
#गढ़वा #मानवताकीमिसाल : बेटों ने छोड़ा साथ, समाजसेवी ने निभाया अंतिम संस्कार
- तेतरी देवी (80) की डायरिया से मौत के बाद शव 40 घंटे घर में पड़ा रहा।
- भवनाथपुर प्रखंड के बुका गांव तीनकोनिया टोला का मामला।
- बेटों ने संक्रमण के डर से घर छोड़कर भागने का आरोप।
- प्रशासन की ओर से घंटों तक कोई पहल नहीं।
- समाजसेवी अनुज यादव और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार कराया।
गढ़वा जिले के भवनाथपुर प्रखंड के बुका गांव तीनकोनिया टोला में मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। गांव की बुजुर्ग महिला तेतरी देवी (80) की गुरुवार को डायरिया से मौत हो गई, लेकिन उनका शव 40 घंटे तक घर में पड़ा रहा। संक्रमण के डर से मृतका के तीनों बेटे अपने-अपने परिवार के साथ घर छोड़कर भाग गए, जिससे शव का अंतिम संस्कार तक नहीं हो सका।
गांव के लोग उम्मीद कर रहे थे कि परिवार का कोई सदस्य अंतिम संस्कार के लिए लौटेगा, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया। इस दौरान प्रशासन की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी रही।
आखिरकार मकरी पंचायत के समाजसेवी व युवा जेएमएम नेता अनुज यादव उर्फ बबलू यादव मौके पर पहुंचे। उन्होंने पंचायत मुखिया बेबी देवी, जिला परिषद सदस्य रंजनी शर्मा और ग्रामीणों के सहयोग से अंत्येष्टि की पूरी प्रक्रिया पूरी कराई। शव को बुका नदी स्थित श्मशान घाट ले जाया गया और गांव के रामलाल भुइयां ने हिंदू रीति-रिवाज से उन्हें मुखाग्नि दी।
न्यूज़ देखो: संवेदनहीनता पर करारा तमाचा
यह घटना दिखाती है कि डर और संवेदनहीनता मिलकर किस तरह समाज की मानवीय मूल्यों को कमजोर कर सकती है। ऐसे समय में समाजसेवी अनुज यादव और ग्रामीणों की पहल यह साबित करती है कि मुश्किल घड़ी में इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।
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इंसानियत का दीप जलाए रखें
बीमारियों और कठिन हालात के समय डर के बजाय मदद का हाथ बढ़ाना ही मानवता है। जरूरत है कि हम संवेदनशील बनें और दूसरों के दुख में साझेदारी करें। इस खबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें, ताकि जागरूकता बढ़े।