
#विश्रामपुर #अनाथ_सहायता : प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी श्री राम शंकर करेंगे अनाथ सहायता केंद्र का भूमिपूजन।
पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड स्थित तोलरा गांव में एक ऐतिहासिक सामाजिक पहल की शुरुआत होने जा रही है। फरवरी–मार्च 2026 के बीच भारत के पहले अनाथ सहायता केंद्र का भूमिपूजन प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी श्री राम शंकर द्वारा किया जाएगा। पत्रकार रामनिवास तिवारी की पहल से शुरू हो रहा यह केंद्र अनाथ बच्चों के संरक्षण, परवरिश और भविष्य निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- तोलरा गांव में खुलेगा भारत का पहला अनाथ सहायता केंद्र।
- स्वामी श्री राम शंकर करेंगे फरवरी–मार्च में भूमिपूजन।
- पत्रकार रामनिवास तिवारी की पहल से हो रही शुरुआत।
- अनाथ बच्चों के संरक्षण और परवरिश का उद्देश्य।
- समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और धर्मरक्षक करेंगे सहयोग।
पलामू जिले के विश्रामपुर प्रखंड का प्रसिद्ध गांव तोलरा जल्द ही एक ऐतिहासिक पहचान हासिल करने जा रहा है। गांव में भारत का पहला अनाथ सहायता केंद्र स्थापित होने जा रहा है, जिसका भूमिपूजन आगामी फरवरी–मार्च में देश के प्रसिद्ध कथावाचक स्वामी श्री राम शंकर द्वारा किया जाएगा। यह पहल न केवल गांव बल्कि पूरे देश के लिए एक नई सोच और दिशा का प्रतीक मानी जा रही है।
यह अनोखा और संवेदनशील निर्णय वरिष्ठ पत्रकार रामनिवास तिवारी के सौजन्य से लिया गया है, जिसकी चारों ओर सराहना हो रही है। गांव, समाज और प्रशासनिक स्तर पर इस पहल को लेकर सकारात्मक माहौल बना हुआ है।
पत्रकार रामनिवास तिवारी की सोच बनी प्रेरणा
पत्रकार रामनिवास तिवारी ने बताया कि यह निर्णय उन्होंने गांव की मिट्टी, उसकी खुशबू और अपने पूर्वजों की स्मृतियों को संजोते हुए लिया है। उन्होंने कहा कि जैसे त्रेतायुग में भगवान राम की मर्यादा, द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं और सतयुग में राजा हरिश्चंद्र के सत्य की कथाएं प्रेरणा बनीं, उसी तरह कलियुग में मानवता और करुणा ही सबसे बड़ा धर्म है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस अनाथ सहायता केंद्र का नाम गांव के पूर्वज बिशा बाबा के नाम पर रखा जाएगा, जिन्होंने तोलरा को पहचान और आयाम देने का कार्य किया था। यह केंद्र न केवल अनाथ बच्चों का आश्रय बनेगा, बल्कि उनके जीवन को नई दिशा भी देगा।
अनाथ बच्चों के लिए बनेगा सुरक्षित भविष्य
रामनिवास तिवारी ने स्पष्ट किया कि इस केंद्र में रहने वाले अनाथ बच्चों को समाज का बच्चा माना जाएगा। उन्होंने कहा:
रामनिवास तिवारी ने कहा: “समाज में अनाथ बच्चा हमारे अपने बच्चे की तरह होगा। उनकी परवरिश, शिक्षा और भविष्य की जिम्मेदारी हम सभी की होगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता के गुजर जाने के बाद किसी बच्चे का जीवन पूरी तरह बिखर जाता है। ऐसे बच्चों को सहारा देना केवल सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य भी है।
स्वामी श्री राम शंकर की गरिमामयी उपस्थिति
इस ऐतिहासिक पहल को और भी विशेष बना रहा है स्वामी श्री राम शंकर का जुड़ाव। स्वामी श्री राम शंकर देश के जाने-माने कथावाचक हैं और उनके इंटरव्यू देश की प्रसिद्ध एंकर चित्रा त्रिपाठी द्वारा लिए जा चुके हैं। उनकी उपस्थिति से इस आयोजन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की उम्मीद है।
भूमिपूजन समारोह के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु, समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और ग्रामीणों के शामिल होने की संभावना है।
प्रशासन और समाजसेवियों का सहयोग
इस पहल को लेकर न केवल पत्रकार जगत, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी और धर्मरक्षक वर्ग भी उत्साहित हैं। सभी ने इस अनाथ सहायता केंद्र के निर्माण और संचालन में भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह केंद्र न केवल अनाथ बच्चों के जीवन में बदलाव लाएगा, बल्कि क्षेत्र में सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता को भी मजबूत करेगा।
तैयारी शुरू, गांव में उत्साह का माहौल
अनाथ सहायता केंद्र को लेकर प्रारंभिक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भूमि चिन्हांकन से लेकर आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है। गांव में इस परियोजना को लेकर उत्साह और गर्व का माहौल है।
ग्रामीणों का कहना है कि तोलरा गांव अब केवल अपनी भौगोलिक पहचान के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की मिसाल के रूप में जाना जाएगा।
मानवता का संदेश
यह पहल इस बात का उदाहरण है कि जब समाज का कोई व्यक्ति आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाता है, तो पूरे समुदाय में सकारात्मक बदलाव की लहर दौड़ जाती है। अनाथ बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सशक्त और सम्मानजनक जीवन की नींव रखने की यह कोशिश भविष्य में अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।
न्यूज़ देखो: मानवता की मिसाल बनेगा तोलरा का यह प्रयास
तोलरा में अनाथ सहायता केंद्र की स्थापना यह दिखाती है कि सामाजिक बदलाव सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं होते। पत्रकार रामनिवास तिवारी की पहल और स्वामी श्री राम शंकर की सहभागिता इसे एक राष्ट्रीय स्तर की प्रेरक कहानी बनाती है। अब देखना होगा कि यह मॉडल देश के अन्य हिस्सों में कैसे अपनाया जाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जब समाज जिम्मेदारी ले, तभी बदलता है भविष्य
अनाथ बच्चों को सहारा देना केवल दान नहीं, एक जिम्मेदारी है।
तोलरा की यह पहल हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हम समाज के लिए क्या कर सकते हैं।
यदि आप भी इस सोच से सहमत हैं, तो अपनी आवाज जोड़ें।
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