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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्थापना दिवस विशेष: 140 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा और लोकतांत्रिक संघर्ष

#भारत #कांग्रेसस्थापनादिवस : राष्ट्रीय चेतना से जनआंदोलन और आधुनिक लोकतंत्र तक कांग्रेस की भूमिका।
  • 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।
  • एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम द्वारा गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में गठन।
  • प्रथम अध्यक्ष बैरिस्टर ब्योमेश चंद्र बनर्जी, कुल 72 प्रतिनिधि शामिल।
  • महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बनी जन-आंदोलन।
  • सरोजिनी नायडू बनीं कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष।
  • भारत जोड़ो यात्रा के बाद 2024 में कांग्रेस की उल्लेखनीय वापसी।

28 दिसंबर 1885 को स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत के आधुनिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं में से एक रही है। ब्रिटिश भारतीय सिविल सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम ने मुंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में इसकी नींव रखी। स्थापना के समय कांग्रेस में कुल 72 सदस्य शामिल थे। बंबई में आयोजित पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में बैरिस्टर ब्योमेश चंद्र बनर्जी को कांग्रेस का प्रथम अध्यक्ष चुना गया। यही संगठन आगे चलकर देश का पहला संगठित राष्ट्रवादी आंदोलन बना, जिसने स्वतंत्रता संग्राम की ठोस आधारशिला रखी।

प्रारंभिक दौर: सुधार से राष्ट्रवाद तक

कांग्रेस के शुरुआती वर्षों में दादाभाई नौरोजी, फिरोज शाह मेहता, बदरुद्दीन तैयबजी और सुरेन्द्र नाथ बनर्जी जैसे नेताओं ने संगठन को दिशा दी। उस समय कांग्रेस ब्रिटिश शासन के भीतर रहकर प्रशासनिक सुधारों और भारतीयों के अधिकारों के लिए संवाद की नीति अपनाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अंग्रेजी हुकूमत की नीतियों के खिलाफ असंतोष बढ़ता गया और कांग्रेस सुधारवादी संगठन से आगे बढ़कर राष्ट्रवादी मंच में परिवर्तित हो गई।

गांधी युग: संगठन से जन-आंदोलन

वर्ष 1920 में महात्मा गांधी के कांग्रेस नेतृत्व संभालने के बाद संगठन की दिशा पूरी तरह बदल गई। सत्य, अहिंसा और नैतिक मूल्यों पर आधारित गांधी जी के नेतृत्व ने कांग्रेस को गांव-गांव तक पहुंचाया। कांग्रेस अब केवल राजनीतिक मंच नहीं रही, बल्कि करोड़ों भारतीयों का जन-आंदोलन बन गई। इस आंदोलन का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि एशिया और अफ्रीका के अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों तक देखने को मिला।

इसी ऐतिहासिक काल में भारत कोकिला सरोजिनी नायडू कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनीं, जिसने महिला सशक्तिकरण की दिशा में नई प्रेरणा दी और भारतीय राजनीति में महिलाओं की भूमिका को मजबूत किया।

विविधता में एकता की विचारधारा

कांग्रेस ने भारत की सामाजिक, धार्मिक और भाषाई विविधता को अपनी ताकत बनाया। मोतीलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे महान नेताओं ने कांग्रेस के मंच से स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी।

चंपारण आंदोलन में नील किसानों की लड़ाई, वारडोली सत्याग्रह में किसानों का संगठित प्रतिरोध और नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों ने किसानों और मजदूरों को राष्ट्रीय संघर्ष से जोड़ा। इसके बाद कांग्रेस आम जनता की पार्टी बन गई, जिसमें हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हुई।

ऐतिहासिक आंदोलन और आज़ादी

महात्मा गांधी के नेतृत्व में चले असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। इन आंदोलनों की विशेषता यह रही कि गांधी जी ने कभी हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। उन्होंने सभी धर्मों, वर्गों और समुदायों को साथ लेकर चलने की परंपरा स्थापित की, जो आज भी कांग्रेस की मूल विचारधारा का आधार है। अंततः कांग्रेस के नेतृत्व में भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की।

आज़ादी के बाद कांग्रेस की भूमिका

स्वतंत्रता के बाद लगभग सात दशकों तक देश की सत्ता में कांग्रेस की प्रभावी भूमिका रही। संविधान निर्माण, लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना, औद्योगीकरण, शिक्षा और सामाजिक न्याय की नीतियों में कांग्रेस की भूमिका निर्णायक रही। हालांकि समय-समय पर पार्टी को विभाजन और राजनीतिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा।

2014 से 2024: संघर्ष और पुनरुत्थान

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐतिहासिक पराजय का सामना करना पड़ा और पार्टी केवल 44 सांसदों तक सिमट गई। इसके बाद संगठन ने आत्ममंथन और पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की।

राहुल गांधी के नेतृत्व में वर्ष 2022 में शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक निकली इस पदयात्रा में दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, प्रवासी मजदूरों और कमजोर वर्गों के अधिकारों को प्रमुखता से उठाया गया। इसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट दिखा, जहां कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक सीटें हासिल कीं। वहीं भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी और सहयोगी दलों के सहारे सरकार बनाने को विवश हुई।

महिला कांग्रेस की भूमिका

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्थापना दिवस के अवसर पर पलामू जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष रेखा सिंह ने कहा कि कांग्रेस केवल एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि विचार, संघर्ष और समर्पण की परंपरा है। उन्होंने कहा कि महिला कांग्रेस आज भी सरोजिनी नायडू, इंदिरा गांधी और हजारों महिला स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत कर रही है। महिला सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा कांग्रेस की मूल विचारधारा रही है।

न्यूज़ देखो: कांग्रेस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता

कांग्रेस की 140 वर्षों की यात्रा भारत के लोकतांत्रिक विकास की कहानी है। स्थापना दिवस अतीत के संघर्षों को याद करने के साथ-साथ संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के संकल्प को दोहराने का अवसर है। बदलते राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस की भूमिका एक बार फिर चर्चा में है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का संकल्प

स्थापना दिवस के अवसर पर कांग्रेस अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर देश की एकता, अखंडता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता दोहराती है। आप क्या मानते हैं—आज के दौर में कांग्रेस की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है? अपनी राय साझा करें और इस विचार को आगे बढ़ाएं।

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