Dhanbad

धनबाद: निजी अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत से मचा हंगामा, परिजन बोले डॉक्टर की लापरवाही से गई जान

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#धनबाद #अस्पताल_हंगामा : परिजन डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाकर अस्पताल को सील करने की मांग पर अड़े।
  • धनबाद के बाघमारा थाना क्षेत्र में निजी अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद महिला की मौत।
  • परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया।
  • ग्रामीणों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया, पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति संभाली।
  • गिरिडीह सांसद प्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे, अस्पताल का लाइसेंस नहीं होने का लगाया आरोप।
  • सीओ गिरिजानंद किस्कू ने कहा—जांच कराई जाएगी और मुआवजा वार्ता की प्रक्रिया शुरू होगी।

धनबाद जिले के बाघमारा थाना क्षेत्र के हरिणा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब डिस्चार्ज के बाद घर ले जाते वक्त एक महिला की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल को घेर लिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस बीच सांसद प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे। मामले ने पूरे इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इलाज में लापरवाही का आरोप, परिजनों में आक्रोश

मामला सोमवार रात का है। मृतका गीता देवी, जो रामकुंडा की रहने वाली थीं, को 9 दिन पहले प्रसव के लिए हरिणा रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सफल प्रसव के बाद सोमवार को महिला को नवजात शिशु के साथ डिस्चार्ज कर दिया गया। परिवार के अनुसार, रास्ते में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजन नवजात के साथ अस्पताल लौट आए और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे।

भाई का दर्द—”बहन की हालत खराब थी, फिर भी डिस्चार्ज कर दिया गया”

मृतका के भाई ने बताया कि प्रसव के बाद गीता देवी की तबीयत में सुधार नहीं हुआ था, सांस तेज चल रही थी। उन्होंने डॉक्टर से कहा था कि हालत ठीक नहीं है, लेकिन डॉक्टर ने इसे नजरअंदाज करते हुए डिस्चार्ज दे दिया। भाई ने कहा कि यह इलाज में लापरवाही का मामला है और डॉक्टर की गलती से उसकी बहन की जान गई है।

पुलिस मौके पर तैनात, अभी तक लिखित शिकायत नहीं

घटना की जानकारी मिलने के बाद बाघमारा थाना पुलिस रात में ही मौके पर पहुंच गई। सब इंस्पेक्टर ने बताया कि रात से ही लोग हंगामा कर रहे हैं और पुलिस विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात है। उन्होंने बताया कि सोमवार को महिला को डिस्चार्ज किया गया था और रास्ते में मौत हो गई। हालांकि, अभी तक पीड़ित परिवार की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई है। पुलिस ने कहा कि शिकायत मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सांसद प्रतिनिधि का आरोप—“अस्पताल में डॉक्टर और नर्स तक नहीं”

इस घटना के बाद गिरिडीह सांसद प्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे और अस्पताल की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में न तो डॉक्टर मौजूद है और न ही प्रशिक्षित नर्स। इतना ही नहीं, अस्पताल के पास लाइसेंस भी नहीं है, फिर भी यह वर्षों से चल रहा है। सांसद प्रतिनिधि ने सिविल सर्जन को फोन कर पूरी जानकारी दी और जांच के आदेश की मांग की।

प्रशासन हुआ सक्रिय, जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए बाघमारा के सीओ गिरिजानंद किस्कू ने तुरंत जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा:

गिरिजानंद किस्कू, सीओ बाघमारा ने कहा: “अस्पताल और घटना की जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक को निर्देश दिया गया है। सिविल सर्जन से जांच की प्रक्रिया पर बात की गई है। मुआवजा के लिए अस्पताल प्रबंधन और परिजन के बीच वार्ता कराई जाएगी। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया जाएगा।”

स्वास्थ्य प्रणाली पर उठे सवाल

यह मामला एक बार फिर से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है। ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में कई छोटे निजी अस्पताल बिना अनुमति और योग्य डॉक्टरों के चल रहे हैं। गरीब तबके के लोग मजबूरी में इन्हीं अस्पतालों का सहारा लेते हैं, लेकिन आए दिन गलत इलाज या लापरवाही के कारण उनकी जान पर बन आती है। प्रशासन के लिए यह एक बड़ा संकेत है कि स्वास्थ्य संस्थानों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।

न्यूज़ देखो: लापरवाह स्वास्थ्य व्यवस्था पर कड़ा प्रश्नचिह्न

यह घटना केवल एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि जमीनी स्वास्थ्य प्रणाली की बड़ी विफलता को उजागर करती है। बिना लाइसेंस, बिना योग्य डॉक्टरों वाले अस्पताल खुलेआम चल रहे हैं और निरीक्षण की प्रक्रिया केवल कागजों में सीमित रह गई है। अब जरूरी है कि प्रशासन ऐसी घटनाओं पर कठोर कदम उठाए और जनता का भरोसा लौटाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग नागरिक बनें, लापरवाही पर सवाल उठाएं

एक महिला की असमय मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या हमारी व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि जिंदगी का मूल्य ही नहीं रहा? अब समय है कि हम सब स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति जागरूक बनें। प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाएं और ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग करें।
सजग रहें, जिम्मेदार बनें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और समाज में जागरूकता फैलाएं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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