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दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस पर मेदिनीनगर में जागरूकता कार्यक्रम, अधिकार और समानता पर जोर

#मेदिनीनगर #दिव्यांग_सशक्तिकरण : आरएसएस भवन में सक्षम संगठन के तत्वावधान में अधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस के अवसर पर 28 दिसंबर 2025 को मेदिनीनगर स्थित आरएसएस भवन भारत माता चौक में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकार, सशक्तिकरण और समानता को लेकर समाज में चेतना विकसित करना रहा। सक्षम संगठन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष चर्चा की गई। कार्यक्रम में सामाजिक संगठनों, दिव्यांग प्रतिनिधियों और स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।

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  • दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस पर आरएसएस भवन, मेदिनीनगर में आयोजन।
  • सक्षम संगठन के तत्वावधान में अधिकार और सशक्तिकरण पर चर्चा।
  • लाजवंत तिवारी अधिवक्ता ने संगठन व अधिकारों पर विषय प्रवेश कराया।
  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के पूर्ण क्रियान्वयन पर जोर।
  • अपमानजनक शब्द प्रयोग की कड़ी निंदा, कार्रवाई की मांग।

दिव्यांगजन सशक्तिकरण दिवस के अवसर पर पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर में एक विचारोत्तेजक और जागरूकता से भरपूर कार्यक्रम आयोजित किया गया। भारत माता चौक स्थित आरएसएस भवन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लाजवंत तिवारी ने की, जबकि संचालन का दायित्व पवन कुमार गुप्ता ने संभाला। यह आयोजन सक्षम संगठन के अंतर्गत किया गया, जो दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत एक अखिल भारतीय संगठन है।

सक्षम संगठन का उद्देश्य और भूमिका

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सक्षम संगठन के अध्यक्ष लाजवंत तिवारी अधिवक्ता ने विषय प्रवेश कराया। उन्होंने संगठन की स्थापना, उद्देश्य और कार्यक्षेत्र की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि अधिकार और समान अवसर की आवश्यकता है।

लाजवंत तिवारी ने कहा: “दिव्यांगजन तभी सशक्त होंगे जब वे संगठित होकर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवाज़ उठाएंगे।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज को दिव्यांगजनों को बोझ नहीं, बल्कि सक्षम नागरिक के रूप में देखना चाहिए।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पर विस्तार से चर्चा

कार्यक्रम का संचालन कर रहे पवन कुमार गुप्ता ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम दिव्यांगजनों को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, परिवहन और सार्वजनिक स्थलों पर समान अधिकार सुनिश्चित करता है।

पवन कुमार गुप्ता ने कहा: “बाधा रहित वातावरण और समावेशी शिक्षा दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की नींव है। कानून का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब इसे केंद्र से लेकर पंचायत स्तर तक पूरी निष्ठा से लागू किया जाए।”

उन्होंने सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए अधिकारियों और समाज से समानता के दृष्टिकोण को अपनाने की अपील की।

अपमानजनक भाषा के प्रयोग पर कड़ी निंदा

कार्यक्रम के दौरान एक गंभीर मुद्दे पर भी चर्चा की गई। पलामू विकलांग संघ के संरक्षक सुरेंद्र कुमार, पवन कुमार गुप्ता, सचिव राम पुकार सिंह, सुनील कुमार एवं संदीप कुमार ने संयुक्त रूप से एक मामले की निंदा की, जिसमें एक मार्केटिंग ऑफिसर द्वारा अश्विनी कुमार, जो स्वयं दिव्यांग हैं, के लिए अपमानजनक शब्द का प्रयोग किया गया।

सक्षम संगठन ने इसे दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई और ऐसे शब्दों के प्रयोग को अस्वीकार्य बताया। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि दिव्यांगजनों के प्रति अपमानजनक भाषा न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता के भी खिलाफ है।

स्वयंसेवकों और संगठनों की सक्रिय भागीदारी

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही। प्रमुख रूप से सीताराम, आकाश, दिवाकर, सक्षम संगठन के अध्यक्ष लाजवंत तिवारी, सचिव संदीप कुमार, सहसचिव दिवाकर, पलामू विकलांग संघ के संरक्षक सुरेंद्र कुमार, पवन कुमार गुप्ता, सचिव राम पुकार सिंह, सुनील कुमार, वार्ड सदस्य एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर, सम्मान और गरिमा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

न्यूज़ देखो: अधिकार से सशक्तिकरण की दिशा में कदम

यह कार्यक्रम स्पष्ट करता है कि दिव्यांगजनों का सशक्तिकरण केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक सोच में बदलाव भी उतना ही जरूरी है। सक्षम संगठन की यह पहल कानून और संवेदना के बीच सेतु का काम करती है। अब सवाल यह है कि प्रशासन और समाज मिलकर इन अधिकारों को जमीन पर कितना प्रभावी बना पाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समानता और सम्मान से ही बनेगा समावेशी समाज

दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। जब कानून, प्रशासन और नागरिक मिलकर कार्य करते हैं, तभी वास्तविक सशक्तिकरण संभव होता है। ऐसे आयोजनों से जागरूकता बढ़ती है और सोच बदलती है।
आप भी इस विषय पर अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और दिव्यांगजनों के अधिकारों के प्रति समाज को जागरूक करने में सहभागी बनें।

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