
#डुमरी #किसान_दिवस : किसान हित, मजदूर अधिकार और संगठनात्मक एकता पर जोर देते हुए हुआ आयोजन।
गिरिडीह जिले के डुमरी में झारखंड एकता किसान मजदूर यूनियन द्वारा किसान दिवस का आयोजन कर किसानों और मजदूरों के सम्मान तथा अधिकारों को लेकर साझा संकल्प दोहराया गया। इसरी बाजार स्थित यूनियन के प्रधान कार्यालय में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय नेतृत्व ने की। आयोजन में किसान समस्याओं, सरकारी नीतियों और संगठन की भूमिका पर विस्तार से चर्चा हुई। यह कार्यक्रम किसानों को एकजुट करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
- डुमरी इसरी बाजार में यूनियन के प्रधान कार्यालय पर किसान दिवस का आयोजन।
- केंद्रीय अध्यक्ष गंगाधर महतो मुख्य अतिथि के रूप में रहे उपस्थित।
- किसान–मजदूर एकता और अधिकारों पर केंद्रित रहा कार्यक्रम।
- यूनियन के केंद्रीय पदाधिकारियों और सदस्यों की रही सक्रिय भागीदारी।
- किसानों के हित में संघर्ष तेज करने का लिया गया संकल्प।
गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड में किसानों और मजदूरों के सम्मान का प्रतीक किसान दिवस पूरे उत्साह और संगठनात्मक मजबूती के साथ मनाया गया। यह आयोजन झारखंड एकता किसान मजदूर यूनियन के प्रधान कार्यालय, रेलवे गेट रांगामाटी इसरी बाजार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के संघर्ष, उनके अधिकारों और वर्तमान चुनौतियों पर सामूहिक रूप से विचार करना था।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में यूनियन पदाधिकारी, किसान प्रतिनिधि और मजदूर शामिल हुए। आयोजन ने यह संदेश दिया कि किसान और मजदूर एक-दूसरे के पूरक हैं और उनकी एकता से ही सामाजिक व आर्थिक न्याय संभव है।
केंद्रीय अध्यक्ष का संबोधन: किसान ही देश की रीढ़
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष गंगाधर महतो ने किसान दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा:
“भारत की आत्मा गांवों में बसती है और किसान उसकी रीढ़ है। जब तक किसान मजबूत नहीं होगा, तब तक देश मजबूत नहीं हो सकता।”
उन्होंने कहा कि किसान आज बढ़ती लागत, कम समर्थन मूल्य, प्राकृतिक आपदाओं और बाजार की अनिश्चितताओं से जूझ रहा है। ऐसे में किसान संगठनों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने किसानों से संगठित रहने और अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखने की अपील की।
संगठनात्मक मजबूती पर दिया गया जोर
कार्यक्रम में केंद्रीय उपाध्यक्ष सुभाष पंडित ने कहा कि किसान और मजदूर की समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। जब तक दोनों वर्ग एकजुट नहीं होंगे, तब तक नीतिगत बदलाव संभव नहीं है।
वहीं केंद्रीय उपाध्यक्ष भगतु रविदास उर्फ रवि कुमार ने कहा कि किसान दिवस केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि आत्ममंथन का दिन है। उन्होंने किसानों को सरकारी योजनाओं की सही जानकारी लेने और उनका लाभ उठाने की सलाह दी।
किसानों की समस्याओं पर हुई चर्चा
कार्यक्रम के दौरान किसानों ने सिंचाई, बीज, खाद, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाया। वक्ताओं ने कहा कि आज भी छोटे और सीमांत किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं।
केंद्रीय महासचिव मदन मोहली ने कहा:
“किसानों की आय बढ़ाने की बात तो होती है, लेकिन जमीनी स्तर पर समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। यूनियन इन मुद्दों को मजबूती से उठाती रहेगी।”
केंद्रीय महासचिव रविंद्र कुमार ने संगठन की आगामी रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि किसान और मजदूरों के अधिकारों के लिए जिला से लेकर राज्य स्तर तक आंदोलन को मजबूत किया जाएगा।
एकजुटता का संदेश
कार्यक्रम में केंद्रीय सचिव जाफर अंसारी और केंद्रीय कोषाध्यक्ष नुनूचंद महतो ने संगठन की जिम्मेदारियों और पारदर्शिता पर बात रखी। उन्होंने कहा कि यूनियन का हर कदम किसानों और मजदूरों के हित में उठाया जाएगा।
इस अवसर पर केंद्रीय सदस्य वीरेंद्र प्रसाद यादव, रोनक शर्मा, रुपलाल तुरी, गोविंद महतो, भोला साव सहित कई अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में किसान–मजदूर एकता को मजबूत करने का आह्वान किया।
किसान दिवस का ऐतिहासिक महत्व
वक्ताओं ने याद दिलाया कि किसान दिवस पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के हित में समर्पित किया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और किसानों को नई दिशा दिखाते हैं।
कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि वर्तमान समय में बदलती कृषि नीतियों और बाजार व्यवस्था के बीच किसानों को सजग और संगठित रहना होगा।
भविष्य की रणनीति
यूनियन ने घोषणा की कि आने वाले समय में किसान समस्याओं को लेकर जन संवाद, प्रशिक्षण कार्यक्रम और आंदोलनात्मक गतिविधियां तेज की जाएंगी। संगठन का उद्देश्य किसानों को केवल मांग करने वाला नहीं, बल्कि नीति निर्धारण में सहभागी बनाना है।

न्यूज़ देखो: किसान एकता से ही बदलेगी तस्वीर
डुमरी में आयोजित किसान दिवस यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर किसान संगठन अब अधिक सक्रिय और जागरूक हो रहे हैं। यह आयोजन किसानों की आवाज को मजबूत करने और नीतिगत बदलाव की दिशा में दबाव बनाने का संकेत है। आने वाले दिनों में ऐसे कार्यक्रम किसानों की एकजुटता को नई धार दे सकते हैं।
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किसान मजबूत, देश मजबूत
जब किसान संगठित होंगे, तभी उनकी आवाज दूर तक पहुंचेगी।
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