
#कोलेबिरा #पूस_जतरा : सरंगापानी में लोक कला और सामाजिक एकता का रंगारंग उत्सव आयोजित हुआ।
कोलेबिरा प्रखंड के सरंगापानी गांव में आयोजित पारंपरिक पूस जतरा में लोक कला, संगीत और नृत्य का भव्य संगम देखने को मिला। कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से ग्रामीण संस्कृति की जीवंत झलक पेश की। मुख्य अतिथि भाजपा प्रखंड अध्यक्ष अशोक इंदवार ने जतरा को सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक संरक्षण से जोड़ते हुए इसकी महत्ता बताई। आयोजन ने ग्रामीण एकजुटता और परंपराओं के संरक्षण का मजबूत संदेश दिया।
- सरंगापानी गांव में पूस जतरा के अवसर पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित।
- लोक गायक जगदीश बड़ाईक की भक्ति वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ।
- सोनी कुमारी, तेजस्विनी देवी, चन्दन दास, लक्ष्मण सिंह की गीत प्रस्तुतियों ने बांधा समां।
- डांसर सारिका नायक के नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया।
- मुख्य अतिथि अशोक इंदवार, भाजपा प्रखंड अध्यक्ष कोलेबिरा, ने जतरा के सामाजिक महत्व पर प्रकाश डाला।
- आयोजन समिति व मंच संचालकों की सक्रिय भूमिका से कार्यक्रम रहा सफल।
कोलेबिरा प्रखंड के सरंगापानी गांव में पारंपरिक पूस जतरा का आयोजन इस वर्ष विशेष उत्साह और भव्यता के साथ किया गया। ग्रामीणों की भारी उपस्थिति के बीच आयोजित इस मेले में लोक कला, संस्कृति और मनोरंजन का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम ने न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि गांव की सांस्कृतिक पहचान और सामूहिक एकता को भी मजबूती दी। स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियों ने यह साबित किया कि ग्रामीण अंचलों में आज भी परंपराएं जीवित और सशक्त हैं।
लोक भक्ति से हुई सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत
सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ लोक गायक जगदीश बड़ाईक की भक्ति वंदना से हुआ। उनकी मधुर आवाज और भावपूर्ण प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। दर्शकों ने तालियों के साथ कलाकार का उत्साहवर्धन किया, जिससे कार्यक्रम की शुरुआत ही प्रभावशाली रही। इस भक्ति प्रस्तुति ने पूरे आयोजन को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा से भर दिया।
गीत-संगीत की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
इसके पश्चात गायिका सोनी कुमारी, तेजस्विनी देवी, गायक चन्दन दास और लक्ष्मण सिंह ने एक के बाद एक आकर्षक लोकगीत प्रस्तुत किए। इन गीतों में प्रेम, परंपरा और ग्रामीण जीवन की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई दी। कलाकारों की प्रस्तुति पर दर्शक झूमते नजर आए और पूरा मेला उत्सव के रंग में रंग गया। गीतों के माध्यम से स्थानीय बोली और संस्कृति को मंच मिला, जिससे युवा पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ती दिखी।
नृत्य प्रस्तुति ने बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम में डांसर सारिका नायक की नृत्य प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही। उनके सधे हुए कदमों और भावपूर्ण नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक नृत्य शैली में प्रस्तुत उनकी कला ने ग्रामीण संस्कृति की जीवंत तस्वीर पेश की। दर्शकों की तालियों और उत्साह ने कलाकारों का मनोबल और बढ़ाया।
मुख्य अतिथि का संदेश: संस्कृति ही समाज की आत्मा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा प्रखंड अध्यक्ष कोलेबिरा अशोक इंदवार ने अपने संबोधन में पूस जतरा के सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया।
अशोक इंदवार ने कहा: “जतरा मेला गांव में सामाजिक सद्भाव और एकता का संदेश देता है। गांव की कला और संस्कृति समाज और देश की आत्मा होती है। ऐसे आयोजन से ग्रामीण एकजुटता मजबूत होती है और हमारी प्राचीन कला-संस्कृति का संरक्षण होता है।”
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिलता है और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है।
आयोजन समिति की सक्रिय भूमिका
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आयोजन समिति के अध्यक्ष सिकेंद्र प्रधान, उपाध्यक्ष रामब्रित सिंह, बलराम सिंह, संजय सिंह, रामकिसुन सिंह, अनिल कुमार नायक, सचिव महिपाल लोहरा, उप सचिव मनोज सिंह, खिरोधर सिंह, लक्ष्मी नारायण सिंह, राजू लोहरा, कोषाध्यक्ष विजय सिंह, उप कोषाध्यक्ष धनेश्वर सिंह, श्रवण सिंह, व्यवस्थापक जयराम सिंह, संजीत सिंह, और वीरेंद्र लोहरा ने आयोजन की हर व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित किया।
सभी सदस्यों ने सामूहिक प्रयास से यह सुनिश्चित किया कि कलाकारों, दर्शकों और अतिथियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
मंच संचालन और व्यवस्थाएं
कार्यक्रम का मंच संचालन अजय सिंह एवं रामधन सिंह ने कुशलता से किया। उनके प्रभावी संचालन से कार्यक्रम अनुशासित और रोचक बना रहा। समय प्रबंधन और कलाकारों के परिचय से लेकर दर्शकों से संवाद तक, मंच संचालन ने कार्यक्रम की गुणवत्ता को और ऊंचा किया।
न्यूज़ देखो: गांवों में संस्कृति संरक्षण की मजबूत मिसाल
सरंगापानी में आयोजित पूस जतरा यह दर्शाता है कि ग्रामीण समाज आज भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जुड़ा हुआ है। ऐसे आयोजन न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का मजबूत आधार भी हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से इन आयोजनों को और प्रोत्साहन मिल सकता है। आने वाले समय में ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों के लिए संसाधन और मंच कैसे बढ़ाए जाएंगे, यह देखने योग्य होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
परंपरा से प्रगति की ओर बढ़ता गांव
पूस जतरा जैसे आयोजन हमें याद दिलाते हैं कि विकास की राह संस्कृति के साथ ही मजबूत होती है। जब गांव अपनी कला और परंपरा को संजोते हैं, तब समाज की नींव और सुदृढ़ होती है। ऐसे आयोजनों में सहभागिता कर हम अपनी विरासत को जीवित रख सकते हैं।
आप भी अपनी स्थानीय संस्कृति के संरक्षण में भागीदार बनें, ऐसे आयोजनों को प्रोत्साहित करें।





