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धनबाद में ईडी की बड़ी कार्रवाई: कोयला कारोबारियों के कई ठिकानों पर तड़के से छापेमारी, मनी लांड्रिंग की जांच तेज

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#धनबाद #ईडी_छापेमारी : कोयला कारोबार से जुड़ी मनी लांड्रिंग की जांच को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने शहर में कई प्रतिष्ठित कारोबारियों के ठिकानों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया—जिससे पूरे जिले में हलचल तेज हो गई।
  • ईडी की टीम ने सुबह से धनबाद में कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।
  • छापेमारी कोयला कारोबार और मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में की जा रही है।
  • कार्रवाई डेको आउटसोर्सिंग कंपनी के संचालक मनोज अग्रवाल के आवास और कार्यालयों पर केंद्रित।
  • बड़े कोयला कारोबारी सुधीर चौटाला और इंद्रराज भदौरिया के ठिकानों पर भी तलाशी।
  • आउटसोर्सिंग, ट्रांसपोर्टिंग और अवैध कोयला कारोबार से जुड़े लेनदेन की जांच।
  • इलाके में सुरक्षा कड़ी, स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय एजेंसियों का समन्वय।

धनबाद में प्रवर्तन निदेशालय की आज तड़के से शुरू हुई कार्रवाई ने कोलफील्ड्स क्षेत्र की राजनीति, व्यवसाय और प्रशासनिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। कोयला कारोबारियों से जुड़े मनी लांड्रिंग और काले धन के प्रवाह को लेकर एजेंसी ने कई लोकेशनों को एक साथ चिन्हित कर छापेमारी शुरू की। यह ऑपरेशन विशेष रूप से उन ठिकानों पर केंद्रित है जहाँ से अवैध कोयला व्यापार, परिवहन और वित्तीय लेनदेन के सबूत मिलने की संभावना जताई गई थी। इस कार्रवाई को कोयला बेल्ट में अब तक की महत्वपूर्ण जांचों में से एक माना जा रहा है।

ईडी का तड़के से ऑपरेशन: कई लोकेशन पर दबिश

धनबाद के विभिन्न इलाकों में सुबह लगभग 6 बजे से ईडी की अलग-अलग टीमें सक्रिय हुईं। इनमें पुलिस बल भी शामिल था ताकि सुरक्षा और कानून व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। कार्रवाई के केंद्र में डेको आउटसोर्सिंग कंपनी के संचालक और ट्रांसपोर्टर मनोज अग्रवाल, बड़े कोयला कारोबारी सुधीर चौटाला, तथा इंद्रराज भदौरिया के ठिकाने शामिल हैं।

एजेंसी का फोकस उन वित्तीय दस्तावेजों, डिजिटल रिकॉर्डों और लेनदेन के प्रमाणों पर है, जिनसे अवैध कोयला उत्खनन और परिवहन के जरिए मनी लांड्रिंग की आशंका जताई गई है।

मनोज अग्रवाल के ठिकानों पर विशेष निगरानी

धनबाद कोलफील्ड्स में लंबे समय से सक्रिय और प्रभावशाली माने जाने वाले मनोज अग्रवाल की आउटसोर्सिंग कंपनी डेको पर ईडी की नजर पहले भी रही है। कंपनी को कई कोल प्रोजेक्ट्स में आउटसोर्सिंग और ट्रांसपोर्टिंग का बड़ा ठेका मिला हुआ है।

ईडी के एक अधिकारी ने कहा: “जांच प्रारंभिक सूचना के आधार पर आगे बढ़ रही है। वित्तीय दस्तावेजों और डिजिटल लेनदेन को खंगाला जा रहा है।”

सूत्र बताते हैं कि एजेंसी ने उन स्थानों से लैपटॉप, हार्डडिस्क, मोबाइल फोन और कुछ महत्वपूर्ण फाइलें भी जब्त की हैं, जिनकी फोरेंसिक जांच आगे की कार्रवाई को दिशा देगी।

अवैध कोयला कारोबार से मनी लांड्रिंग की आशंका

धनबाद और आसपास के क्षेत्रों में कोयला उत्खनन का बड़ा नेटवर्क है, जिसमें वर्षों से अवैध खनन और सप्लाई चेन की चर्चाएँ होती रही हैं। ईडी को आशंका है कि अवैध रूप से निकाले गए कोयले का कारोबार व्यापक स्तर पर चल रहा है, और उससे उत्पन्न रकम को विभिन्न व्यवसायों और शेल कंपनियों के माध्यम से वैध दिखाने का प्रयास किया गया है।

छापेमारी का यह पूरा अभियान इसी संदिग्ध वित्तीय ढांचे को खंगालने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।

सुधीर चौटाला और इंद्रराज भदौरिया के परिसरों की भी तलाशी

धनबाद के अन्य बड़े कारोबारी सुधीर चौटाला और इंद्रराज भदौरिया भी ईडी की रडार पर हैं। दोनों के कई व्यावसायिक और आवासीय परिसरों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया गया।

यह माना जा रहा है कि इन कारोबारियों के बीच कई कोयला प्रोजेक्ट्स और ट्रांसपोर्ट रूट में साझेदारी या लिंक पाए गए हैं, जिनमें अवैध लेनदेन की संभावनाएं जताई गई हैं।

स्थानीय प्रशासन अलर्ट मोड में

ईडी की कार्रवाई के दौरान स्थानीय प्रशासन ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। इससे भीड़ को रोकने और जांच टीमों के सुचारू कामकाज में सहायता मिल रही है।

धनबाद के प्रमुख व्यावसायिक इलाकों में दिनभर स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में रही।

न्यूज़ देखो: कोयला राजधानी में जवाबदेही की परीक्षा

धनबाद में ईडी की यह छापेमारी एक बार फिर कोयला कारोबार की अपारदर्शिता और राजनीतिक-व्यावसायिक गठजोड़ पर सवाल खड़े करती है। कार्रवाई से स्पष्ट है कि केंद्रीय एजेंसियां अवैध खनन और काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था पर कठोर प्रहार की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। यह भी दिखाता है कि पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर स्थानीय सिस्टम पर अधिक दबाव बढ़ेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जब जागरूक नागरिक कदम बढ़ाते हैं, सिस्टम मजबूत होता है

धनबाद में चल रही यह बड़ी कार्रवाई केवल कानून का मसला नहीं, बल्कि जन-जवाबदेही का भी प्रश्न है। ऐसे मामलों में आम लोगों की जागरूकता, मीडिया की सतर्कता और प्रशासनिक पारदर्शिता—तीनों मिलकर ही कोयला बेल्ट जैसी संवेदनशील अर्थव्यवस्थाओं को सुधार सकती है।

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