Gumla

मंगरूतला गांव आज भी ढिबरी युग में जी रहा, सड़क-बिजली-पानी की बाट जोहते हैं ग्रामीण

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#गुमला #मूलभूत_सुविधाएं :आजादी के 78 वर्ष और झारखंड के 25 साल बाद भी विकास की एक भी किरण नहीं पहुंची मंगरूतला गांव — चटानों पर चढ़कर जाते हैं ग्रामीण, बिजली-पानी-अंगनबाड़ी सब सपना
  • गुमला के जारी प्रखंड के मंगरूतला गांव में आज भी नहीं है सड़क, बिजली और साफ पानी
  • ग्रामीणों ने बताया – गंभीर मरीजों को खाट पर लादकर 3 किलोमीटर दूर तक ले जाना पड़ता है
  • स्कूली बच्चों को लालटेन और सोलर से करनी पड़ती है पढ़ाई
  • आज तक नहीं पहुंचा पीएम आवास या अबुआ आवास योजना का लाभ
  • गांव में 20 से 25 छोटे बच्चे हैं लेकिन एक भी आंगनबाड़ी नहीं है

विकास के दावे, लेकिन हकीकत में ढिबरी युग का जीवन

गुमला। झारखंड सरकार डिजिटल इंडिया और स्मार्ट विलेज की बात कर रही है, लेकिन गुमला जिले के जारी प्रखंड अंतर्गत जरडा पंचायत के मंगरूतला गांव में आज भी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकी हैं। लगभग 25 से 30 परिवारों वाला यह गांव आज भी सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

ग्रामीणों का कहना है कि अबुआ आवास योजना हो या पीएम आवास योजना, किसी को भी लाभ नहीं मिला। धनो खेरवाईन ने बताया, “हमारे गांव में तो शादी के लिए रिश्ता भी नहीं आता क्योंकि यहां आने के लिए सड़क नहीं है। बरसात में तो हालात और खराब हो जाते हैं। अफसर तो दूर, किसी नेता ने भी गांव का रुख नहीं किया।”

चटानों के बीच से गुजरती पगडंडी ही है एकमात्र रास्ता

मंगरूतला तक पहुंचने के लिए न कोई सड़क है, न पक्का रास्ता। सिर्फ पगडंडी है, वो भी चट्टानों और घाटियों के बीच से होकर जाती है। मरीजों को खाट पर लादकर तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है। दोपहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं।

दूषित चुएं का पानी और सूखते जलस्रोत

गांव में एकमात्र जलस्रोत एक चुएं (झरना) है, जिससे सैकड़ों लोग पानी पीते हैं। गर्मी में यह सूख जाता है और बरसात में पानी लाल और गंदा हो जाता है। धनो कोरवाइन, तेजू बड़ाईक और प्रसाद खेरवार ने बताया कि कई बार आवेदन देने के बाद भी जल योजना का कोई लाभ नहीं मिला।

बिजली का पोल है, पर बिजली नहीं

गांव में बिजली के पोल जरूर लगाए गए हैं, लेकिन आज तक बिजली नहीं आई। ग्रामीण मोबाइल और टॉर्च चार्ज करने के लिए दूसरे गांव जाते हैं या सोलर लाइट का सहारा लेते हैं। स्कूली बच्चे भी सोलर से बैटरी चार्ज कर लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करते हैं।

शिक्षा की स्थिति बेहद दयनीय

गांव में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है, जबकि 20 से 25 छोटे बच्चे-बच्चियां गांव में रहते हैं। नरुता कुमारी, दुर्गा खेरवार और तेतरू खेरवार ने बताया कि “हमारे बच्चों को न समय पर पोषण मिल रहा है, न ही प्रारंभिक शिक्षा। आज के युग में गांव के बच्चों को लालटेन और मिट्टी के फर्श पर पढ़ाई करनी पड़ती है।

‘जन समस्या शिविर’ में भी नहीं मिला समाधान

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने हर जन समस्या शिविर में आवेदन दिया, हर बार भरोसा मिला, लेकिन काम शून्य रहा। आज भी मंगरूतला के लोग बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह स्थिति सरकार की विकास योजनाओं पर सवाल खड़े करती है।

न्यूज़ देखो: ढिबरी की रोशनी में जल रहा गांव, कब जलेगी सरकार की जिम्मेदारी?

मंगरूतला गांव की तस्वीरें झारखंड की असल ग्रामीण सच्चाई को सामने लाती हैं। विकास सिर्फ कागजों में है, जमीनी स्तर पर आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। ‘न्यूज़ देखो’ सरकार और प्रशासन से मांग करता है कि इस गांव को विशेष प्राथमिकता देते हुए योजनाओं की शीघ्र शुरुआत की जाए, ताकि इन लोगों को भी सम्मानपूर्वक जीवन मिल सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

यह समय है आवाज उठाने का, अब चुप रहना अन्याय को बढ़ावा देना है

मंगरूतला के ग्रामीणों की दशा देखकर हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि उनकी आवाज को बुलंद करें। अब समय है कि सरकार संज्ञान ले और योजनाएं सिर्फ घोषणाओं तक नहीं, हकीकत में गांव-गांव तक पहुंचे।
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