
#जारी #युवा_पहल : खेल और नशामुक्ति के उद्देश्य से बारडीह गांव के युवाओं ने अपने श्रम और पुरस्कार राशि से बनाया खेल मैदान।
- जारी प्रखंड के मेराल पंचायत अंतर्गत बारडीह गांव में युवाओं ने अपनी मेहनत और एकता से खेल मैदान का निर्माण शुरू किया।
- गांव में पहले से कोई खेलने योग्य मैदान नहीं था, जिससे खिलाड़ियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
- स्थानीय युवक जेवियर खलखो ने 5 वर्षों के लिए अपनी जमीन खेल मैदान के लिए दान की।
- मैदान के निर्माण में अब तक लगभग 1 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं, जबकि 50 हजार रुपये का कार्य शेष है।
- खिलाड़ियों ने मैचों में जीती हुई इनामी राशि से मैदान निर्माण का जिम्मा उठाया है।
जारी प्रखंड के मेराल पंचायत अंतर्गत बारडीह गांव के युवाओं ने यह साबित कर दिया है कि यदि एकता और सही उद्देश्य के साथ प्रयास किया जाए, तो हर कठिनाई आसान हो जाती है। यह गांव छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है, जहां युवाओं के लिए खेलने या अभ्यास करने की कोई उचित सुविधा नहीं थी। सरकार द्वारा वर्षों पहले बुमतेल गांव में एक स्टेडियम का निर्माण कराया गया था, लेकिन गलत स्थान पर बनने के कारण खिलाड़ी वहां नहीं जाते थे। इससे युवाओं में निराशा थी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी।
युवाओं की पहल से नई उम्मीद
गांव के युवाओं ने तय किया कि वे खेलों के माध्यम से नशे से दूर रहेंगे और समाज को प्रेरित करेंगे। लेकिन जब खेलने के लिए कोई स्थान नहीं मिला, तो उन्होंने गांव के ही जागरूक नागरिक जेवियर खलखो से संपर्क किया। जब जेवियर ने अपनी भूमि पांच वर्षों के लिए मैदान निर्माण हेतु देने की सहमति दी, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
इसके बाद ग्रामीणों और युवाओं ने मिलकर श्रमदान शुरू किया। मिट्टी काटी गई, जमीन समतल की गई और धीरे-धीरे एक सुंदर मैदान का रूप बनने लगा। इस पूरी पहल में किसी सरकारी सहायता का इंतजार नहीं किया गया — सब कुछ गांव के युवाओं की मेहनत और आत्मनिर्भरता से संभव हुआ।
पुरस्कार राशि से हो रहा निर्माण
युवाओं ने बताया कि मैदान का निर्माण खिलाड़ियों की मेहनत से कमाए गए पैसों से किया जा रहा है।
रोहित मिंज ने बताया: “हमारे गांव में फुटबॉल और हॉकी के बहुत से खिलाड़ी हैं। हर टूर्नामेंट में जीतने पर जो राशि मिलती है, उसी से हम मैदान का निर्माण कर रहे हैं। अब तक करीब एक लाख रुपये खर्च हुए हैं और पचास हजार रुपये और लगेंगे।”
साथ ही रवि मिंज, सूचित बेक, दीप तिग्गा और आलोक बेक ने कहा कि गांव के हर युवा ने इस अभियान में श्रमदान किया है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे वे मैच जीतकर इनाम लाते जाएंगे, वैसे-वैसे मैदान का कार्य पूरा होता जाएगा।
श्रमदान और सहयोग की मिसाल
इस मैदान के निर्माण में गांव के लोगों ने केवल धन से नहीं बल्कि श्रमदान और सहयोग से भी योगदान दिया है। ग्रामीणों ने मिट्टी भराई से लेकर सफाई तक का कार्य किया। अब तक मैदान का लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और यह जल्द ही खेलने योग्य बन जाएगा।
स्थानीय लोग मानते हैं कि यह केवल एक मैदान नहीं, बल्कि युवाओं की एकजुटता और सकारात्मक सोच का प्रतीक है। इससे गांव के बच्चों को खेलने की सुविधा मिलेगी और युवा वर्ग नशे से दूर रहेगा।

न्यूज़ देखो: युवाओं ने दिखाया आत्मनिर्भरता का रास्ता
बारडीह गांव के युवाओं ने यह उदाहरण पेश किया है कि विकास केवल सरकारी योजनाओं से नहीं, बल्कि सामूहिक इच्छाशक्ति से भी संभव है। बिना किसी सहायता के खेल मैदान का निर्माण यह दर्शाता है कि युवा पीढ़ी समाज में परिवर्तन लाने के लिए तैयार है। ऐसी पहलें ग्रामीण झारखंड की तस्वीर बदलने में मील का पत्थर साबित होंगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
खेल से जुड़ें, नशे से दूर रहें
अब समय है कि हर गांव, हर मोहल्ले में युवा इस तरह की पहल करें। खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी अनुशासन और ऊर्जा से भर देता है। बारडीह के युवाओं की तरह हम सब भी अपने समुदाय में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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