
#सिमडेगा #श्रीमद्भागवत_कथा : कृष्ण जन्म प्रसंग के जीवंत वर्णन से श्रद्धालु हुए भावविभोर।
सिमडेगा जिले के बानो स्थित मदर टेरेसा कॉलेज सभागार में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की दिव्य कथा का मार्मिक वर्णन किया, जिससे पूरा पंडाल भक्ति रस में डूब गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में देर रात तक कीर्तन, झांकियां और जयघोष होते रहे। आयोजन ने आध्यात्मिक चेतना के साथ सामाजिक एकता का भी संदेश दिया।
- मदर टेरेसा कॉलेज सभागार, बानो में श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिन।
- डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने सुनाई श्रीकृष्ण जन्म की दिव्य कथा।
- कंस, देवकी-वासुदेव और नंद-यशोदा के प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन।
- भव्य कृष्ण जन्मोत्सव, झांकियां, कीर्तन और जयघोष से गूंजा पंडाल।
- श्रद्धालुओं में भक्ति, उल्लास और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम।
सिमडेगा जिले के बानो में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का चौथा दिन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभूति से भरा रहा। मदर टेरेसा कॉलेज सभागार में सजे भव्य कथा पंडाल में जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग आरंभ हुआ, वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं की बड़ी उपस्थिति और उनकी भावनात्मक सहभागिता ने आयोजन को विशेष बना दिया।
कंस के अत्याचार और प्रभु अवतार का मार्मिक वर्णन
कथावाचक डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुए कंस के अत्याचार, देवकी और वासुदेव के कारागार जीवन तथा ईश्वर की अद्भुत लीला का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जब धरती पर अधर्म अपने चरम पर पहुंचता है, तब भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि मानवता के लिए आशा, प्रेम और न्याय का शाश्वत संदेश है।
जैसे ही कथा के दौरान “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” का संकीर्तन हुआ, पूरा पंडाल तालियों, शंखनाद और जयघोष से गूंज उठा। श्रद्धालु भाव-विभोर होकर प्रभु श्रीकृष्ण के स्मरण में लीन नजर आए।
भव्य रूप से मना कृष्ण जन्मोत्सव
कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। मंच पर आकर्षक झांकियों के माध्यम से कारागार में श्रीकृष्ण के प्राकट्य और गोकुल में नंद-यशोदा के आनंदोत्सव का दृश्य सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। दीपों की रोशनी, पुष्प सज्जा और मधुर भजनों ने पूरे परिसर को आध्यात्मिक सौंदर्य से भर दिया।
महिलाएं, बच्चे और युवा श्रद्धालु बढ़-चढ़कर भक्ति-नृत्य और कीर्तन में शामिल हुए। कई भक्त भावनाओं में डूबकर झूमते हुए प्रभु के नाम का जाप करते दिखाई दिए। पूरा वातावरण ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो गोकुल की लीलाएं स्वयं बानो में साकार हो गई हों।
आज के युग में भी प्रासंगिक हैं श्रीकृष्ण के उपदेश
अपने प्रवचन में डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनके उपदेश आज के युग में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उन्होंने गीता के संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि कर्म, धर्म और भक्ति का संतुलन ही मानव जीवन का आधार है। श्रीकृष्ण ने यह सिखाया कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों से कभी विमुख नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सत्य, न्याय और करुणा के मार्ग पर चलना ही सच्ची भक्ति है। अधर्म के विरुद्ध खड़े होने और निर्भय होकर सत्य का साथ देने की प्रेरणा श्रीकृष्ण की लीलाओं से मिलती है, जो आज के समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सामाजिक एकता और संस्कारों का माध्यम बनी कथा
श्रीमद्भागवत कथा का यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज में संस्कार, सद्भाव और एकता को मजबूत करने का माध्यम भी बना। कथा स्थल पर विभिन्न वर्गों और आयु के लोग एक साथ बैठकर कथा श्रवण करते दिखे। इससे सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारे की भावना को बल मिला।
श्रद्धालुओं ने एक स्वर में यह अनुभव साझा किया कि ऐसे आयोजन न केवल आध्यात्मिक शांति देते हैं, बल्कि समाज को जोड़ने का भी कार्य करते हैं।
प्रसाद वितरण और आगामी कथाओं को लेकर उत्साह
कथा के समापन पर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। भक्तों ने आयोजन समिति और डॉ. रामसहाय त्रिपाठी जी महाराज के प्रति आभार व्यक्त किया। वहीं आगामी दिनों की कथा को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। लोग पहले से ही अगले प्रसंगों को सुनने के लिए समय से पंडाल पहुंचने की बात करते नजर आए।

न्यूज़ देखो: भक्ति और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण
बानो में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का चौथा दिन यह दर्शाता है कि धार्मिक आयोजन किस तरह समाज को जोड़ने और सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का कार्य करते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव के माध्यम से भक्ति, संस्कार और एकता का संदेश स्पष्ट रूप से सामने आया है। ऐसे आयोजनों की निरंतरता समाज को आध्यात्मिक और नैतिक रूप से सशक्त बनाती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
भक्ति के साथ जीवन मूल्यों को अपनाने का संकल्प
श्रीमद्भागवत कथा हमें केवल सुनने का नहीं, बल्कि जीवन में उतारने का संदेश देती है।
आइए, श्रीकृष्ण के उपदेशों से प्रेरणा लेकर सत्य, न्याय और करुणा के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
अपनी भावनाएं और अनुभव साझा करें, इस खबर को आगे बढ़ाएं और दूसरों को भी ऐसे आयोजनों से जुड़ने के लिए प्रेरित करें, ताकि समाज में भक्ति और सद्भाव का प्रकाश फैलता रहे।





