
#महुआडांड़ #शिक्षा_सुधार : झारखंड सरकार ने नेतरहाट आवासीय विद्यालय की भर्ती और प्रवेश प्रक्रिया में किया बड़ा बदलाव, नई नियमावली 2025 से बदलेगा पूरा ढांचा
- जेपीएससी (JPSC) के माध्यम से होगी प्राचार्य और शिक्षकों की नियुक्ति।
- प्रवेश परीक्षा अब झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) या अधिकृत एजेंसी आयोजित करेगी।
- नई नियमावली 2025 में AI, डेटा साइंस, कोडिंग जैसे आधुनिक विषय शामिल।
- जनजातीय भाषाओं — संथाली, हो, कुड़ुख, कुरमाली की पढ़ाई भी शुरू होगी।
- कक्षा 6–8 और 9–12 के लिए शिक्षकों की नियुक्ति होगी दो स्तरों पर।
- नई व्यवस्था सत्र 2025–26 से लागू, अन्य जिलों के विद्यालय भी होंगे शामिल।
झारखंड सरकार ने राज्य के प्रतिष्ठित नेतरहाट आवासीय विद्यालय की नियुक्ति और प्रवेश प्रक्रिया में ऐतिहासिक सुधार की घोषणा की है। अब विद्यालय के प्राचार्य से लेकर शिक्षकों तक की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) द्वारा की जाएगी, जबकि प्रवेश परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) या किसी अधिकृत एजेंसी के माध्यम से आयोजित की जाएगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने दो महत्वपूर्ण दस्तावेज — नेतरहाट विद्यालय सेवा शर्त नियमावली 2025 और नेतरहाट विद्यालय प्रबंधन एवं संचालन नियमावली 2025 — तैयार कर ली है। दोनों को मुख्यमंत्री से मंजूरी मिल चुकी है और अब इन्हें कैबिनेट की स्वीकृति के बाद लागू किया जाएगा।
पारदर्शिता और मेरिट पर आधारित भर्ती प्रक्रिया
पहले नेतरहाट विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति कार्यकारिणी समिति की देखरेख में अनुबंध के आधार पर होती थी। लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी तरह जेपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा और 100 अंकों के साक्षात्कार के माध्यम से की जाएगी। इससे चयन प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता आधारित हो जाएगी।
प्राचार्य, उप-प्राचार्य, प्रशिक्षित स्नातकोत्तर और स्नातक शिक्षकों सहित शिक्षकेतर कर्मचारियों के 90 से अधिक पदों पर नियुक्ति होगी। इसके साथ ही विद्यालय में रसोइया, माली, चौकीदार, प्लंबर, आश्रम सेवक, पुस्तकालय सहायक और प्रयोगशाला रक्षक जैसे पद भी शामिल हैं।
दो चरणों में होगी प्रवेश परीक्षा
नई व्यवस्था के तहत प्रवेश परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी और सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव (Objective Type) होंगे। परीक्षा परिणाम के आधार पर नेतरहाट, दुमका, चाईबासा, बोकारो और हजारीबाग के इंदिरा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में एकीकृत मेरिट लिस्ट के अनुसार नामांकन किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति का आधार — आधुनिकता और स्थानीय जुड़ाव
राज्य सरकार ने इस नियमावली में आधुनिक विषयों और स्थानीय भाषाओं दोनों को समान प्राथमिकता दी है। पाठ्यक्रम में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा साइंस, कोडिंग, और साइबर सिक्योरिटी जैसे विषय जोड़े गए हैं।
वहीं दूसरी ओर, राज्य की समृद्ध भाषाई संस्कृति को सहेजने के लिए संथाली, हो, कुड़ुख और कुरमाली भाषाओं की पढ़ाई भी शुरू होगी।
इन विषयों के लिए नए शिक्षकों के पद सृजित किए जा रहे हैं, ताकि विद्यार्थियों को विषय-विशेषज्ञों से शिक्षण मिल सके।
शिक्षण में विशेषज्ञता को मिलेगा महत्व
विद्यालय में अब शिक्षकों की नियुक्ति दो स्तरों पर होगी — एक समूह कक्षा 6 से 8 तक के लिए और दूसरा कक्षा 9 से 12 तक के लिए। इसका उद्देश्य विषय विशेषज्ञता को बढ़ावा देना और छात्रों को बेहतर शैक्षणिक मार्गदर्शन देना है।
अन्य जिलों के विद्यालय भी होंगे शामिल
यह नई व्यवस्था केवल नेतरहाट विद्यालय तक सीमित नहीं रहेगी। दुमका, चाईबासा, बोकारो और हजारीबाग के आवासीय विद्यालयों में भी यह नियम लागू होगा। सभी विद्यालयों का संचालन अब नेतरहाट तर्ज पर किया जाएगा, जिससे गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा दोनों में सुधार आएगा।
अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होगी नई प्रणाली
राज्य सरकार ने योजना बनाई है कि सत्र 2025–26 से नई नियमावली के तहत विद्यालयों का संचालन शुरू कर दिया जाए। सरकार का दावा है कि इस कदम से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को नई दिशा मिलेगी।
न्यूज़ देखो: नेतरहाट से शुरू हो रहा झारखंड का शिक्षा पुनर्जागरण
नेतरहाट मॉडल एक बार फिर झारखंड में शैक्षणिक क्रांति का प्रतीक बनने जा रहा है। पारदर्शी भर्ती, आधुनिक पाठ्यक्रम और स्थानीय भाषाओं के सम्मान का यह संगम शिक्षा में नई परिभाषा गढ़ेगा। अगर यह मॉडल सफल रहा, तो यह राज्य के अन्य विद्यालयों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
नई शिक्षा, नया झारखंड
अब वक्त है कि हम सब गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा के इस अभियान में अपनी भागीदारी दें।
अपनी राय कॉमेंट करें, खबर शेयर करें, और झारखंड के इस शैक्षणिक बदलाव को सब तक पहुंचाएं।




