुंच गया। बाजार में लोगों की भारी भीड़ होने के कारण कुछ देर तक स्थिति तनावपूर्ण रही। इसी बीच हाथी ग्राम बोड़ाकोना पहुंचा और एक घर में घुसकर वहां रखा चावल खा गया।
एफसीआई गोदाम में घुसने का प्रयास, कर्मियों ने जलाए पटाखे
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हाथी ने रामपुर ब्लॉक परिसर स्थित एफसीआई गोदाम में भी घुसने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद कर्मचारियों ने पटाखे जलाकर उसे बाहर खदेड़ दिया। हाथी के बाजार पहुंचने की खबर फैलते ही आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग देखने आ गए।
वन विभाग की टीम लगातार माइक से लोगों को अपील कर रही थी कि वे हाथी से दूर रहें, रास्ता खाली करें और हाथी को परेशान न करें।
वनपाल कुंवर गंझू ने कहा: “ग्रामीणों से अनुरोध है कि वे हाथी से दूरी बनाए रखें। जल्द ही उसे सुरक्षित रूप से जंगल की ओर भेज दिया जाएगा।”
भीड़ और शोर से विचलित हुआ हाथी
चारों ओर से ग्रामीणों की भीड़ जमा होने के कारण हाथी घबरा गया और रामपुर चौक, बिरसा चौक, पीपल चौक होते हुए भंडारकोना के रास्ते कार्मेल हॉस्पिटल की ओर निकल गया। इस दौरान वन विभाग और पुलिस कर्मियों को हाथी को नियंत्रित दिशा में ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस पूरे अभियान में कुंवर गंझु वनपाल, गोपाल जी, प्रसाद यादव, मिथिलेश जी, गुरुदयाल जी, पुलिस प्रशासन और मीडियाकर्मियों की बड़ी सहभागिता रही।
कई जगहों पर सड़क पर लगे स्टॉल और फुटपाथ की दुकानों को नुकसान भी पहुंचा। बाजार के छोटे दुकानदार और सब्जी विक्रेता सुरक्षा की दृष्टि से अपनी दुकानें बंद करते नजर आए।
वन विभाग और पुलिस की सक्रियता
घटना की सूचना मिलते ही प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष बैठा स्वयं मौके पर पहुंचे और पुलिस प्रशासन के साथ स्थिति का जायजा लिया। पूरी टीम लगातार हाथी को सुरक्षित दिशा में मोड़ने के प्रयास में जुटी रही।
इस अभियान में मीडिया कर्मियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने मौके से प्रशासन को ताजा जानकारी दी और भीड़ को नियंत्रित करने में सहयोग किया।
झुंड से अलग होकर पहुंचा हाथी
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हाथी महुआडांड़ प्रखंड के चापीपाठ गांव के रास्ते अपने झुंड से अलग होकर सोहरपाठ गांव पहुंचा था।
बताया गया कि हाथी ने ग्राम विपिन टोप्पो के घर में भी नुकसान पहुंचाया, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई।
ग्रामीणों के अनुसार, यह हाथी गुमला जिले के बांसटोली गांव के झुंड से अलग होकर महुआडांड़ क्षेत्र में भटक गया है।
सुबह से जारी रहा भ्रमण
शुक्रवार सुबह से हाथी बोरकोना के जंगलों में भ्रमण करते हुए कुरो मोड़ पेट्रोल पंप होते हुए कटहल मोड़ पहुंचा, जहां से वह महुआडांड़ बाजार के मुख्य क्षेत्र में दाखिल हुआ। वन विभाग और पुलिस की टीम लगातार उसके साथ बनी रही। अंततः कई घंटों के प्रयास के बाद हाथी को रेंगाई की दिशा में खदेड़ने में सफलता मिली।
इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करना वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी रही।
प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष बैठा ने कहा: “हाथी को सुरक्षित दिशा में मोड़ने का काम पूरा किया जा रहा है। ग्रामीणों से अपील है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें।”

न्यूज़ देखो: वन्यजीव संरक्षण और जनसुरक्षा दोनों जरूरी
महुआडांड़ की यह घटना बताती है कि जंगलों से सटे क्षेत्रों में मानव-हाथी संघर्ष की समस्या लगातार बढ़ रही है। एक ओर जहां जंगली हाथियों के प्राकृतिक आवास सिमट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों का विस्तार बढ़ रहा है, जिससे इन मुठभेड़ों की संभावना अधिक होती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि स्थायी वन्यजीव निगरानी प्रणाली विकसित करे और संवेदनशील इलाकों में रैपिड रेस्पॉन्स टीमों की तैनाती सुनिश्चित करे ताकि ऐसी घटनाओं से पहले ही निपटा जा सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रकृति के साथ संतुलन बनाना हमारी जिम्मेदारी
हाथी हमारे पर्यावरण की शान हैं, लेकिन जब उनके आवास सिकुड़ते हैं, तो वे अनजाने में मानव बस्तियों में प्रवेश कर जाते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें भयभीत न करें, बल्कि शांतिपूर्वक उनके सुरक्षित वापसी में सहयोग करें। प्रशासन और ग्रामीण दोनों को मिलकर ऐसे क्षेत्रों में जागरूकता फैलानी चाहिए।
अब समय है कि हम सब मिलकर प्रकृति के साथ सहअस्तित्व का संकल्प लें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और वन्यजीव संरक्षण की मुहिम में अपना योगदान दें।




