
#घाघरा #धान_अधिप्राप्ति : लैंप्स कार्यालय में शुरू हुई सरकारी खरीद, पहले दिन 50 क्विंटल धान की आवक
- गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के चुन्दरी लैंप्स कार्यालय में धान अधिप्राप्ति केंद्र का उद्घाटन।
- बीडीओ दिनेश कुमार, सीओ खाखा सुशील कुमार और मुखिया विनीता कुमारी ने फीता काटकर किया शुभारंभ।
- पहले ही दिन 3 किसानों ने लगभग 50 क्विंटल धान केंद्र पर बेचा।
- धान का सरकारी समर्थन मूल्य ₹24.50 प्रति किलो निर्धारित।
- अतिरिक्त बोनस राशि DBT के माध्यम से सीधे बैंक खाते में जाएगी।
गुमला जिले के घाघरा प्रखंड अंतर्गत चुन्दरी लैंप्स (LAMPS) कार्यालय में बुधवार को धान अधिप्राप्ति केंद्र का विधिवत उद्घाटन किया गया। इस केंद्र के खुलने से क्षेत्र के किसानों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार, अंचल अधिकारी खाखा सुशील कुमार एवं चुन्दरी पंचायत की मुखिया विनीता कुमारी ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में किसान, जनप्रतिनिधि और संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
पहले ही दिन दिखा किसानों का उत्साह
धान अधिप्राप्ति केंद्र के उद्घाटन के पहले ही दिन स्थानीय किसानों ने अपनी उपज बेचने में गहरी रुचि दिखाई। जानकारी के अनुसार, तीन किसानों ने लगभग 50 क्विंटल धान लैंप्स केंद्र पर लाकर बेचा। किसानों ने बताया कि सरकारी केंद्र पर धान बेचने से उन्हें न केवल उचित मूल्य मिल रहा है, बल्कि भुगतान की प्रक्रिया भी सुरक्षित और पारदर्शी है।
प्रशासन की ओर से किसानों को यह भरोसा दिलाया गया कि धान खरीद की पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत और पारदर्शी तरीके से की जाएगी, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या बिचौलियों की भूमिका न रहे।
बिचौलियों से बचने की अपील
उद्घाटन समारोह के दौरान किसानों को संबोधित करते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि किसान अपनी मेहनत की उपज को बिचौलियों या स्थानीय बाजारों में कम कीमत पर न बेचें। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा तय समर्थन मूल्य ₹24.50 प्रति किलो किसानों को लैंप्स केंद्र के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि किसान सीधे लाभान्वित हों और उनकी आमदनी में वृद्धि हो। इसके लिए सभी किसानों को चाहिए कि वे पंजीकरण कराकर सरकारी केंद्र पर ही धान की बिक्री करें।
“सरकारी दर पर धान बेचने से किसानों को न केवल उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि अतिरिक्त बोनस राशि भी सीधे उनके बैंक खाते में पहुंचेगी।”
— दिनेश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी
बोनस राशि सीधे खाते में
बीडीओ ने यह भी जानकारी दी कि धान बिक्री पर मिलने वाली अतिरिक्त बोनस राशि किसानों के बैंक खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाएगी। इससे भुगतान में पारदर्शिता बनी रहेगी और किसानों को समय पर उनकी राशि प्राप्त होगी।
यह व्यवस्था किसानों के लिए काफी राहत भरी है, क्योंकि पूर्व में भुगतान में देरी और कटौती जैसी शिकायतें सामने आती रही हैं।
पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज
इस अवसर पर अंचल अधिकारी खाखा सुशील कुमार ने किसानों को धान अधिप्राप्ति के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि धान बिक्री के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है और इसके लिए निम्नलिखित दस्तावेज जरूरी होंगे—
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक की छायाप्रति
- जमीन की अद्यतन रसीद
उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सभी दस्तावेज समय से तैयार रखें, ताकि धान बिक्री के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो।
किसानों के लिए बड़ी राहत
धान अधिप्राप्ति केंद्र के खुलने से क्षेत्र के छोटे और मध्यम किसानों को काफी राहत मिली है। किसानों का कहना है कि अब उन्हें दूर के बाजारों में जाकर धान बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी और उन्हें सरकारी दर पर अपनी उपज बेचने का अवसर मिलेगा।
स्थानीय किसानों ने बताया कि पहले बिचौलिये कम कीमत पर धान खरीद लेते थे, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता था। अब लैंप्स केंद्र खुलने से यह समस्या काफी हद तक दूर होगी।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति
उद्घाटन कार्यक्रम में विधायक प्रतिनिधि संजीव उरांव, प्रभारी कृषि पदाधिकारी शंकर खेरवार, पंचायत सचिव कालेश्वर साहू सहित बड़ी संख्या में किसान और स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल को किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
धान अधिप्राप्ति केंद्र के संचालन से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। सरकारी खरीद से किसानों में विश्वास बढ़ेगा और वे अगली फसल के लिए और अधिक उत्साह के साथ खेती कर सकेंगे।
न्यूज़ देखो: किसानों के हित में अहम पहल
घाघरा के चुन्दरी लैंप्स में शुरू हुआ धान अधिप्राप्ति केंद्र किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है। यदि खरीद प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू रूप से चलती रही, तो यह मॉडल अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणादायक बनेगा।
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मेहनत का पूरा दाम पाना किसानों का हक है
सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा जब किसान जागरूक बनेंगे।
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