
#बरवाडीह #बीजवितरणविवाद : बरवाडीह प्रखंड में किसानों के लिए सरकारी बीज वितरण योजना में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठने लगे हैं — पंचायत प्रतिनिधियों को बिना सूचना दिए क्लस्टर बनाना और प्रभारी कृषि पदाधिकारी द्वारा जानकारी छुपाना विवाद का कारण बन गया है।
- बीज वितरण के लिए बनाए गए क्लस्टर की जानकारी पंचायत प्रतिनिधियों को नहीं
- प्रमुख सुशीला देवी और जिप सदस्य संतोषी शेखर ने जताई नाराजगी
- क्लस्टर सूची और बीज आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई
- बादाम, अरहर, मकई, उड़द जैसे बीज की आपूर्ति के बावजूद किसान परेशान
- प्रभारी कृषि पदाधिकारी रामनाथ यादव ने क्लस्टर की जानकारी देने से किया इनकार
पंचायत प्रतिनिधियों को नहीं दी गई क्लस्टर की सूचना
बरवाडीह प्रखंड के किसानों को सरकारी बीज वितरण के लिए गोपनीय ढंग से क्लस्टर बनाए जाने की शिकायत सामने आई है। हैरानी की बात यह है कि प्रमुख सुशीला देवी और जिप सदस्य संतोषी शेखर सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों को इस क्लस्टर के गठन की जानकारी तक नहीं दी गई।
प्रमुख सुशीला देवी ने कहा: “हम लोगों को जब कुछ जानकारी ही नहीं है तो ग्रामीण किसानों को कैसे बताया जाएगा कि कहां से बीज मिलेगा?”
जिप सदस्य संतोषी शेखर ने आरोप लगाया: “बीज की हेराफेरी की मंशा से इस प्रक्रिया को छिपाया गया है। लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे।”
पारदर्शिता के अभाव में किसान हो रहे हैं वंचित
प्रशासन द्वारा किस क्लस्टर में कितना बीज भेजा गया है, यह तक स्पष्ट नहीं किया गया है। पंचायत प्रतिनिधियों का आरोप है कि किसानों को बीज से जानबूझकर वंचित किया जा रहा है। वितरण सूची और आवंटन का कोई सार्वजनिक ब्यौरा नहीं दिया गया है। यह संदेह पैदा कर रहा है कि बीज वितरण में अनियमितता की जा रही है।
किसान नहीं जान पा रहे कहां से मिलेगा बीज
बादाम, मकई, अरहर और उड़द जैसे खरीफ सीजन के बीज की आपूर्ति की गई है, लेकिन किसानों को यह नहीं पता कि उन्हें बीज कहां से मिलेगा और कैसे मिलेगा। रजिस्ट्रेशन करवाने के बावजूद कई किसान असमंजस में हैं। पंचायत स्तर पर भी क्लस्टर सूची की कोई कॉपी नहीं सौंपी गई है।
एक किसान रमेश महतो ने कहा: “हमने फार्म भरा है लेकिन न तो कोई सूचना मिली और न ही बीज मिला। खेत की तैयारी बेकार हो रही है।”
पदाधिकारी की चुप्पी से संदेह और गहराया
इस मामले में जब प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी रामनाथ यादव से क्लस्टर संबंधी जानकारी लेनी चाही गई तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उनके इस रवैये से पंचायत प्रतिनिधियों और किसानों में रोष और अधिक बढ़ गया है। वे अब इस पूरे मामले को सरकार तक पहुंचाने की बात कह रहे हैं।
सुशीला देवी ने चेतावनी दी: “यह सिर्फ किसानों के हक का सवाल नहीं है, यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है। सरकार को जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।”
न्यूज़ देखो: किसानों की अनदेखी नहीं, जवाबदेही चाहिए
बरवाडीह जैसी कृषि-प्रधान जगहों पर जब किसानों को बीज जैसी बुनियादी सुविधा तक पारदर्शिता से नहीं दी जाती, तो यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि न्याय और अधिकारों का हनन है। प्रशासन को चाहिए कि हर क्लस्टर की सूची सार्वजनिक करे और पंचायत स्तर पर जानकारी उपलब्ध कराए।
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जागरूक नागरिकता ही देगी किसान को अधिकार की ताकत
किसान अगर सजग होंगे और पंचायत प्रतिनिधि मजबूती से सवाल उठाएंगे, तभी ऐसी गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी। इस खबर को शेयर करें, ताकि किसानों के हक की लड़ाई को और आवाज मिले और सरकार को जवाबदेह बनाया जा सके।