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रीना प्रेम दुबे की काव्य-कृति ‘करुण पुकार’ का भव्य लोकार्पण: साहित्य में नई संवेदना की लहर

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#मेदिनीनगर #साहित्य : होटल ब्लू बर्ड में शिक्षिका और कवयित्री रीना प्रेम दुबे की काव्य-कृति ‘करुण पुकार’ का भव्य लोकार्पण समारोह
  • लोकार्पण समारोह रविवार को होटल ब्लू बर्ड, मेदिनीनगर में आयोजित किया गया।
  • कार्यक्रम में झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी, डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मिश्र, जिला शिक्षा अधीक्षक संदीप कुमार, औरंगाबाद के शिक्षाविद शंभुनाथ पांडेय, महोत्सव पुरुष सिद्धेश्वर विद्यार्थी सहित अनेक विद्वान उपस्थित थे।
  • कवयित्री रीना प्रेम दुबे ने समाज और मानवीय संवेदनाओं को काव्य में प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया।
  • लोकार्पण समारोह में सरस्वती वंदना, पुस्तक परिचय, अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन जैसे सांस्कृतिक एवं औपचारिक कार्यक्रम संपन्न हुए।
  • कार्यक्रम में साहित्यकार राम लखन दुबे, विनोद तिवारी, धनञ्जय पाठक, प्रेमकांत तिवारी, उदयभानु तिवारी समेत अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।

हिन्दी साहित्य भारती, पलामू के तत्वावधान में आयोजित लोकार्पण समारोह में कवयित्री रीना प्रेम दुबे की काव्य-संग्रह ‘करुण पुकार’ को साहित्यिक समुदाय और विद्वानों द्वारा उच्च सम्मान दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता छंदशास्त्री श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने की और कवि राकेश कुमार ने संचालन किया। उपस्थित विद्वानों ने कहा कि रीना प्रेम दुबे की कविताएँ मानवीय करुणा और सामाजिक संवेदनाओं को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करती हैं।

साहित्यिक प्रतिक्रिया और विशेष अतिथियों के विचार

मुख्य अतिथि इंदर सिंह नामधारी ने कहा:

“अंधकार है वहाँ जहाँ आदित्य नहीं है, मुर्दा है वह देश जहाँ साहित्य नहीं है। रीना प्रेम दुबे की ‘करुण पुकार’ में संवेदना और सृजनशीलता का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।”

विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि कविताएँ महादेवी वर्मा और जयशंकर प्रसाद की परंपरा को आगे बढ़ाती हैं। डीईओ संदीप कुमार ने रचना की भाषा और प्रवाह की सराहना करते हुए कहा कि यह काव्य संग्रह पाठकों के दिल को छूता है।

साहित्यकार कुमार मनीष अरविंद ने कहा: “रीना प्रेम दुबे ने अपनी कविताओं में भाषा की शुद्धता और भावों की गहराई को जीवंत किया है।”
शंभुनाथ पांडेय ने साहित्य को समाज का मार्गदर्शन बताया और अन्य लोगों को भी साहित्य से जुड़ने की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम की रूपरेखा

लोकार्पण समारोह में डॉ. राम प्रवेश पंडित द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। पुस्तक परिचय परशुराम तिवारी ने कराया, अतिथियों का स्वागत सत्येंद्र चौबे ‘सुमन’ ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रमेश कुमार सिंह ने प्रस्तुत किया।

सभी उपस्थित साहित्यकारों और साहित्यप्रेमियों ने रीना प्रेम दुबे की काव्य-कृति की सराहना की और उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिए शुभकामनाएँ दी। इस आयोजन ने न केवल साहित्यिक संवेदनाओं को जीवंत किया, बल्कि हिंदी साहित्य और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने का भी महत्वपूर्ण प्रयास किया।

न्यूज़ देखो: रीना प्रेम दुबे की ‘करुण पुकार’ ने साहित्य में संवेदनशीलता की नई दिशा दी

इस लोकार्पण समारोह से यह स्पष्ट होता है कि साहित्य आज भी समाज में संवेदनाओं और मानवीय मूल्यों को जगाने में प्रभावी साधन है। रीना प्रेम दुबे की कविताएँ युवा पाठकों और समाज के सभी वर्गों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

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रीना प्रेम दुबे की कविताओं ने हमें यह याद दिलाया कि साहित्य सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि भावनाओं और करुणा का माध्यम है। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें और हिंदी साहित्य में सक्रिय भागीदारी निभाएं।

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