
#रांची #समाधि_विवाद : पुण्यतिथि के दिन श्रद्धांजलि देने पहुंचीं पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव को प्रशासन ने जबरन हटाया — सिरम टोली रैंप मुद्दे को लेकर सरकार पर बरसीं
- भगवान बिरसा मुंडा की समाधि स्थल से पूर्व मंत्री को जबरन हटाया गया
- रांची प्रशासन ने उन्हें बस में बैठाकर स्थल से दूर भेजा
- गीताश्री ने सरकार पर आदिवासी विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया
- 15 जून को ‘काला दिवस’ और मुख्यमंत्री का पुतला दहन की घोषणा
- समर्थकों ने सरकार के खिलाफ लगाए नारे, पुलिस ने संभाली स्थिति
समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि से पहले बवाल
रांची में भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के अवसर पर कोकर स्थित समाधि स्थल पर एक राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया। पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव समेत कई आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को रांची जिला प्रशासन ने श्रद्धांजलि सभा से ठीक पहले जबरन हटा दिया। सभी को एक बस में बैठाकर स्थल से दूर ले जाया गया।
इस कार्रवाई के बाद मौके पर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। गीताश्री उरांव के समर्थकों ने प्रशासन के इस कदम को तानाशाही करार दिया और इसे आदिवासी अस्मिता का अपमान बताया।
प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देकर की कार्रवाई
रांची प्रशासन का कहना है कि समाधि स्थल पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई वरिष्ठ नेताओं का आगमन प्रस्तावित था। इस दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था या प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए एहतियातन यह कदम उठाया गया।
रांची प्रशासन: “समाधि स्थल की गरिमा बनाए रखने और किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया।”
गीताश्री उरांव ने सरकार को घेरा
घटना के बाद गीताश्री उरांव ने सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्ता में आने के बाद आदिवासी समाज को भूल गए हैं और अब उनके हक की आवाज उठाने वालों को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
गीताश्री उरांव: “आज जब हम धरती आबा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो हमें वहां से जबरन हटाया गया। क्या यह लोकतंत्र है? यह सरकार आदिवासी विरोधी मानसिकता की परिचायक है।”
सिरम टोली रैंप विवाद पर भी फूटा आक्रोश
गीताश्री उरांव ने यह भी कहा कि उनके पिता के नाम पर बनाए जा रहे सिरम टोली रैंप को लेकर सरकार लगातार चुप है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा कि अब यह अन्याय और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
15 जून को पुतला दहन की चेतावनी
गीताश्री उरांव ने 15 जून को ‘काला दिवस’ मनाने और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब हर साल उसी दिन दोहराया जाएगा जब हमें समाधि स्थल से हटाया गया।
गीताश्री उरांव: “जिस तरह सनातन धर्म में रावण दहन होता है, उसी तरह 15 जून को हम हेमंत सोरेन का पुतला जलाएंगे।”
समर्थकों में रोष, भारी पुलिस बल तैनात
प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ गीताश्री के समर्थकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने “आदिवासी विरोधी सरकार नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाए। स्थिति को देखते हुए स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
न्यूज़ देखो: आदिवासी अस्मिता के संघर्ष का नया मोर्चा
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सरकार आदिवासी समाज की आवाज सुनने को तैयार है या नहीं। श्रद्धांजलि के मौके पर राजनीतिक मतभेदों के चलते किसी नेता को समाधि स्थल से हटाना न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि यह जनभावनाओं का अपमान भी है। न्यूज़ देखो लगातार ऐसी घटनाओं को सामने लाता रहेगा, जहां जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाया जा रहा हो या लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता किया जा रहा हो।
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जनचेतना और अधिकारों की रक्षा हमारा दायित्व
आज हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक और संगठित रहे। इस प्रकार की घटनाएं हमें लोकतंत्र की बुनियाद को मज़बूत करने की प्रेरणा देती हैं।
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