
#दुमका #सड़क_दुर्घटना : स्कूल जा रहे बच्चों की कार गिधनी बागडूबी मैदान के पास अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हुई—स्थानीय लोग बचाव में तुरंत जुटे
- दुमका में स्कूली बच्चों को ले जा रही कार दुर्घटनाग्रस्त।
- लिटिल स्टेप्स पब्लिक स्कूल के लगभग एक दर्जन बच्चे घायल।
- हादसा गिधनी बागडूबी फुटबॉल मैदान के सामने हुआ।
- स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और तुरंत राहत कार्य शुरू किया।
- अभिभावकों में स्कूल वाहनों की सुरक्षा पर गंभीर चिंता।
दुमका में बुधवार की सुबह एक बड़ा सड़क हादसा उस समय हो गया जब लिटिल स्टेप्स पब्लिक स्कूल, बंदरजोरी श, न्यू कुसुमडीह के बच्चे स्कूल जा रहे थे। बच्चों से भरी कार गिधनी के बागडूबी फुटबॉल मैदान के सामने अचानक अनियंत्रित होकर सड़क किनारे दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में लगभग एक दर्जन बच्चे घायल हो गए। घटना होते ही इलाके में अफरातफरी मच गई। स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और बच्चों को बाहर निकालकर प्राथमिक सहायता उपलब्ध कराई। इस घटना के बाद अभिभावकों के बीच स्कूल वाहनों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता दिखी।
हादसे का स्थल और क्षणिक अफरातफरी
गिधनी के बागडूबी फुटबॉल मैदान के बिल्कुल सामने हुए इस हादसे ने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया। सुबह के समय बच्चों की भीड़ और स्कूल जाने की तैयारी के बीच सड़क पर अचानक एक तेज आवाज सुनाई दी, जिसके बाद आसपास के लोग घटनास्थल की ओर दौड़े। कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त दिख रही थी और अंदर बैठे बच्चे डरे और घायल अवस्था में रो रहे थे। स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए कार के दरवाजे खोले और बच्चों को बाहर निकाला।
बच्चों की स्थिति और राहत कार्य
दुर्घटना में बच्चे घायल हुए, जिनमें कुछ को सिर, हाथ और पैरों में चोटें आई हैं। उनकी अवस्था पर स्थानीय चिकित्सा टीम और अभिभावक बारीकी से नजर रख रहे हैं। राहत कार्य में जुटे लोगों ने बताया कि समय रहते मदद मिलने से स्थिति और गंभीर होने से बच गई। सभी बच्चों को अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है।
अभिभावकों में बढ़ती चिंता—स्कूल वाहन सुरक्षा पर बड़ा सवाल
इस दुर्घटना के बाद अभिभावकों के बीच स्कूल वाहन सुरक्षा को लेकर रोष और चिंता दोनों ही देखने को मिली। कई अभिभावकों का सवाल है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा के मानक इतने ढीले क्यों हैं और स्कूल प्रशासन वाहन की स्थिति और ड्राइवर की योग्यता की नियमित जाँच क्यों नहीं करता। हर वर्ष दर्जनों ऐसे हादसे सामने आते हैं, और फिर भी सुरक्षा का स्तर संतोषजनक नहीं हो पा रहा।
एक स्थानीय अभिभावक ने कहा: “मासूमों की जान आखिर कितनी सस्ती है? जब तक प्रशासन सख्ती नहीं करेगा, ऐसे हादसे रुकेंगे नहीं।”
स्थानीय लोगों की सक्रियता और मानवता की मिसाल
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों की तत्परता ने साबित कर दिया कि विपरीत परिस्थितियों में मानवता सबसे बड़ा सहारा होती है। बिना देरी किए लोगों ने बच्चों को सुरक्षित निकाला, पानी पिलाया और एंबुलेंस को सूचना दी। कई युवाओं ने घायल बच्चों को अपने वाहन से अस्पताल पहुँचाने में मदद की।



न्यूज़ देखो: बच्चों की सुरक्षा पर अब और देरी नहीं
यह दुर्घटना एक बार फिर बताती है कि स्कूल वाहन सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है। हर साल ऐसे हादसे होते हैं, लेकिन न तो स्कूल प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदारी लेता है और न ही प्रशासन द्वारा नियमित निगरानी की मजबूत व्यवस्था दिखती है। अब समय है कि स्कूल वाहन चलाने वालों के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उनका कठोरता से पालन कराया जाए ताकि मासूमों की जान खतरे में न पड़े।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सुरक्षित बचपन ही सुरक्षित भविष्य
यह घटना बताती है कि बच्चों की सुरक्षा से कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं। स्कूल प्रशासन, अभिभावक और स्थानीय प्रशासन—तीनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित वातावरण में यात्रा कर सके। ऐसी दुर्घटनाएँ हमें केवल दुख ही नहीं, बल्कि चेतावनी भी देती हैं कि सुरक्षा पर ध्यान देना किसी विकल्प की तरह नहीं, बल्कि आवश्यकता है। आइए मिलकर बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और एक जागरूक समाज बनने की दिशा में कदम बढ़ाएँ। अपने विचार कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और सुरक्षा जागरूकता फैलाने में योगदान दें।





