
#गढ़वा #हादसा : हाथियों के आतंक से बचने के लिए लगाई गई करंट प्रवाहित तार ने ले ली मां की जान, बेटा गंभीर रूप से घायल — ग्रामीणों में दहशत और प्रशासन से नाराजगी।
- गढ़वा जिले के चिनिया थाना क्षेत्र के चमकली गांव में बड़ा हादसा।
- सैदुन बीबी (40 वर्ष) की करंट लगने से मौत, 14 वर्षीय पुत्र गुलाम अंसारी घायल।
- हाथियों से फसल और जान बचाने के लिए लगाई गई थी करंट प्रवाहित तार।
- बेटे को बचाने के प्रयास में मां खुद उच्च वोल्टेज करंट की चपेट में आई।
- ग्रामीणों ने वन विभाग से सुरक्षा उपाय और परिवार को मुआवजा की मांग की।
गढ़वा जिले के चिनिया थाना क्षेत्र के चमकली गांव में गुरुवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। 40 वर्षीय सैदुन बीबी, पत्नी खुर्शीद अंसारी, की मौत करंट प्रवाहित तार की चपेट में आने से हो गई। वहीं उनका 14 वर्षीय पुत्र गुलाम अंसारी गंभीर रूप से झुलस गया है, जिसका इलाज गढ़वा सदर अस्पताल में चल रहा है।
हाथियों के आतंक से बचाव बना जानलेवा उपाय
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से चमकली गांव और आसपास के इलाकों में जंगली हाथियों का आतंक लगातार बढ़ गया था। फसलों और घरों को नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीणों ने करंट प्रवाहित तारों से अपने घरों और खेतों की घेराबंदी कर रखी थी। इसी तार में सैदुन बीबी और उनका बेटा फंस गए।
बताया गया कि गुरुवार सुबह गुलाम अंसारी किसी काम से बाहर निकला, तभी अनजाने में वह करंट प्रवाहित तार के संपर्क में आ गया। बेटे को छटपटाते देख मां सैदुन बीबी उसे बचाने के लिए दौड़ीं और किसी तरह बेटे को तार से अलग कर दिया। लेकिन इसी दौरान वह खुद उच्च वोल्टेज करंट की चपेट में आ गईं और मौके पर ही गिर पड़ीं।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही गई जान
घटना के बाद आसपास के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और दोनों को तार से अलग किया। ग्रामीणों ने गंभीर हालत में मां-बेटे को गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद सैदुन बीबी को मृत घोषित कर दिया। वहीं गुलाम अंसारी की हालत गंभीर बताई जा रही है और उसका इलाज जारी है।
पुलिस जांच और पोस्टमार्टम की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही चिनिया थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। खबर लिखे जाने तक पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। पुलिस ने इस घटना को लेकर आवश्यक जांच शुरू कर दी है।
ग्रामीणों में आक्रोश और दहशत
इस दर्दनाक हादसे के बाद चमकली गांव में माहौल गमगीन है। ग्रामीणों ने बताया कि वे मजबूरी में करंट प्रवाहित तार लगाते हैं, क्योंकि प्रशासन की ओर से हाथी आतंक से बचाव के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। पिछले कुछ महीनों में हाथियों द्वारा फसलों की बर्बादी और जानमाल के नुकसान के कई मामले सामने आए हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि मृतका के परिवार को मुआवजा, घायल बच्चे के बेहतर इलाज की व्यवस्था, और प्रभावित इलाकों में वन विभाग की सक्रियता बढ़ाई जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली विभाग और वन विभाग को मिलकर ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा और जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग भविष्य में इस तरह की जानलेवा व्यवस्थाओं को अपनाने से बचें।
न्यूज़ देखो: मानव और वन्यजीव संघर्ष बना गंभीर सामाजिक चुनौती
गढ़वा की यह घटना एक बार फिर बताती है कि वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना अब अत्यंत आवश्यक है। जब प्रशासनिक उपाय कमजोर पड़ते हैं, तो ग्रामीण मजबूरी में खतरनाक कदम उठाते हैं, जिनका परिणाम जानलेवा साबित होता है। वन विभाग को चाहिए कि ऐसे इलाकों में समय पर पेट्रोलिंग, राहत दल और सुरक्षा बैरियर की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
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हाथी नहीं, असुरक्षा बनी असली समस्या
यह हादसा चेतावनी है कि जब नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं, तो वे कानून और सुरक्षा मानकों से परे जाकर खतरनाक कदम उठाते हैं। अब वक्त है कि हम सभी प्रशासन से जवाबदेही मांगें और सुरक्षित सहअस्तित्व की दिशा में कदम बढ़ाएं।
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