
#दुमका #भ्रष्टाचार_कार्रवाई : संथाल परगना एसीबी की टीम ने समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय जामताड़ा से मानदेय स्वीकृति के बदले रिश्वत लेते लिपिक को गिरफ्तार किया।
दुमका एसीबी की टीम ने जामताड़ा जिले के झारखंड शिक्षा परियोजना अंतर्गत समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में रिश्वतखोरी का खुलासा करते हुए एक लिपिक को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी लिपिक सौरव कुमार पर मानदेय भुगतान की स्वीकृति के बदले रिश्वत मांगने का आरोप था। शिकायत की सत्यता जांच के बाद एसीबी ने जाल बिछाकर कार्यालय परिसर से उसे पकड़ा। यह कार्रवाई सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को रेखांकित करती है।
- समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय, जामताड़ा से गिरफ्तारी।
- आरोपी लिपिक सौरव कुमार छह हजार रुपये लेते रंगेहाथ पकड़ा गया।
- शिकायतकर्ता रास बिहारी झा, संकुल साधन सेवी।
- मानदेय भुगतान की स्वीकृति पत्र के बदले रिश्वत की मांग।
- मामला एसीबी थाना कांड संख्या 04/25 के तहत दर्ज।
- गिरफ्तारी के बाद आरोपी को दुमका एसीबी कार्यालय लाया गया।
दुमका प्रमंडल में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए संथाल परगना एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा है। यह कार्रवाई जामताड़ा जिले के समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में की गई, जहां लिपिक पद पर कार्यरत सौरव कुमार पर सरकारी कार्य के बदले अवैध वसूली का आरोप था। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है।
रिश्वत मांग से शुरू हुई पूरी कार्रवाई
इस मामले की शुरुआत जामताड़ा जिला के नाला प्रखंड से हुई, जहां रास बिहारी झा झारखंड शिक्षा परियोजना अंतर्गत संकुल साधन सेवी के रूप में कार्यरत हैं। उनके मानदेय भुगतान के लिए आवश्यक स्वीकृति पत्र समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय, जामताड़ा से जारी होना था। आरोप है कि इस स्वीकृति पत्र को देने के एवज में लिपिक सौरव कुमार ने उनसे आठ हजार रुपये रिश्वत की मांग की।
रिश्वत नहीं देने का लिया फैसला
रास बिहारी झा रिश्वत देने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने तय किया कि अवैध मांग के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा। इसी क्रम में वे दुमका पहुंचे और वहां एंटी करप्शन ब्यूरो कार्यालय में पूरे मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत मिलने के बाद एसीबी ने त्वरित संज्ञान लेते हुए विधिवत केस दर्ज किया।
सत्यापन में सही पाई गई शिकायत
शिकायत के आधार पर एसीबी थाना कांड संख्या 04/25 दर्ज किया गया। इसके बाद एसीबी टीम ने गुप्त रूप से मामले का सत्यापन कराया। सत्यापन के दौरान यह पुष्टि हुई कि आरोपी लिपिक सौरव कुमार ने वास्तव में आठ हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। इसमें से छह हजार रुपये काम से पहले और दो हजार रुपये काम होने के बाद देने की शर्त रखी गई थी।
जाल बिछाकर की गई गिरफ्तारी
गुरुवार को आरोपी लिपिक ने शिकायतकर्ता रास बिहारी झा को समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय, जामताड़ा बुलाया था ताकि रिश्वत की पहली किस्त ली जा सके। पहले से सतर्क एसीबी टीम ने योजना के तहत कार्यालय परिसर में जाल बिछाया। जैसे ही सौरव कुमार ने छह हजार रुपये रिश्वत के तौर पर स्वीकार किए, एसीबी की टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।
कार्यालय परिसर में मचा हड़कंप
गिरफ्तारी की कार्रवाई समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय के भीतर हुई, जिससे वहां मौजूद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। एसीबी टीम ने मौके पर आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी की और आरोपी को अपने साथ दुमका स्थित एसीबी कार्यालय लेकर चली गई। इस दौरान रिश्वत की राशि भी बरामद की गई।
दुमका एसीबी के डीएसपी ने कहा: “शिकायत मिलने के बाद मामले का सत्यापन कराया गया, जिसमें रिश्वत मांग की पुष्टि हुई। आज आरोपी को छह हजार रुपये लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया है। आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।”
शिक्षा विभाग में सवालों के घेरे
इस घटना ने जामताड़ा जिले के शिक्षा विभाग में कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस योजना का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना है, उसी कार्यालय में रिश्वतखोरी का मामला सामने आना चिंताजनक माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि एसीबी की कार्रवाई नहीं होती, तो पीड़ित को मजबूरी में रिश्वत देनी पड़ती।
एसीबी की सख्त कार्रवाई का संदेश
एसीबी की इस कार्रवाई को सरकारी कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, आरोपी के खिलाफ आगे विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है। मामले की जांच जारी है और यह भी देखा जा रहा है कि कहीं इसमें अन्य कर्मचारी तो शामिल नहीं हैं।
न्यूज़ देखो: शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा
यह मामला दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता कितनी जरूरी है। एसीबी की तत्परता ने यह साबित किया है कि शिकायत करने पर कार्रवाई संभव है। अब यह देखना अहम होगा कि विभाग इस घटना से क्या सबक लेता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं
रिश्वतखोरी को बढ़ावा देने से बेहतर है उसका विरोध करना। रास बिहारी झा की पहल ने यह साबित कर दिया कि सही मंच पर शिकायत करने से परिणाम मिलते हैं। यदि आप भी किसी सरकारी कार्यालय में अवैध मांग का सामना करें, तो चुप न रहें। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस खबर को आगे बढ़ाएं और दूसरों को भी जागरूक करें ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ सामूहिक आवाज बुलंद हो सके।





