Simdega

भाजपा महिला मोर्चा ने राहुल गांधी के खिलाफ निकाला आक्रोश मार्च: पुतला दहन कर जताया विरोध

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#सिमडेगा #आक्रोशमार्च : कांग्रेस की यात्रा में पीएम और उनकी दिवंगत मां पर अभद्र टिप्पणी को लेकर भाजपा महिला मोर्चा ने निकाला आक्रोश मार्च और किया पुतला दहन
  • सिमडेगा में भाजपा महिला मोर्चा ने निकाला आक्रोश मार्च
  • राहुल गांधी का पुतला दहन कर जताया विरोध।
  • कार्यकर्ताओं ने लगाए प्रधानमंत्री का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान जैसे नारे।
  • महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सुषमा मिश्रा ने कहा—यह लोकतंत्र पर कलंक है।
  • भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाईक ने कांग्रेस-राजद पर साधा निशाना।
  • सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे, महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही।

सिमडेगा में शनिवार को राजनीतिक माहौल गरमा गया, जब भाजपा महिला मोर्चा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकालकर राहुल गांधी का पुतला दहन किया। यह विरोध उस घटना को लेकर था जिसमें बिहार के दरभंगा में कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसे लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति का अपमान बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की।

पुतला दहन के साथ गूंजे नारे

आक्रोश मार्च में भाजपा महिला मोर्चा और अन्य कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर जमकर नारे लगाए। भीड़ बार-बार “राहुल गांधी हाय-हाय”, “तेजस्वी यादव हाय-हाय”, “प्रधानमंत्री का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” और “एक मां का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” जैसे नारों से गूंज रही थी। कार्यकर्ताओं का गुस्सा साफ झलक रहा था और पुतला दहन के दौरान माहौल और भी उग्र हो गया।

महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सुषमा मिश्रा का बयान

आक्रोश मार्च का नेतृत्व कर रहीं भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सुषमा मिश्रा ने इस घटना को लोकतंत्र पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की राजनीति दिन-प्रतिदिन निम्न स्तर पर जा रही है।

सुषमा मिश्रा ने कहा: “प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी केवल निंदनीय नहीं है, बल्कि यह देश की मर्यादाओं का अपमान है। बिहार की जनता इस अपमान का जवाब वोट से देगी।”

भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाईक का तीखा हमला

भाजपा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण बड़ाईक ने कहा कि कांग्रेस और राजद नेताओं द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा उनकी हताशा और निराशा को दिखाती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि चाहे जितनी गालियां प्रधानमंत्री को दी जाएं, राहुल गांधी अपने राजनीतिक मकसद में कभी सफल नहीं होंगे।

लक्ष्मण बड़ाईक ने कहा: “प्रधानमंत्री और उनकी दिवंगत मां के प्रति अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल यह दर्शाता है कि विपक्ष अब पूरी तरह दिशाहीन हो चुका है। भाजपा कार्यकर्ता इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी

इस विरोध प्रदर्शन में भाजपा महिला मोर्चा के साथ बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कार्यकर्ता शामिल हुए। महिला मोर्चा की प्रमुख कार्यकर्ताओं में पिंकी प्रसाद, फुलसुन्दरी देवी, रीना देवी, रुक्मणि देवी, संतोष देवी, गीता गुप्ता, सुहानी देवी, मीना देवी, वीरसमणी देवी, सुनीता देवी, पूनम देवी, कौशल्या देवी, मंसूरी देवी, मंगरी देवी, सुमति देवी, सुलोचनी देवी, राजनीति कुमारी, अंबिका कुमारी, सुमन देवी और शिखा अग्रवाल शामिल थीं।

पुरुष कार्यकर्ताओं में जिला महामंत्री दीपक पूरी और मुकेश श्रीवास्तव, जिला परिषद उपाध्यक्ष सोनी पैंकरा, श्रद्धानन्द बेसरा, रामविलास बड़ाईक, सतनारायण प्रसाद, रवि वर्मा, संजय शर्मा, दीप नारायण दास, अनूप केशरी, करण कुमार, संजय मिश्रा, देवेंद्र सिंह और सुखदेव बड़ाईक की सक्रिय भागीदारी रही। इस दौरान भाजपा के नारों और विरोध प्रदर्शनों से शहर का माहौल पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंग गया।

लोकतंत्र और गरिमा पर बहस

इस घटना ने एक बार फिर राजनीतिक मर्यादाओं और सार्वजनिक भाषा पर बहस छेड़ दी है। जहां भाजपा इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, वहीं कांग्रेस पर यह आरोप और गहराया है कि उसके नेता बार-बार प्रधानमंत्री और उनके परिवार को निशाना बनाकर देश की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल भाजपा नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि प्रधानमंत्री का अपमान भाजपा कार्यकर्ता किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे।

न्यूज़ देखो: राजनीति का स्तर और मर्यादा

यह घटना दिखाती है कि भारतीय राजनीति किस तरह गिरते स्तर की ओर बढ़ रही है। राजनीतिक मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन व्यक्तिगत और पारिवारिक अपमान लोकतांत्रिक संस्कृति को कमजोर करता है। यह आवश्यक है कि सभी दल अपने शब्दों की मर्यादा रखें और जनता को सशक्त बहस के जरिए जोड़ें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जनआवाज़ की ताकत से बढ़े लोकतंत्र

अब समय है कि हम सभी नागरिक राजनीति में स्वस्थ संवाद और सकारात्मक बहस की मांग करें। नेताओं को यह संदेश देना होगा कि जनता अपमानजनक शब्दों को नहीं बल्कि मुद्दों पर आधारित राजनीति चाहती है। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हो सके।

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