
#विश्रामपुर #स्वास्थ्य_सेवा : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित निशुल्क शिविर में 54 मरीजों का सफल ऑपरेशन, डॉक्टरों के कार्यों की हुई सराहना।
- विश्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 54 मरीजों का निशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन।
- बीडीओ राजीव कुमार ने दीप प्रज्वलित कर शिविर का किया उद्घाटन।
- स्वास्थ्य प्रभारी डॉ. राजेन्द्र कुमार के नेतृत्व में सफल आयोजन।
- मरीजों और परिजनों ने डॉक्टरों को बताया “धरती के भगवान”।
- ऑपरेशन के बाद मरीजों के चेहरे पर लौटी खुशी और आत्मविश्वास।
पलामू जिले के विश्रामपुर नगर परिषद अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज एक सराहनीय और मानवीय पहल देखने को मिली, जहां निशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का सफल आयोजन किया गया। इस शिविर में कुल 54 जरूरतमंद मरीजों का सफल ऑपरेशन कर उन्हें आंखों की नई रोशनी दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्रामपुर बीडीओ राजीव कुमार, स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. राजेन्द्र कुमार एवं डॉ. अंजय कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
यह शिविर न केवल स्वास्थ्य सेवा का उदाहरण बना, बल्कि समाज के उन वर्गों के लिए आशा की किरण साबित हुआ, जो आर्थिक तंगी के कारण समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं।
आंखों की रोशनी का महत्व और प्रशासन का संदेश
शिविर के उद्घाटन अवसर पर बीडीओ राजीव कुमार ने कहा कि आंखों की रोशनी जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।
“आंखें ही हमें दुनिया देखने का अवसर देती हैं। जब किसी की आंखों की रोशनी चली जाती है, तो उसका जीवन जैसे ठहर जाता है। ऐसे शिविरों के माध्यम से लोगों को नई रोशनी देकर उनके जीवन को फिर से सक्रिय बनाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का सही लाभ आमजन तक पहुंचे, यही प्रशासन की प्राथमिकता है। ऐसे आयोजनों से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है और लोगों का सरकारी व्यवस्था पर भरोसा मजबूत होता है।
54 मरीजों को मिला नया जीवन
स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. राजेन्द्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि यह शिविर पूरी तरह निशुल्क आयोजित किया गया, जिसमें सभी 54 मरीजों का सफलतापूर्वक मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया। उन्होंने कहा:
“हमारा उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति केवल पैसे के अभाव में अपनी आंखों की रोशनी न खोए। सरकारी संसाधनों के माध्यम से सभी मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराया गया है।”
उन्होंने यह भी बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीजों की नियमित जांच और दवाइयों की व्यवस्था भी स्वास्थ्य केंद्र द्वारा की जा रही है, ताकि मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकें।
मरीजों और परिजनों की भावुक प्रतिक्रिया
ऑपरेशन कराने आए मरीजों ने स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था और डॉक्टरों के व्यवहार की खुले दिल से प्रशंसा की। एक मरीज ने कहा कि
“डॉ. राजेन्द्र कुमार हम सभी के लिए मसीहा हैं। उन्होंने बिना किसी खर्च के हमारी आंखों की रोशनी लौटाई है। उनका व्यवहार इतना अपनापन भरा है कि हम कहीं और इलाज कराने की जरूरत ही महसूस नहीं करते।”
परिजनों ने भी डॉक्टरों के मृदुभाषी स्वभाव और सेवा भावना की सराहना करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया। कई लोगों ने कहा कि डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप यूं ही नहीं कहा जाता, आज यह बात यहां पूरी तरह सच साबित हुई।
स्वास्थ्य टीम की सराहनीय भूमिका
इस सफल आयोजन में विश्रामपुर स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम का अहम योगदान रहा। डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों और सहयोगी स्टाफ ने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। शिविर के दौरान साफ-सफाई, मरीजों की सुविधा, दवा वितरण और ऑपरेशन के बाद की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया गया।
स्थानीय गणमान्य लोगों ने भी शिविर में उपस्थित रहकर स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों की सराहना की और भविष्य में ऐसे और शिविर आयोजित करने की मांग की।
ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए वरदान
विश्रामपुर जैसे क्षेत्र में इस तरह का निशुल्क स्वास्थ्य शिविर गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कई मरीज ऐसे थे, जो वर्षों से आंखों की समस्या से परेशान थे, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इलाज नहीं करा पा रहे थे।
इस शिविर ने न केवल उनकी आंखों की रोशनी लौटाई, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी जीवन जीने का अवसर भी दिया।
न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य सेवा में संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल
विश्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित यह शिविर दिखाता है कि जब प्रशासन और डॉक्टर संवेदनशीलता के साथ काम करें, तो सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था भी आम लोगों के लिए भरोसे का केंद्र बन सकती है। डॉ. राजेन्द्र कुमार जैसे अधिकारी स्वास्थ्य सेवा को मानवीय रूप देने का काम कर रहे हैं।
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नई रोशनी, नया जीवन
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