
#ओखरगाड़ा #छठमहापर्व : डॉ. नेसार ने विभिन्न छठ घाटों पर जाकर व्रतियों को दी बधाई – कहा, छठ पर्व सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक है।
- आस्था के महापर्व छठ पर ओखरगाड़ा क्षेत्र के कई गांवों में भक्ति और उत्साह का माहौल रहा।
- युवा समाजसेवी डॉ. मोहम्मद नेसार ने दर्जनों छठ घाटों का भ्रमण कर छठव्रतियों को शुभकामनाएं दीं।
- जोगनी, परसही, पचफेड़ी, गटियरवा, चटनियां, बड़काबन पहाड़ घाट, अमोलवा टांड़ समेत अनेक स्थलों का दौरा किया गया।
- ग्रामीणों ने डॉ. नेसार का सामाजिक एकता और सेवा भावना के लिए स्वागत किया।
- भक्ति, स्वच्छता और सामुदायिक सहयोग के संदेश के साथ संपन्न हुआ छठ महापर्व।
गढ़वा जिले के ओखरगाड़ा पूर्वी पंचायत क्षेत्र में इस वर्ष छठ महापर्व का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। चार दिनों तक चले इस आस्था के पर्व के दौरान हजारों श्रद्धालु घाटों पर एकत्र हुए। इस मौके पर स्थानीय समाजसेवी डॉ. मोहम्मद नेसार ने गांव-गांव पहुंचकर व्रतियों और ग्रामीणों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि छठ केवल पूजा का पर्व नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और मानवता का प्रतीक है, जो लोगों को एक सूत्र में जोड़ता है।
ओखरगाड़ा में छठ घाटों पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
छठ महापर्व के अवसर पर ओखरगाड़ा पूर्वी पंचायत के जोगनी, परसही, पचफेड़ी, गटियरवा, चटनियां, हनुमान मंदिर पचफेड़ी मोड़, बड़काबन पहाड़ घाट और अमोलवा टांड़ जैसे गांवों के घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु जुटने लगे। महिलाओं ने पूरे आचार-विचार के साथ अर्घ्य के लिए तैयारी की और शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
डॉ. मोहम्मद नेसार ने इन सभी घाटों का दौरा किया और व्रतियों से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि मानवता और सामाजिक एकजुटता की भावना को मजबूत करने का अवसर भी है। उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि छठ जैसे पावन अवसर पर स्वच्छता और भाईचारे को बढ़ावा दें ताकि समाज में सौहार्द का वातावरण बने।
समाजसेवी भावना और स्थानीय सहभागिता की मिसाल
डॉ. नेसार के इस दौरे में कई ग्रामीणों और युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। क्षेत्र के लोगों ने कहा कि उनकी उपस्थिति से पूरे इलाके में उत्साह का माहौल बन गया। इस अवसर पर स्थानीय समाजसेवी और बुद्धिजीवी वर्ग ने भी छठ पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला।
डॉ. मोहम्मद नेसार ने कहा: “छठ पर्व केवल सूर्योपासना का नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और मानवता का पर्व है। जब पूरा समाज एक साथ मिलकर श्रद्धा के साथ इस पर्व को मनाता है, तो यह हमारे समाज की मजबूती को दर्शाता है।”
उन्होंने ग्रामीण युवाओं से आग्रह किया कि वे समाज में स्वच्छता, शिक्षा और सहयोग के संदेश को आगे बढ़ाएं।
सामूहिक श्रद्धा और ग्रामीण सहभागिता का अद्भुत दृश्य
कार्यक्रम में गांव के अनेक गणमान्य लोग और श्रद्धालु मौजूद थे। ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष छठ पर्व में पहले से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिससे घाटों पर रौनक और भी बढ़ गई। महिलाओं और पुरुषों दोनों ने पूरे विधि-विधान से पूजा की और सूर्य भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
इस मौके पर अश्विनी तिवारी, ऊना चौधरी, बिगन शर्मा, राम सकल चौधरी, बबलू चौधरी, नागेंद्र चौधरी, प्रशांत लाल, संतोष लाल, मोहम्मद फैज, मोहम्मद बिलाल, मोहम्मद कासिम, सकेंदर चौधरी, अमरेश राम, लाला उरांव, राजू चौधरी, संजय उरांव, अनिल उरांव, जयराम राम, राजू राम, रामप्रवेश विश्वकर्मा सहित कई लोग उपस्थित थे जिन्होंने अपने सहयोग से इस आयोजन को सफल बनाया।
छठ पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अत्यंत आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति, सूर्य और जल के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। डॉ. नेसार जैसे समाजसेवियों की सक्रिय भूमिका इस पर्व को और भी सार्थक बना देती है क्योंकि वे इसे केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक सौहार्द और जनसेवा के रूप में देखते हैं।

न्यूज़ देखो: डॉ. नेसार का दौरा बना सामाजिक एकता का प्रतीक
डॉ. मोहम्मद नेसार का छठ घाटों का यह दौरा केवल औपचारिक बधाई नहीं था, बल्कि एक संदेश था कि समाज की एकता, भाईचारा और सहयोग ही असली पूजा है। उन्होंने जिस तरह हर गांव में जाकर व्रतियों का सम्मान किया, उससे स्पष्ट हुआ कि सामाजिक सरोकार आज भी जीवित हैं।
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आस्था के पर्व से मिले एकता और सेवा का संदेश
छठ महापर्व हमें सिखाता है कि श्रद्धा, एकता और सेवा का संगम ही समाज की असली शक्ति है। हमें जरूरत है कि इस पर्व की भावना को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं। जब हर नागरिक अपने समुदाय में सकारात्मक योगदान देगा, तभी हमारा समाज और मजबूत बनेगा।
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