Gumla

गुमला के डुमरी प्रखंड में भक्तिभाव से सम्पन्न हुई अनंत पूजा

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#गुमला #आस्था : श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा कर सुख-समृद्धि की मांगी कामना
  • डुमरी प्रखंड के मंदिरों और गांवों में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या जुटी।
  • व्रत और विधि-विधान से पूजा कर परिवार और समाज के कल्याण की प्रार्थना।
  • अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया।
  • महिलाओं और पुरुष श्रद्धालुओं ने धूप-दीप, नैवेद्य और संकल्प अर्पित किए।
  • सामूहिक पूजा से भक्ति और आस्था का माहौल पूरे प्रखंड में रहा।

गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में शनिवार को अनंत पूजा बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से सम्पन्न हुई। प्रखंड के विभिन्न गांवों और मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना के लिए लोग विशेष तैयारी के साथ पहुंचे।

व्रत और पूजा का महत्व

डुमरी की पंडिताइन ने बताया कि अनंत पूजा, जिसे अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी बाधाएँ दूर होती हैं।

श्रद्धालुओं ने किया व्रत और अर्पण

पूजा के अवसर पर महिलाओं ने व्रत रखकर पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की, वहीं पुरुष श्रद्धालुओं ने भी भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित किया। अनुष्ठान के दौरान पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिकता का वातावरण व्याप्त रहा।

सामूहिक पूजा से गूंजा वातावरण

डुमरी प्रखंड के कई गांवों में सामूहिक पूजा का आयोजन किया गया, जहाँ ग्रामीणों ने एक साथ मिलकर भगवान विष्णु से शांति, सुख और समृद्धि की प्रार्थना की। पूरे दिन गांवों और मंदिरों में भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठान होते रहे।

न्यूज़ देखो: परंपरा और विश्वास से जुड़ा पर्व

अनंत पूजा केवल धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि सामूहिकता और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए संकल्प से जीवन में कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

श्रद्धा से ही मिलता है जीवन का बल

अनंत पूजा जैसे धार्मिक पर्व हमें हमारी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं। अब समय है कि हम सब मिलकर इन परंपराओं को जीवित रखें और समाज में शांति व सौहार्द का संदेश फैलाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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